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detail news only from Chhattishgarh ,dated: ४ अगस्त २०२०

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अयोेध्या की रानी एवं छत्तीसगढ़ की अस्मिता के प्रतीक माता कौशल्या के पुत्र भगवान श्री राम का भांजा के स्वरूप में गहरा नाता हैै। इसका जीता-जागता उदाहरण है, छत्तीसगढ़ में सभी जाति समुदाय के लोग बहन के पुत्र को भगवान के प्रतिरूप अर्थात भांजा मानकर उनका चरण पखारते हैं। मोक्ष की प्राप्ति के लिए प्रभु श्रीराम से कामना करते हैं। यह और भी प्रबल तब होता है, जब गांव-शहर-कस्बा कहीं भी हो कोई भी जाति अथवा समुदाय के हो मांमा-भांजा के बीच के रिश्ते को पूरी आत्मीयता के साथ निभाया जाता है। मांमा के साथ किसी भांजे का यह रिश्ता कई बार माता-पिता के लिए पुत्र से भी ज्यादा घनिष्ठ स्वरूप में दिखाई पड़ता है।

त्रेतायुग में जब छत्तीसगढ़ का प्राचीन नाम कोसल व दण्डकारण्य के नाम से विख्यात था, तब कोसल नरेश भानुमंत थे। वाल्मिकी रामायण के अनुसार अयोध्यापति युवराज दशरथ के राज्याभिषेक के अवसर पर कोसल नरेश भानुमंत को भी अयोध्या आमंत्रित किया गया था। इस अवसर पर कोसल नरेश की पुत्री एवं राजकन्या भानुमति भी अयोघ्या गई हुई थी। युवराज दशरथ कोसल राजकन्या भानुमति के सुंदर और सौम्य रूप को देखकर मोहित हो गए और कोसल नरेश महाराज भानुमंत से विवाह का प्रस्वाव रखा। युवराज दशरथ और कोसल की राजकन्या भानुमति का वैवाहिक संबंध हुआ। शादी के बाद कोसल क्षेत्र की राजकुमारी होने की वजह से भानुमति को कौशल्या कहा जाने लगा। अयोध्या की रानी इसी कौशल्या की कोख से मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्री राम का जन्म हुआ। तभी ममतामयी माता कौशल्या को तत्कालीन कोसल राज्य के लोग बहन मानकर अपने बहन के पुत्र भगवान श्री राम को प्रतीक मानकर भांजा मानते है और उनका पैर छूकर आशीर्वाद लेते है।

कालांतर छत्तीसगढ में स्मृतिशेष आठवी-नौंवी सदी में निर्मित माता कौशल्या का भव्य मंदिर राजधानी रायपुर से 27 किलोमीटर दूर आरंग विेकासखण्ड के ग्राम चन्दखुरी में स्थित है। चंदखुरी भी रामायण से छत्तीसगढ़ को सीधे जोड़ता है। रामायण के बालकांड के सर्ग 13 श्लोक 26 में आरंग विकासखंड के तहत आने वाले गांव चंदखुरी का जिक्र मिलता है। माना जाता है कि चन्दखुरी सैकड़ों साल पहले चन्द्रपुरी अर्थात् देवताओं की नगरी के नाम से जानी जाती थी। समय के साथ चन्द्रपुरी, चन्द्रखुरी हो गया जो चन्द्रपुरी का अपभ्रंश है। पौराणिक दृष्टि से इस मंदिर का अवशेष सोमवंशी कालीन आठवी-नौंवी शताब्दी के माने जाते है। इसके अलावा छत्तीसगढी संस्कृति में राम का नाम रचे-बसे है। तभी तो जब एक दूसरे से मिलते समय चाहे रिश्ते-नाते हो अथवा अपरिचित राम-राम कका, राम-राम काकी, राम-राम भैइया जैसे उच्चारण से अभिवादन आम तौर पर देखने सुनने को मिल ही जाता है।

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छत्तीसगढ़ के ग्राम चन्दखुरी की पावन भूमि में प्रभु श्रीराम की जननी माता कौशल्या का दुर्लभ मंदिर देश और दुनिया में एक मात्र मंदिर है। यह छत्तीसगढ़ की गौरवपूर्ण अस्मिता का प्रतीक है। प्रकृति की अनुपम छटा बिखेरते इस मंदिर के गर्भ गृह में माता कौशल्या की गोद में बालरूप में प्रभु श्रीराम जी की वात्सल्य प्रतिमा श्रद्धालुओं एवं भक्तों के मन को सहज ही अपनी ओर आकर्षित कर लेती है। वहीं पूर्वी छत्तीसगढ़ के महानदी, जोंक नदी और शिवनाथ नदी के संगम स्थ्ल शिवरीनारायण क्षेत्र में रामनामी समुदाय में भगवान श्री राम के प्रति अकूत प्रेम एवं अराधना को परिलक्षित करता है।

स्मरणीय तथ्य है कि छत्तीसगढ़ का प्राचीनतम नाम दक्षिण कोसल था। रामायण काल में छत्तीसगढ़ का अधिकांश भाग दण्डकारण्य क्षेत्र के अंतर्गत आता था। यह क्षेत्र उन दिनों दक्षिणापथ कहलाता था। शोधकर्ताओं द्वारा वनवास काल में प्रभु श्री राम चन्द्र जी के यहां आने का प्रमाण मिलता है। शोधकर्ताओं के शोध किताबों से प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रभु श्रीराम ने अपने वनवास काल के 14 वर्षों में से लगभग 10 वर्ष से अधिक समय छत्तीसगढ़ में व्यतीत किया था। छत्तीसगढ़ के लोकगीतों में देवी सीता की व्यथा, दण्डकारण्य की भौगोलिकता और वनस्पतियों के वर्णन भी मिलते हैं। माना जाता है कि भगवान श्रीराम ने उत्तर भारत से छत्तीसगढ़ में प्रवेश करने और यहां के विभिन्न स्थानों पर चौमासा व्यतीत करने के बाद दक्षिण भारत में प्रवेश किया था। इसलिए छत्तीसगढ़ को दक्षिणापथ भी कहा जाता है।

भगवान श्री रामजी के इन्हीं स्मरणीय तथ्यों और आगमन को सहेजने के लिए छत्तीसगढ़ ने श्री राम के यात्रा पथ को एवं जहां-जहां भगवान श्री राम, भगवान श्री लक्ष्मण और माता सीता ने समय व्यतीत किया है, जिन-जिन स्थानों पर उन्होंने आाराम किया पूजा-अर्चना की उन यादों को सहेजकर मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने चन्दखुरी स्थित माता कौशल्या मंदिर से प्रारंभ कर राम-वन-गमन-पथ के रूप में विकसित करने का बीड़ा उठाया है। इससे निश्चित ही देशवासियों की आस्था का सम्मान बढ़ेगा। यह श्री भूपेश सरकार का एक बड़ा उल्लेखनीय और ऐतिहासिक कदम हैं।

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छ्त्तीसगढ़ में भगवान राम के वनवास काल से संबंधित जिन स्थानों को पर्यटन-तीर्थ के रूप में विकसित किया जा रहा है, उनमें कोरिया जिले का सीतामढी-हरचौका तथा सरगुजा का रामगढ़ भी शामिल है। इनमें से रामगढ़ की प्रसिद्धि विश्व की प्राचीनतम नाट्यशाला के लिए भी है। महाकवि कालिदास ने अपनी कालजयी कृति मेघदूतम् की रचना यहीं पर की थी।

वनवास के दौरान भगवान राम ने कोरिया जिले से ही छत्तीसगढ़ में प्रवेश किया था। भरतपुर तहसील के जनकपुर में स्थित सीतामढ़ी-हरचौका को उनका पहला पडा़व माना जाता है। मवाई नदी के किनारे स्थित सीतामढ़ी-हरचौका की गुफा में 17 कक्ष हैं। इसे सीता की रसोई के नाम से भी जाना जाता है। वहां एक शिलाखंड हैै जिसे लोग भगवान राम का पद-चिन्ह मानते हैं। मवाई नदी तट पर स्थित गुफा को काट कर 17 कक्ष बनाए गए हैं, जिनमें शिवलिंग स्थापित हैं। इसी स्थान को हरचौका (रसोई) के नाम से जाना जाता है। भगवान राम हरचौका से रापा नदी के तट पर स्थित सीतामढ़ी-घाघरा पहुंचे थे। यहां करीब 20 फीट ऊपर 4 कक्षों वाली गुफा है, जिसके बीच में शिवलिंग स्थापित है। आगे की यात्रा में वे घाघरा से निकलकर कोटाडोला होते हुए सरगुजा जिले की रामगढ़ पहाड़ी पहुंचे थे। यह अम्बिकापुर- बिलासपुर मार्ग पर स्थित है। इसे रामगिरि भी कहा जाता है। महाकवि कालिदास के मेघदूतम् में इसी स्थान के दृश्यों का अंकन हुआ है। वनवास के दौरान श्रीराम ने पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ यहां कुछ दिन बिताये थे। इसीलिए वहां स्थित गुफाएं लोक में उन्हीं के नाम से जानी जाती हैं। राम के तापस्वी वेश के कारण एक का नाम जोगीमारा, दूसरे का सीता बेंगरा एवं एक अन्य का लक्ष्मण गुफा पड़ गया।

भगवान राम के वनवास काल से संबंधित स्थानों का पर्यटन-तीर्थ के रूप में विकास मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की महत्वाकांक्षी परियोजना है। इसके लिए राम वन गमन परिपथ तैयार किया जा रहा है। शासन ने राम से संबंधित 75 स्थानों का चयन किया है। पहले चरण में इनमें से 9 स्थानों का सौंदर्यीकरण एवं विकास किया जा रहा है। इसके लिए 137 करोड़ 45 लाख रुपये की कार्ययोजना तैयार की गई है। इस परिपथ में अच्छी सड़कों समेत विभिन्न तरह की नागरिक सुविधाएं भी विकसित की जाएंगी।

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अयोध्या में बनने वाले भव्य श्री राम मंदिर का भूमि पूजन पुरे विश्व में चर्चा का विषय है .१५० से भी अधिक देशो में इसका सीधा प्रसारण किया जायेगा.इसका भूमिपूजन ५ अगस्त २०२० को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे .पूरा समारोह में सिर्फ सिर्फ २०० लोगों को ही आमंत्रित किया गया है जिसमे १५० के करीब संत है,छत्तीसगढ़ भगवान राम का ननिहाल है.और पुरे ननिहाल से सिर्फ एक इंसान को भूमिपूजा का आमंत्रण मिला है और ये शख्स है विश्व हिन्दू परिषद् से जुड़े संत युधिष्ठिर लाल .राम मंदिर भूमिपूजन समारोह के लिए छत्तीसगढ़ से एकमात्र संत युधिष्ठिर को न्यौता मिला है. इसके अलावा किसी को भी आमंत्रण नहीं मिला है.संत युधिष्ठिर लाल छत्तीसगढ़ से जुड़े विष हिन्दू परिषद् के उच्च अधिकार समिति से जुड़े हुए है.


मंगलवार सुबह संत युधिष्ठिर रायपुर एयरपोर्ट से अयोध्या के लिए रवाना हो गए हैं. अयोध्या में राम जन्मभूमि के भूमिपूजन में शामिल होने शदाणी दरबार के नवम पीठाधीश संत युधिष्ठिर लाल के अयोध्या रवाना होने पर सचिन मेघानी,डॉ. भीष्म शदाणी, ललित जैसिंघ, उदय शदाणी, विवेक जैन ने उन्हें बधाई दी.और उन्होंने विमानतल पर उनका पुष्पहार से सम्मान भी किया.३६नोकआउट को जानकारी देते हुए सचिन मेघानी ने बताया गया की संत युधिष्ठिर लाल जी का जाने से पहले कोरोना टेस्ट करवाया गया जिसमे रिपोर्ट नेगेटिव आई .

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राजिम को छत्तीसगढ़ की धर्मनगरी के नाम से जाना जाता है। राजिम में महानदी के तट पर राजीव लोचन मंदिर परिसर से लगी सीताबाड़ी है। राजिम को धर्म नगरी और लोक कला संस्कृति का गढ़ कहा जाता है। राजिम में पैरी, सोंढूर और महानदी का पवित्र संगम स्थल त्रिवेणी है। इसी त्रिवेणी संगम स्थल पर कुलेश्वर महादेव का प्राचीन मंदिर है। कुलेश्वर महादेव के संबंध में किवदंती है कि 14 वर्ष के वनवास काल में माता सीता ने संगम स्थल में स्नान कर अपने कुल देवता की नदी के रेत से विग्रह बनाकर पूजा अर्चना की थी। इसी कारण उनका नाम कुलेश्वर महादेव है।

राजिम छत्तीसगढ़ के लिए जन आस्था का केन्द्र है। यहां प्रतिवर्ष माघी पुन्नी मेला से महाशिवरात्रि तक विविध कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। यहां देश विदेश से साधु-संतों एवं दर्शनार्थियों का शुभागमन होता है। कुलेश्वर महादेव मंदिर के समीप लोमश ऋषि का आश्रम है। उसी के समीप एक माह तक लोग कल्पवास करते है। राजिम क्षेत्र को छत्तीसगढ़ की पंचकोशी परिक्रमा के नाम से भी जाना जाता है। पंचकोशी परिक्रमा में 5 स्वयंभू शिवलिंग की लोग साधना पूर्वक परिक्रमा करते हैं। जिनमें प्रमुख श्री कुलेश्वर महादेव, राजिम, पठेश्वर महादेव, पटेवा, चम्पेश्वर महादेव, चंपारण, फणिकेश्वर महादेव, फिंगेश्वर और कोपेश्वर महादेव कोपरा है। राजिम पुरातत्वों एवं प्राचीन सभ्यता के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ भगवान श्री राजीव लोचन की भव्य प्रतिमा स्थापित है। सीताबाड़ी में उत्खन्न कार्य किया रहा है। जिसमें सम्राट अशोक के काल का विष्णु मंदिर, मौर्य कालीन अवशेष, 14वीं शताब्दी का स्वर्ण सिक्का, अनेक मूर्तियाँ और सिंधुघाटी सभ्यता से जुड़ी अनेक कलाकृतियां मिल रही है। राजिम माघी पुन्नी मेला महोत्सव में पूरे छत्तीसगढ़ की लोक कला संस्कृति का दर्शन होता है।

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छत्तीसगढ़ का प्रयागराज राजिम जहां सोंढुर, पैरी और महानदी का संगम है। कहा जाता है कि राम वन गमन के दौरान भगवान श्री रामचन्द्र सीता और भाई लक्ष्मण के साथ लोमश ऋषि आश्रम में ठहरे थे। वे पंचकोशी धाम के स्थलों से भी गुजरे थे। वनवास काल में राम ने इस स्थान पर अपने कुलदेवता महादेव की पूजा-अर्चना की थी। त्रिवेणी संगम राजिम की पहचान पहले से ही आस्था, धर्म और संस्कृति नगरी के रूप में स्थापित हैं। राजिम नगरी की धार्मिक, पौराणिक और ऐतिहासिक मान्यता है। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की पहल पर राम वन गमन परिपथ को पर्यटन की दृष्टि से विकसित किया जा रहा है। पर्यटन विभाग द्वारा इसके लिए लगभग 137 करोड़ रूपए का कॉन्सेप्ट प्लान बनाया गया है। प्रथम चरण के लिए चिन्हित 9 स्थलों में गरियाबंद जिले का प्रयागराज के नाम से विख्यात राजिम भी शामिल है। राजिम को पर्यटन की दृष्टि से बनाए गए प्लान में राम वन गमन पथ के लिए राजिम को चिन्हांकित किया गया है। कुलेश्वर मंदिर और राजीव लोचन मंदिर तथा लोमश ऋषि आश्रम का सौंदर्यकरण कर वहां जरूरी सुविधाएं विकसित करने योजना तैयार की गई है। इस योजना में राजिम के आस-पास 25 किलोमीटर परिधि में पंचकोशी धाम यात्रा के प्रमुख स्थलों में मूलभूत सुविधाएं- पेयजल, यात्री प्रतीक्षालय, पर्यटन सुविधा केंद्र सहित अनेक सुविधाएं विकसित की जाएगी।

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स्वास्थ्य विभाग ने अपडेटेड मेडिकल बुलेटिन जारी कर प्रदेश में कोरोना की स्थिति को लेकर जानकारी दी है। जारी बुलेटिन के अनुसार छत्तीसगढ़ में 93 और नए कोरोना मरीजों की पुष्टि हुई है। बता दें कि आज ही प्रदेश में 280 मामलों की पुष्टि हुई थी। इसके साथ ही आज मिले कुल मरीजों की संख्या 373 हो गई है। वहीं, आज 357 मरीजों को स्वस्थ होने के बाद डिस्चार्ज किया गया है और 8 कोरोना संक्रमित की मौत हो गई। आज मिले मरीजो की में सबसे ज्यादा रायपुर से १५६,दुर्ग से ५५, राजनांदगांव से १५, महासमुंद से १९ ,बलरामपुर कोंडागांव २५ २५ ,सूरजपुर से ११ ,कबीरधाम से ७,रायगढ़ से ६,महासमुंद से ५ ,बिलासपुर से ७,कांकेर से 4, बलौदाबाजार जांजगीर-चांपा कोरिया से २ २ ,धमतरी जशपुर नारायणपुर बीजापुर से 1 1 मरीज पाए गए हैं








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UPSC सिविल सर्विसेस 2019 के फाइनल रिजल्ट मंगलवार को जारी कर दिए गए हैं। छत्तीसगढ़ के एजुकेशन हब भिलाई की सिमी करण ने देशभर में भारतीय प्रशासनिक सेवा में 31 वां स्थान हासिल करके अपनी प्रतिभा का लोहा बनवाया है। सिमी आईएएस ऑफिसर (IAS topper Bhilai) के रूप में चयनित हुई हैं। सिमी के साथ ही छत्तीसगढ़ के उमेश कुमार गुप्ता, सूथान, आयुष खरे और योगेश कुमार पटेल भी चयनित हुए है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ट्वीट करके पांचों भावी अफसरों की बधाई दी है। 12 में भी सिमी ने किया था टॉप
यूपीएससी के आज आए नतीजों में भिलाई की सिमी करण को 31वां स्थान मिला है। उसने 2015 में सीबीएसई 12 वीं बोर्ड की परीक्षा में छत्तीसगढ़ में टॉप था। उसके बाद मुंबई आईआईटी से बीटेक किया। सिमी के पिता डीएन करण बीएसपी कर्मी हैं। मां सुजाता करण डीपीएस स्कूल रिसाली में शिक्षिका हैं।

प्रदीप ने किया टॉप
संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) के सिविल सेवा परीक्षा 2019 का फाइनल रिजल्ट जारी कर दिया है। परीक्षा में प्रदीप सिंह ने पूरे देश में टॉप किया है। दूसरे स्थान पर जतिन किशोर और तीसरे स्थान पर प्रतिभा वर्मा है। कुल 829 उम्मीदवारों का चयन किया गया है। इसमें 304 उम्मीदवार जनरल कैटेगरी से, 78 ईडब्ल्यूएस, 251 ओबीसी, 129 एससी और 67 एसटी कैटेगरी से हैं। परीक्षार्थियों के माक्र्स 15 दिन बाद जारी किए जाएंगे।

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यूपीएससी सिविल सर्विसेस में छत्तीसगढ़ के 5 युवा चुने गए
1. सिमी करण (AIR 31)
2. उमेश प्रसाद गुप्ता (AIR 162)
3. सूथान (AIR 209)
4. आयुष खरे (AIR 267)
5. योगेश कुमार पटेल (AIR 434)

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स्वास्थ्य मंत्री श्री टी.एस. सिंहदेव ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंस से अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज में वायरोलॉजी लैब का शुभारंभ किया। उन्होंने संस्थान के सभी स्टॉफ और क्षेत्रवासियों को बधाई देते हुए कहा कि इस उच्च स्तरीय लैब की स्थापना से कोरोना वायरस के साथ ही अन्य बीमारियों की जांच की जा सकेगी। कोरोना संकट के बाद भी अनेक रोगों की पहचान में यह लैब उपयोगी होगा। उल्लेखनीय है कि अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज में दो करोड़ रूपए की लागत से बीएसएल-2 लैब स्थापित किया गया है। इस लैब में कोरोना वायरस की पहचान के लिए आरटीपीसीआर जांच 3 अगस्त की शाम से शुरू की गई है।

स्वास्थ्य मंत्री श्री सिंहदेव ने शुभारंभ कार्यक्रम को वीडियो कॉन्फ्रेंस से संबोधित करते हुए कहा कि अंबिकापुर में इस सुविधा से अब कोरोना संक्रमण की जल्द पहचान कर पीड़ितों का तत्काल इलाज शुरू किया जा सकेगा। कोविड-19 के संदिग्धों की जांच रिपोर्ट अब एक ही दिन में मिल जाएगी। कोविड-19 के नियंत्रण के लिए सरकार लगातार जांच की क्षमता बढ़ा रही है। प्रदेश में रोजाना दस हजार सैंपलों की जांच का लक्ष्य है। हाल ही में आईसीएमआर (Indian Council of Medical Research) से तीन और मेडिकल कॉलेजों बिलासपुर, अंबिकापुर एवं राजनांदगांव में आरटीपीसीआर जांच की अनुमति मिलने के बाद बिलासपुर और अंबिकापुर में जांच शुरू की जा चुकी है। राजनांदगांव में भी जल्द ही सैंपल जांच शुरू हो जाएगी।

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श्री सिंहदेव ने कहा कि कोविड-19 की रोकथाम के लिए विकासखण्ड मुख्यालयों में भवन चिन्हांकित कर कोविड केयर सेंटर की स्थापना के निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने इन सेंटर्स में मरीजों के भोजन की गुणवत्ता और साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखने कहा। उन्होंने कोरोना संक्रमण रोकने अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों से लोगों को मास्क पहनने एवं शारीरिक दूरी के पालन के लिए प्रोत्साहित करने कहा। स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि कांकेर, कोरबा और महासमुंद में नए मेडिकल कॉलेज का काम जल्द शुरू किया जाएगा। इसके लिए केंद्र सरकार से 50-50 करोड़ रूपए की स्वीकृति प्राप्त हो गई है। राज्य शासन द्वारा भवन एवं अन्य संसाधन जुटाने जल्द कदम उठाए जाएंगे।

चिकित्सा शिक्षा विभाग की अपर मुख्य सचिव श्रीमती रेणु जी. पिल्लै, स्वास्थ्य विभाग की सचिव श्रीमती निहारिका बारिक सिंह और संचालक, चिकित्सा शिक्षा डॉ. एस.एल. आदिले भी वीडियो कॉन्फ्रेंस से उद्घाटन कार्यक्रम में जुड़ें। वहीं इस दौरान अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज में विधायक डॉ. प्रीतम राम, छत्तीसगढ़ श्रम कल्याण मंडल के अध्यक्ष श्री शफी अहमद, महापौर डॉ. अजय तिर्की, सरगुजा जिला पंचायत की अध्यक्ष श्रीमती मधु सिंह, डीन डॉ. आर.के सिंह और मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. पी.एस. सिसोदिया भी मौजूद थे।

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कांग्रेस ने पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह से पूछा है कि अब रमन सिंह बता दें कि पनामा पेपर्स में जिस अभिषाक सिंह का नाम है वह उनका पूर्व सांसद बेटा अभिषेक सिंह ही है या नहीं? कांग्रेस संचभाग के प्रमुख शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि पहले तो रमन सिंह इस बात से इनकार करते रहे कि अभिषेक सिंह अभिषाक सिंह नहीं हैं लेकिन अब वे सच बता दें.उन्होंने कहा है कि पनामा पेपर्स में जब अभिषाक सिंह का नाम आया तो रमन सिंह कहते रहे कि वे अभिषाक सिंह को नहीं जानते लेकिन जब से कांग्रेस ने सबूत दिए हैं कि उनके बेटे और पूर्व सांसद अभिषेक सिंह ही अभिषाक सिंह हैं तब से वे चुप्पी साधे बैठे हैं.अगर नहीं हैं तो अब तक शिकायत क्यों नहीं दर्ज करवाई? अगर हैं तो पहले झूठ क्यों बोलते रहे रमन सिंह? विदेश में जमा कालाधन क्या अगुस्टा की दलाली से आया?

पनामा पेपर्स में दिए गए पते पर सवाल उठाते हुए शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि पनामा पेपर्स में ‘रमन मेडिकल स्टोर्स, विंध्यवासिनी वार्ड, कवर्धा’ का पता है, अगर ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड में कालाधन जमा करवाने के लिए किसी और व्यक्ति ने इस पते का दुरुपयोग किया है तो उन्होंने मुख्यमंत्री रहते इसकी शिकायत क्यों नहीं की? उन्होंने कहा है कि अगर वे पहले इसकी शिकायत नहीं कर पाए तो अब भूपेश सरकार से इसकी शिकायत कर दें और कांग्रेस वादा करती है कि सरकार इसकी निष्पक्ष जांच करेगी.

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संचार विभाग प्रमुख ने कहा है कि पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह को इस बात का भी जवाब देना चाहिए कि उनके घर के पते पर विदेश में जमा हुआ काला धन अगुस्टा हेलिकॉप्टर की धांधली और दलाली से कमाया हुआ पैसा तो नहीं था? उन्होंने कहा है कि रमन सिंह छत्तीसगढ़ की जनता के प्रति जवाबदेह हैं और उन्हें बताना चाहिए कि उनके पते पर खुले खाते में पैसा किसका है और कहां से आया? शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि रमन सिंह यह कतई न सोचें कि वे सत्ता से हटते ही जवाबदेही से मुक्त हो गए हैं. वे अपने 15 साल के कार्यकाल की हर धांधली, हर कमीशनखोरी और हर दलाली के लिए जवाबदेह हैं और उन्हें जनता को जवाब देना ही होगा. अभी पनामा पेपर्स की जांच चल रही है और आज नहीं तो कल सच तो सामने आ ही जाएगा और तब तक जनता की ओर से कांग्रेस सवाल पूछती रहेगी कि छत्तीसगढ़ का नवाज़ शरीफ़ कौन है?

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सिर्फ डिग्री प्राप्त करने से ही सफलता नहीं मिलती है, बल्कि इसके साथ अनुशासन, संवेदनशीलता, दया और करूणा का भाव भी आवश्यक है, यह भाव आने से जीवन में निश्चित ही सफलता मिलती है। हमें यह प्रयास करना चाहिए कि विश्वविद्यालय शिक्षा में ऐसे गतिविधियों को शामिल करें जिससे उनका समाज से जुड़ाव हो। यह बात राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके ने कही। वे आज हेमचंद यादव विश्वविद्यालय दुर्ग द्वारा ‘‘उच्च शिक्षा का सामाजिक सरोकार’’ विषय पर आयोजित वेबिनार में मुख्य अतिथि की आसंदी से संबोधित कर रही थी।

राज्यपाल ने कहा कि उच्च शिक्षा हो अथवा शालेय शिक्षा, दोनों ही का सामाजिक सरोकार अत्यंत महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि किसी भी राष्ट्र की प्रगति उसमें विद्यमान समाजों की प्रगति पर निर्भर होती है। कोई भी शिक्षित समाज ही किसी प्रदेश अथवा देश की उन्नति में अपनी महत्वपूर्ण भागीदारी निभा सकता है। उच्च शिक्षा का दायित्व इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाता है, क्योंकि हमारे भारतीय समाज का लगभग 30 प्रतिशत, युवा वर्ग का प्रतिनिधित्व करता है। यही युवा महाविद्यालयों तथा विश्वविद्यालयों में उच्च शिक्षा ग्रहण कर समाज को नई दिशा प्रदान कर सकते हैं अथवा वर्तमान सामाजिक दशा में रचनात्मक परिवर्तन ला सकते हैं। उन्होंने कहा कि इस कोविड-19 की संकट की घड़ी में तथा उसके पश्चात भी हमेशा ‘‘बहुजन सुखाय-बहुजन हिताय’’ की अवधारणा पर कार्य करें। एनएसएस के स्वयंसेवक जब वार्षिक शिविरों में शामिल होते हैं, तो समाज के प्रति उनकी सोच में तथा समाज को देखने के नजरिए में सकारात्मक परिवर्तन आता है।

राज्यपाल ने कहा कि एनएसएस जैसी संस्थाएं युवाओं में सामाजिक चेतना और राष्ट्रप्रेम की भावना विकसित करता है। मैं स्वयं एनएसएस से जुड़ी थी और इनके शिविर में शामिल होकर जब सेवा करने का मौका मिला तो समाज के प्रति सेवा की प्रेरणा मिली। मैं अपने सहपाठियों से सेवा में सहभागी होने आग्रह करती थी और कहती थी कि कोई भी काम छोटा नहीं होता मानव मात्र की सेवा करना ही सबसे बड़ी सेवा कार्य है। ऐसी भावना जिस व्यक्ति में होती है वह किसी भी क्षेत्र में हो अवश्य सफल होता है। एनएसएस में ‘हम होंगे कामयाब’’ का गीत गाया जाता है, ऐसी भावना से व्यक्ति कर्तव्य के प्रति जागरूक होता है। प्राचीन समय में संयुक्त परिवार की अवधारणा होती थी, लेकिन यह धारणा धीरे-धीरे टूटने लगी है, लेकिन आज कोरोनाकाल ने लोगों को अपने दायित्य का बोध कराया है और लोग एक दूसरे से जुड़ रहे हैं।

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राज्यपाल के सचिव श्री सोनमणि बोरा ने कहा कि एन.एस.एस. की स्थापना 1969 में हुई, जिस वर्ष महात्मा गांधी के जन्म को सौ वर्ष पूरे हुए थे। एनएसएस का मूलमंत्र ‘‘मैं नहीं आप’’ है। इसी मूलमंत्र को अपनाकर एनएसएस के स्वयंसेवक मानव कल्याण का कार्य करते हैं। यह ऐसा संगठन है, जो सामाजिक सेवा को प्रोत्साहित करता है। श्री बोरा ने साउथ कोरिया के ैमंउंनस न्दकवदह आंदोलन का उद्धरण देते हुए कहा कि इस आंदोलन में सभी वर्गों ने यह सोच के साथ अपनी भागीदारी निभाई कि हम राष्ट्र के लिए कुछ कर सकते हैं और एक अभूतपूर्व परिवर्तन ला दिया। आज हम देख सकते हैं कि साउथ कोरिया विश्व में किस स्थान में है। यदि किसी देश के नागरिकों में राष्ट्र के प्रति समर्पण की भावना होगी, तो वह देश निश्चित ही प्रगति करता है। उन्होंने कहा कि छोटे-छोटे कार्यों और योगदान से बड़े उद्देश्य की प्राप्ति होती है यदि हम छोटे-छोटे कार्य से अपनी भूमिका का निर्वहन करें तो देश निश्चित ही आगे बढ़ेगा।

उन्होंने छत्तीसगढ़ में एनएसएस के कार्यों की सराहना की। उन्होंने कहा कि यदि कोई व्यक्ति की यह सोच होता है कि वह देश और समाज से जितना लिया है, उससे अधिक लौटाउंगा तो वह जरूर सफल होता है। एनएसएस जैसे संस्थाएं युवाओं ऐसी भावनाओं का रोपण करती है। उन्होंने कहा कि आज पूरा विश्व जलवायु परिवर्तन की समस्या से जुझ रहा है, इस समय नोवेल कोरोना वायरस जो समस्या है वह प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से इसी से जुड़ी हुई है। आज उच्च शिक्षा को इस दिशा में सोचना होगा कि ऐसे समस्याओं से कैसे सारोकार रखें और कैसे सुलझाएं। उच्च शिक्षा संस्थानों से जुड़े हुए सभी प्रबुद्धजनों की जिम्मेदारी है कि इन समस्याओं के समाधान के बारे में मंथन करें।

कार्यक्रम को हेमचंद यादव विश्वविद्यालय दुर्ग की कुलपति डॉ. अरूणा पल्टा, राज्य एन.एस.एस. अधिकारी व पदेन उपसचिव उच्च शिक्षा विभाग डॉ. समरेन्द्र सिंह ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर हेमचंद यादव विश्वविद्यालय के कुल सचिव डॉ. सी.एल. देवांगन, अधिष्ठाता छात्र कल्याण डॉ. प्रशांत श्रीवास्तव, समन्वयक एन.एस.एस. डॉ. आर.पी. अग्रवाल सहित छात्र-छात्राएं शामिल हुए।

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कांग्रेस ने भगवान श्री राम मंदिर के शिलान्यास का स्वागत किया है । प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि यह अवसर देश के सभी धर्मावलम्बियों के हर्ष और उल्लास का है। श्री राम मंदिर के निर्माण के साथ ही देश मे अमन चैन और भाई चारे के एक नए युग का सूत्र पात भी होगा। उच्चतम न्यायालय के आदेश से यह सम्भव हुआ । श्री राम मंदिर के नाम पर राजनीतिक रोटी सेंकने वाली भारतीय जनता पार्टी तो कभी चाहती ही नही थी कि श्री राम का मंदिर बने वह तो श्री राम के मंदिर को जबरिया विवादों में घसीटने की जुगत में लगी रहती थी ताकि राम मंदिर के नाम पर हिंदू वोटों का ध्रुवीकरण कर अपनी राजनैतिक जमीन मजबूत की जा सके ।

कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि श्री राम मंदिर के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का योगदान शून्य रहा है । प्रधानमंत्री होने के अपने रसूख का फायदा उठा कर मोदी मंदिर का शिलान्यास करने जा रहे है जबकि मंदिर का शिलान्यास हिन्दू साधु संतों ,मठाधीशों शंकराचार्यो के कर कमलों से होना था ।

कांग्रेस प्रवक्ता सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि श्री राम मंदिर निर्माण के लिए पहला प्रयास 1949 में हुआ था तब देश के प्रधानंत्री पं जवाहर लाल नेहरू थे और उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री गोविंद वल्लभ पन्त थे तब 22 और 23 दिसम्बर को पूजा अर्चना कर श्री राम लला की प्रतिमा को गर्भ गृह के अंदर पहुचाया गया था। इसके बाद जब देश के प्रधानमंत्री राजीव गांधी और यूपी के मुख्यमंत्री बीरभद्र सिंह थे तब 1986 में जिला न्यायालय फैजाबाद के आदेश से राजीव गांधी ने श्री राममंदिर का ताला खोलवाया था। इसके बाद श्री राजीव गांधी के प्रधानमंत्री रहते हुए ही 1989 में जब यूपी के मुख्यमंत्री नारायणदत्त तिवारी थे तब श्री राम मंदिर का शिलान्यास राजीव गांधी ने साधु संतों के हाथों करवाया था । श्री राजीव गांधी ने 1989 में अपनी चुनावी सभा की शुरुआत भी अयोध्या से करते हुए कहा कि देश मे राम राज्य लाना आवश्यक है उन्होंने श्री राम मंदिर के विवाद के मसले पर कहा था कि यह मामला हल होना देश के समग्र विकास के लिए भी जरूरी है। जब देश के प्रधानमंत्री कांग्रेस के नरसिम्हा राव बने तब उन्होंने श्री राम मंदिर परिसर की जमीन मंदिर के पक्ष में अधिग्रहित करवाया ताकि मंदिर बनने के मार्ग की बाधा दूर हो सके

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कांग्रेस प्रवक्ता सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि राम के नाम पर फर्श से अर्श पर पहुचने वाली भारतीय जनता पार्टी के लिए श्री राम मंदिर हमेशा से एक राजनैतिक मुद्दा रहा यही कारण है कि केंद्र में 1996 तथा 1998 फिर 1999 में सरकार बनाने के बाद भाजपा ने पूर्ण बहुमत का बहाना बना कर मंदिर बनाने से पल्ला झाड़ लिया 12014 में पूर्ण बहुमत की सरकार बनने के बाद भी भाजपा राम मंदिर बनाने के नाम पर बंगले झांकती थी ।2019 के लोकसभा चुनाव के समय भाजपा श्री राम मंदिर के नाम का भी उल्लेख नही करना चाहती थी ।साधु संतों श्री राम लला मंदिर कमेटी के प्रयासों से उनके द्वारा प्रस्तुत तर्को से सहमत हो कर सुप्रीम कोर्ट ने श्री राम मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त किया है ।सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को मंदिर निर्माण की कमेटी बनाने के आदेश दिए है तब केंद्र सरकार ने मंदिर निर्माण समिति का गठन किया ।मोदी और भाजपा का मंदिर निर्माण में कोई योग दान नही है ।भाजपा ने तो राम मंदिर के नाम पर देश भर से हजारों करोड़ का चंदा एकत्रित किया जिसका आज तक कोई हिसाब नही दिया ।

कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि मोदी भाजपा ,आरएसएस के किसी भी नेता का यह नैतिक अधिकार नही की वे श्री राम मंदिर का शिलान्यास करे ।श्री राम मंदिर के शिलान्यास का अधिकार राम भक्तो ,साधु संतों का है भाजपा और मोदी अपनी राजनीति चमकाने सन्तो का हक छीन रहे है।

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विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत के मुख्य आतिथ्य, राजस्व एवं आपदा प्रबंधन तथा जिले के प्रभारी मंत्री श्री जयसिंह अग्रवाल की अध्यक्षता तथा सांसद श्रीमती ज्योत्स्ना महंत के विशिष्ट आतिथ्य में आज मरवाही में आयोजित कार्यक्रम में अनुविभागीय दंडाधिकारी कार्यालय मरवाही का शुभारंभ किया गया।

विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत ने इस अवसर पर उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए कहा कि मरवाही के लिए यह अत्यंत हर्ष एवं गौरव का क्षण है कि मरवाही में अनुविभागीय दंडाधिकारी कार्यालय का शुभारंभ किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिला बनाने की बहुप्रतीक्षित मांग को छत्तीसगढ़ की सरकार ने पूरा किया और आज एसडीएम कार्यालय के शुभारंभ से मरवाही के निवासियों को एक नई सौगात मिली है। अब मरवाही के निवासियों को राजस्व प्रकरणों के निराकरण सम्बन्धी कार्यों के लिए दूर नहीं जाना पड़ेगा और उनका कार्य शीघ्रता से हो पायेगा। उन्होंने कहा कि एसडीएम कार्यालय स्थापित हो जाने से मरवाही क्षेत्र के विकास को गति मिलेगी।

प्रभारी मंत्री श्री जयसिंह अग्रवाल ने कहा कि यह अत्यंत हर्ष का विषय है कि मरवाही अनुविभागीय कार्यालय की शुभारंभ से मरवाही क्षेत्र की जनता की लंबे समय से की जा रही मांग को पूरा करने का सौभाग्य उन्हें प्राप्त हुआ है। मरवाही क्षेत्र संसाधनों की दृष्टि से समृद्ध है तथा यहां औषधियों, वन्य संपदा की विविधता है। अनुविभागीय दण्डाधिकारी कार्यालय के प्रारंभ होने से निश्चित तौर पर क्षेत्र के विकास को गति मिलेगी। उन्होंने निमधा में उप तहसील प्रारंभ करने की घोषणा की तथा मरवाही में नया तहसील कार्यालय निर्माण की घोषणा भी की।

सांसद श्रीमती ज्योत्स्ना महंत ने जनसमूह को संबोधित करते हुए कहा कि गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिले के गठन की क्षेत्रवासियो की मांग को राज्य सरकार ने पूर्ण किया। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल द्वारा दी गई इस सौगात से नए जिले में विकास के दरवाजे खुले है। उन्होंने कहा कि एसडीएम कार्यालय के शुभारंभ से विकास की गति तीव्र होगी।

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कलेक्टर श्री डोमन सिंह ने अपने स्वागत भाषण में कहा कि प्रभारी मंत्री श्री जयसिंह अग्रवाल ने कुछ दिन पूर्व मरवाही भ्रमण के दौरान नए अनुविभाग की घोषणा की थी। जिसका बहुत जल्द अमलीजामा पहनाकर आज शुभारंभ हो रहा है। वन संपदा से परिपूर्ण एवं नैसर्गिक सुन्दरता की हरी चादर ओढ़े इस अनुविभाग के अंतर्गत एक उप तहसील के साथ-साथ 04 राजस्व निरीक्षक मंडल, 34 पटवारी हल्के एवं 86 राजस्व ग्राम मरवाही अनुविभाग बनने पर शासकीय कार्यों में कसावट आएगी तथा क्षेत्र के सभी वर्ग के लोग लाभान्वित होंगे।

इस अवसर पर एक करोड़ 67 लाख 78 हजार रूपए के निर्माण कार्यों का भूमिपूजन किया गया। जिसमें 89 लाख 91 हजार रूपए की लागत से 9 ग्राम पंचायतों में उचित मूल्य की दुकान, 24 लाख 12 हजार रूपए की लागत से 4 ग्राम पंचायतों में 12 नग चबूतरा निर्माण, 32 लाख 25 हजार रूपए की लागत से 5 ग्राम पंचायतों में आंगनबाड़ी केन्द्र निर्माण, 21 लाख 50 हजार की लागत से 10 ग्राम पंचायतों में रंगमंच निर्माण शामिल हैं।

इस अवसर पर ग्रामीणों को शासन की विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत हितग्राहीमूलक सामग्रियों का वितरण किया गया। स्वास्थ्य विभाग द्वारा 5 हितग्राहियों को मच्छरदानी वितरण, उद्यान विभाग द्वारा 5 हितग्राहियों को फलदार पौधे, खाद्य विभाग द्वारा 10 हितग्राहियों को नवीन राशनकार्ड वितरण, स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा 6 छात्र-छात्राओं को निःशुल्क सायकल एवं पाठ्यपुस्तक वितरण, समाज कल्याण विभाग द्वारा 14 हितग्राहियों को श्रवण बाधित यंत्र, व्हील चेयर, छड़ी एवं वाकर, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा 6 हितग्राहियों को प्रधानमंत्री आवास, 5 हितग्राहियों को मुख्यमंत्री पेंशन, राजस्व विभाग द्वारा 4 किसानों को किसान किताब, महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा 5 आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को गैस सिलेण्डर, 10 हितग्राहियों को वन अधिकार पत्र का वितरण किया गया। इस अवसर पर बिलासपुर विधायक श्री शैलेश पाण्डेय, सोनहत विधायक श्री गुलाब कमरो सहित अन्य जनप्रतिनिधिगण तथा अधिकारीगण एवं बड़ी संख्या में गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

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