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detail news only from Chhattishgarh ,dated: ७ अक्टूबर २०२०

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मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने आज यहां अपने निवास कार्यालय मं छत्तीसगढ़ स्टेट पॉवर डिस्टीब्यूशन कंपनी के ‘‘मोर बिजली एप’’ के नये फीचर्स का शुभारंभ किया। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ देश का ऐसा पहला राज्य है, जहां विद्युत वितरण कम्पनी द्वारा उपभोक्ताओं को विद्युत सेवाओं का घर बैठे लाभ मुहैया कराने के लिए मोर बिजली मोबाइल एप लॉन्च किया गया है। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने इसके लिए सीएसपीडीसीएल के इस प्रयास की सराहना की। उन्होंने कहा कि उपभोक्ताओं को इससे बड़ी सहूलियत मिलेगी। विद्युत उपभोक्ता इस एप के जरिए विद्युत वितरण कम्पनी की 90 फीसद से अधिक सेवाओं का घर बैठे लाभ प्राप्त कर सकते हैं। यह एप विद्युत संबंधित किसी भी समस्या का भी मददगार साबित होगा।

मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने आगे कहा कि अब उपभोक्ताओं को बिजली दफ्तर पर चक्कर लगाने की जरूरत नहीं होगी। इससे श्रम, समय और पैसे की बचत होगी। उन्होंने विद्युत वितरण कम्पनी के अधिकारियों को बधाई और शुभकामनाएं देते हुए कहा कि इस एप के जरिए विद्युत कम्पनी की मैदानी टीम को काम करने में आसानी होगी। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर कहा बिजली उत्पादन, पारेषण एवं वितरण को उन्नत बनाने के लिए पॉवर कंपनी द्वारा नवीनतम तकनीक को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसका एक आदर्श उदाहरण ‘‘मोर बिजली एप’’ भी है। इस निःशुल्क सुविधा का लाभ लेने के लिए उपभोक्ताओं को इसे अपने मोबाईल पर डाउनलोड करना चाहिए। कार्यक्रम में नगरीय प्रशासन मंत्री डॉ. शिव कुमार डहरिया, स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम, मुख्यमंत्री के अपर सचिव एवं पावर कम्पनीज के चेयरमैन श्री सुब्रत साहू, एम.डी. सर्वश्री हर्ष गौतम, राजेश वर्मा, एम. के. बिजौरा, श्रीमती उज्जवला बघेल एवं अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

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इस एप को गूगल प्ले स्टोर से निःशुल्क डाउनलोड किया जा सकता है। इस एप के जारिए लोग घर बैठे 16 से अधिक प्रकार के विद्युत संबंधी कार्यों का निपटारा कभी भी किसी भी समय कर सकते हैं। इस एप में शामिल नया फीचर ‘‘आपातकालीन शिकायत’’ विद्युत दुर्घटना की घड़ी में उपभोक्ताओं की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण सिद्ध होगा। कहीं टूटे बिजली के तार या अन्य क्षतिग्रस्त विद्युत प्रणाली की फोटो खींचकर अपातकालीन शिकायत के अपलोड बटन को दबाने पर एसएमएस के द्वारा संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय के अधिकारी को लोकेशन की सूचना मिल जाएगी और बिजली तार या क्षतिग्रस्त उपकरण दुरूस्त कर लिए जाएंगे। शिकायत दाता को इसकी सूचना भी मिल जाएगी। इसके अलावा मीटर, नाम परिवर्तन, शिफ्टिंग, नया कनेक्शन, भार वृद्धि, टेरिफ परिवर्तन, बिल भुगतान, बिजली बिल हाफ योजना से प्राप्त छूट, बिजली बिल की गणना आदि कार्य घर बैठे ही की जा सकेगी।

मोर बिजली एप की खासियत

मोर बिजली एप के जरिए हर उपभोक्ता का मोबाईल बिजली दफ्तर बन जाएगा। इसके द्वारा बिजली बंद की शिकायत दर्ज करने पर बिजली मिस्त्री गूगल मैप के सहारे उपभोक्ता के परिसर तक पहुंच सकता है। बिजली की आपातकालीन शिकायत इस एप से करने पर जीपीआरएस लोकेशन की सूचना मिल जाती है और विद्युत दुर्घटना रोकने आपातकालीन शिकायत दूर करने सुधार दल स्थल पर जल्दी ही पहुंच जाता है। मीटर शिफ्टिंग, नाम परिवर्तन, निम्नदाब बिजली कनेक्शन, भार वृद्धि-कमी हेतु बिजली दफतर जाये बिना इस एप से ऐसे कार्य पूर्ण हो जाते हैं। उपभोक्तागण अपने सहित अन्य 04 विद्युत कनेक्शन के बिल को इस एप के माध्यम से अपने मोबाईल पर देख सकता है। बिल का भुगतान ऑनलाईन कर सकता है। उपभोक्तागण पिछले दो वर्षों में खपत किये गये बिजली की यूनिट्स तथा उसके भुगतान की भी जानकारी इस एप से ले सकते हैं। बिजली बिल में गड़बड़ी की आशंका होने पर उपभोक्तागण इस एप से वर्तमान में लागू बिजली की दर को देखकर स्वयं सही बिजली बिल की गणना कर सकते हैं। मीटर रीडिंग गड़बड़ी सुधारने हेतु उपभोक्तागण मीटर की रीडिंग की फोटो खींचकर इस एप के द्वारा बिजली दफ्तर में भेजकर आसानी से सुधार करवा सकते हैं।

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छत्तीसगढ़ विद्युत वितरण कम्पनी के मोर बिजली एप के जरिए विद्युत सेवाएं सहजता से उपभोक्ताओं को उपलब्ध होंगी। विद्युत संबंधी कई कार्य आसानी से घर बैठे किए जा सकेंगे। उपभोक्ताओं को बिजली संबंधी कार्याें के लिए दफ्तर का चक्कर लगाने की जरूरत नहीं होगी। इससे श्रम, समय और पैसे की बचत होगी। उपभोक्ताओं के लिए उनका मोबाइल ही बिजली दफ्तर बन जाएगा। इस सुविधा का लाभ लेने के लिए उपभोक्ताओं को गूगल एप में जा कर मोर बिजली एप को डाउन लोड कर रजिस्ट्रेशन करना होगा। इस एप के माध्यम से बिजली बंद की शिकायत, बिजली बिल भुगतान जैसी कई सुविधाएं ऑनलाइन मिलेंगी।

मोर बिजली एप के जरिए बिजली बंद होने की शिकायत दर्ज कराते ही बिजली विभाग के संबंधित फ्यूज कॉल सेंटर के कंप्यूटर के स्क्रीन में शिकायत दर्ज हो कर ऑपरेटर को दिखने लगेगी साथ ही उपभोक्ता को एसएमएस के द्वारा शिकायत के पंजीकरण की जानकारी भी मिल जाएगी। गूगल मैप के सहारे बिजली मिस्त्री सीधे उपभोक्ता के परिसर तक पहुंच जाएगा। बिजली सुधार होते ही उपभोक्ता को एसएमएस से सूचना मिल जाएगी। ट्रांसफार्मर से संबंधित शिकायत आते ही सिस्टम स्वतः ट्रांसफार्मर की जांच हेतु शिकायत को संज्ञान में लेकर संबंधित को एसएमएस के द्वारा सूचित करेगा, इससे सुधार कार्य जल्दी हो सकेंगे। विद्युत सुधार संबंधी कार्याें को तत्परता से पूरा कराने हेतु संबंधित दल के अधिकारियों-कर्मचारियों को प्रोत्साहित करने हेतु अंक आधारित व्यवस्था भी लागू की है। उदाहरण के लिये बिजली बन्द की शिकायत यदि 4 घंटे में सुधरती है तो संबंधित अधिकारी एवं टीम के कर्मचारियों को उनके परफॉमेंस के लिए 10 अंक मिलेंगे और इसमें विलंब होने पर कम अंक मिलेंगे। निर्धारित समय से पहले शिकायत का निराकरण होने पर बोनस अंक का प्रावधान भी कर्मचारियों एवं अधिकारियों के लिये है। इस से अधिकारियों-कर्मचारियों के कार्याें का मूल्यांकन होगा। काम-काज में अनुशासन को बढ़ावा मिलेगा। उपभोक्ता सेवा में सुधार आएगा। उपभोक्ता अब एप पर मिली सेवा की रेटिंग भी दे सकेंगे।

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मोर बिजली एप के आपातकालीन शिकायत में सीधे जा कर मौके में टूटे तार की फोटो खींचना है और अपलोड बटन को दबा कर अपलोड करने से उसी क्षण एसएमएस के द्वारा सीधे संबंधित को मौके की जीपीआरएस लोकेशन की सूचना मिल जावेगी। जीपीआरएस लोकेशन के आधार पर सुधार दल गूगल मैप से सीधे मौके पर पहुंच जाएगा। उपभोक्ता अब अपना स्वयं एवं अपने सबंधित अन्य 4 विद्युत कनेक्शन के विद्युत बिल को सीधे मोबाइल पर देख सकता है और वहीं बिल का ऑनलाइन भुगतान भी कर सकता है। भुगतान केंद्र जाने और लाईन में लग अपने बारी की प्रतीक्षा की अब जरूरत नहीं, सीधे मोबाइल से ऑन लाइन भुगतान की सविधा है।

छत्तीसगढ़ सरकार की महती बिजली बिल हॉफ योजना से मिल रहा लाभ अब मोबाइल के मोर बिजली एप में सीधे जा कर देखा जा सकता है। इस योजना ने घरेलू विद्युत उपभोक्ताओं को बहुत बड़ी राहत दी है। इस योजना से वर्तमान में छत्तीसगढ़ के लगभग 38 लाख उपभोक्ता सीधे आधा बिजली बिल का लाभ पा रहे हैं। इसके अलावा पिछले दो वर्षों में खपत हुए यूनिट्स को माहवार जाना जा सकता है। इन दो वर्षों में किये गये भुगतान को भी देखा जा सकता है। घरेलू उपभोक्ता अब अपना बिजली बिल की गणना को स्वतःही देख और समझ पाएंगे। वर्तमान में लागू टेरिफ की जानकारी भी मोर बिजली से मिलेगी।

उपभोक्ता अब अपने खुद के मीटर की रीडिंग की फोटो खींच कर बिजली दफ्तर को मोर बिजली एप के द्वारा भेज सकेंगे, ताकि मीटर रिडिंग संबंधित शिकायतों का निदान आसानी से किया जा सके। उपभोक्ता अब नये निम्न दाब बिजली कनेक्शन का आवेदन, निम्न दाब के वर्तमान बिजली कनेक्शन में लोड बढ़ाने या घटाने संबंधी आवेदन भी इस एप के जरिए दे सकेंगे। उपभोक्ता अब वर्तमान निम्न दाब बिजली कनेक्शन से संबंधित नाम परिवर्तन, टेरिफ परिवर्तन, मीटर शिफ्टिंग संबंधित आवेदन, बिना बिजली दफ्तर जाये, सीधे मोर बिजली एप से आसानी से कर सकेंगे।

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इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के अंतर्गत संचालित कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केन्द्र, रायगढ़ के मसाला अनुसंधान केन्द्र को वर्ष 2019-20 के लिए भारत के सर्वश्रेष्ठ मसाला अनुसंधान केन्द्र के रूप में सम्मानित किया गया है। रायगढ़ केन्द्र को यह सम्मान हल्दी, अदरक, धनिया, मेथी, अजवाइन आदि मसाला फसलों की नई किस्मों के विकास, फसल सुधार, अनुसंधान एवं विस्तार हेतु दिया गया है। यह केन्द्र प्रदेश के आदिवासी किसानों के उत्थान हेतु उनके खेतों में मसाला फसलों की विभिन्न किस्मों के प्रदर्शन भी आयोजित कर रह है। केन्द्र को यह सम्मान अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना ’मसाला’ की 31वीं वार्षिक कार्यशाला के अवसर पर प्रदान किया गया।

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गौरतलब है कि कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केन्द्र, रायगढ़ में मसाला अनुसंधान के लिए वर्ष 1996 में समन्वित मसाला अनुसंधान केन्द्र की स्थापना की गई थी तब से इस केन्द्र के माध्यम से मसाला अनुसंधान हेतु अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना का संचालन किया जा रहा है। परियोजना के वैज्ञानिक राज्य के प्रमुख मसाला फसलों जैसे हल्दी, अदरक, धनिया, मेथी, अजवाइन और निगेला पर फसल सुधार और रोग प्रतिरोधकता हेतु अनुसंधान कार्य कर रहे हैं। कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केन्द्र, रायगढ़ के मसाला अनुसंधान केन्द्र द्वारा हल्दी, अदरक, आमी अदरक, मेथी और निगेला में अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परीक्षणों में विभिन्न फसलों की अनेक प्रजातियों का योगदान दिया गया है। केन्द्र द्वारा विकसित धनिया की दो किस्मों सी.जी धनिया-1 को छत्तीसगढ़ राज्य हेतु एवं सी.जी श्री चन्द्रहासिनी धनिया-2 को छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, राजस्थान, बिहार, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, गुजरात, उत्तराखंड, आंध्रप्रदेश एवं तमिलनाडु राज्यों के लिए वर्ष 2019 में जारी तथा अधिसूचित किया गया है। वर्तमान में केन्द्र द्वारा विकसित हल्दी की दो नवीन किस्मों सी.जी. हल्दी-1 एवं सी.जी. हल्दी-2 को छत्तीसगढ़ राज्य किस्म बीज उपसमिति द्वारा जारी करने के लिए पहचान किया गया है। इस नवीन किस्म को राज्यों के लिए अधिसूचित करने का प्रस्ताव सी.वी.आर.सी. नई दिल्ली के समक्ष विचाराधीन है। छत्तीसगढ़ राज्य किस्म बीज उपसमिति द्वारा राज्य हेतु केन्द्र की पहली अजवाइन की किस्म सी.जी. अजवाइन-1 की भी पहचान की गई है। परियोजना के वैज्ञानिक डॉ. ए.के. सिंह एवं डॉ. श्रीकांत सवरगांवकर ने हल्दी और अदरक के उत्पादन हेतु कम लागत वाली ‘‘प्रकंद गुणा फसल उत्पादन एवं संरक्षण’’ नामक नवीन तकनीक का विकास किया है जो किसानों के लिए लाभदायी साबित होगी।

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राज्य में आज रात 08.00 बजे तक 2888 कोरोना पॉजिटिव मिले हैं। इनमें सबसे अधिक 377 रायपुर जिले से हैं। राज्य के स्वास्थ्य विभाग के इन आंकड़ों के मुताबिक आज रात तक 10 जिलों में सौ-सौ से अधिक कोरोना पॉजिटिव मिले हैं।राज्य शासन के स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के मुताबिक दुर्ग 153, राजनांदगांव 167, बालोद 72, बेमेतरा 29, कबीरधाम 75, रायपुर 377, धमतरी 56, बलौदाबाजार 87, महासमुंद 39, गरियाबंद 42, बिलासपुर 155, रायगढ़ 250, कोरबा 143, जांजगीर-चांपा 319, मुंगेली 28, जीपीएम 11, सरगुजा 87, कोरिया 76, सूरजपुर 45, बलरामपुर 30, जशपुर 18, बस्तर 184, कोंडागांव 63, दंतेवाड़ा 138, सुकमा 33, कांकेर 109, नारायणपुर 32, बीजापुर 68 अन्य राज्य 2 कोरोना पॉजिटिव मिले हैं।







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कलेक्टर डॉ. एस.भारतीदासन के निर्देशानुसार कृषि विभाग के जिला स्तरीय पेस्ट सर्विलेंस दल के द्वारा ग्राम कोहका, घुलघुल, देवरी, नेवरा, सासाहोली, बेमता, भूमिया, अटारी, जरवाय आदि के कृषकों के खेतों का निरीक्षण किया गया। वर्तमान में धान की शीघ्र पकने वाली फसल की किस्में जैसे– MTU 1010, महामाया, राजेश्वरी आदि पकने की अवस्था में है।देर से पकने वाली किस्में जैसे- स्वर्णा, BPT 5204, MTU 1001 आदि गबोट अवस्था में है। धान में वर्तमान में तनाछेदक, गंधीबग, भुरामाहो, पैनिकल माईट आदि कीटों का प्रकोप देखा गया। इसी प्रकार धान फसल में बैक्टीरियल लिफ ब्लाईट, ब्लास्ट, सिथ ब्लाईट, फॉल्स स्मट आदि बीमारियों का प्रकोप देखा गया है। कृषकों को स्थल पर ही बीमारी नियंत्रण के उपाय बताये जा रहे है। इसके अतिरिक्त चारो विकासखंडों के मैदानी अधिकारी और कर्मचारियों द्वारा कीटव्याधि पर सतत् निगरानी हेतु निर्देश दिये गये हैं।

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उप संचालक कृषि द्वारा नगर निगम रायपुर क्षेत्र के गौठान ग्राम-फुन्डहर, अमलीडीह एवं अटारी का निरीक्षण किया गया। गोधन न्याय योजनांतर्गत पशुपालकों से क्रय किये गये गोबर से वर्मी कम्पोस्ट निर्माण, गोबर से गमला एवं गोबर से लकड़ी निर्माण हेतु महिला स्व सहायता समूहों से चर्चा की गयी। इसके बाद ग्राम-जरवाय के कृषि प्रक्षेत्रों का निरीक्षण कर कीटव्याधि के संबंध में किसानों को कीट एवं बीमारियों के उपचार की जानकारी दी गयी।इसी तरह कृषि आदानों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने हेतु जिले में टीम गठित कर बीज, उर्वरक एवं कीटनाशक निर्माता एवं विक्रेता परिसरों का निरीक्षण कर नमूना, गुणवत्ता परीक्षण हेतु शासन द्वारा अधिसूचित गुण नियन्त्रण प्रयोगशाला प्रेषित किया जा रहा है। किसान खेतों में कीटव्याधि के प्रकोप होने पर कृषि अधिकारियों के बिना अनुशंसा के रासायनिक दवाईयों का उपयोग न करें। गलत कीटनाशकों के प्रयोग से कीटों में प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि हो जाती है। रासायनिक कीटनाशकों का सही समय, सही दवा एवं सही विधि का उपयोग करें।कीट बीमारी आदि के संबंध में समसामयिक सलाह हेतु जिला स्तर पर स्थापित नियंत्रण कक्ष के दूरभाष नंबर 0771-2435746 पर सम्पर्क कर सकते है।

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मन सिंह सरकार में नक्सलियों के मददगार रहे भाजपा नेता पदाधिकारी के पकड़े जाने से साबित हो चुका है कि, बस्तर की दुर्दशा के गुनाहगार पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ही हैं। छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता घनश्याम राजू तिवारी ने पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह के राज्यपाल महोदय को लिखे गए पत्र पर झूठे तथ्य, गुमराह करने की बात कहते हुए पलटवार किया है कि, बस्तर में 15 साल में निर्मित परिस्थितियों के लिये रमन सिंह ही जिम्मेदार है। कांग्रेस सरकार बनने के बाद बस्तर में स्थितियों का बेहतर होना और जनजीवन का सुरक्षित होना रमन सिंह से बर्दाश्त नहीं हो रहा है।

कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा आंकड़े बताते हैं कि, रमन सिंह जी के 15 साल अपनी गलत नीतियों के कारण छत्तीसगढ़ में माओवाद को खाद पानी देने और फलने-फूलने के लिये जिम्मेदार रहे। अचानक रमन सिंह जागकर राज्यपाल को पत्र लिखते है जो कि भूपेश सरकार पर लगाए गए आरोप तथ्य विहीन बेबुनियाद है, रमन सिंह के 15 साल के शासन काल में दक्षिण बस्तर 3 ब्लाक तक सीमित माओवाद ने बढ़ते-बढ़ते प्रदेश के 14 जिलों को अपने गिरफ्त में ले लिया। झीरम, पेद्दागेल्लूर, सारकेगुड़ा, चिंतागुफा और ताड़मेटला जैसी घटनायें हुयी। रमन सिंह सरकार में 15 वर्ष में (औसत 73 से अधिक प्रतिवर्ष) 1099 सुरक्षा बलों के जवान-अधिकारी शहीद हुये और 1442 नागरिक (औसत 96 से अधिक प्रतिवर्ष) मारे गये। जबकि कांग्रेस की सरकार में 2019 में 21 और 2020 में 32 सुरक्षा बलों के जवान-अधिकारी कुल 53 (औसत 27 से भी कम प्रतिवर्ष) और 2019 में 46 और 2020 में 39 कुल 85 नागरिक (औसत 43 से भी कम प्रतिवर्ष)। रमन सिंह द्वारा झूठे आंकड़ों और दावों के साथ पेश करना कोरा गुमराह करने वाले तथ्य है।

प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता घनश्याम राजू तिवारी ने कहा ने कहा है कि रमन सिंह की खुद की सरकार में तो लगातार माओवाद का विस्तार हुआ और माओवाद का विस्तार करने वाले कारणों को बढ़ावा दिया गया और उसके बाद कांग्रेस सरकार बनने के बाद भाजपा की केन्द्र सरकार ने सीआरपीएफ के बटालियनों को यहां से हटा लिया। अब वे बटालियन खाली हो गयी है, लेकिन रमन सिंह जैसे छत्तीसगढ़ विरोधी नेताओं के कारण इन बटालियनों को यहां अभी तक नहीं भेजा गया है।

प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता घनश्याम राजू तिवारी ने कहा है कि रमन सिंह जी जैसे कांग्रेस सरकार को जिम्मेदार ठहराने के लिये चिट्ठी लिखने वाले नेता अपने गिरेबान में झांक कर देखें। रमन सिंह जिम्मेदार है छत्तीसगढ़ में माओवाद विस्तार के लिये, माओवाद के फलने-फूलने के लिये। छत्तीसगढ़ में माओवाद के बढ़ने के लिये भाजपा सरकार की गलत नीतियां और भाजपा के नेताओं की माओवादियो से मिलीभगत जिम्मेदार रही है। कांग्रेस ने तो अपनी पूरी पीढ़ी को गंवाया है, माओवादियों के हाथों। रमन सिंह को ये पत्र लिखने के पहले अपने गिरेबान में झांककर देखना चाहिये। सारकेगुड़ा की जो रिपोर्ट सामने आई थी उससे छत्तीसगढ़ का हर संवेदनशील नागरिक शर्मिंदगी महसूस कर रहा है लेकिन भाजपा के माथे पर शिकन तक नहीं आई। यह घटना उनके कार्यकाल की है और आयोग का गठन भी उन्हीं की सरकार ने किया था।

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छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा है कि किसानों की झूठी चिंता करने से पहले भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय, पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह और भाजपा नेता पहले यह बता दें कि वे किसानों को समर्थन मूल्य और बोनस देने के पक्ष में हैं या नहीं?

किसानों से 20 क्विंटल धान ख़रीदी की मांग पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा है कि इसी भाजपा ने सरकार में रहते हुए किसानों से सिर्फ़ 10 क्लिंटल धान ख़रीदने का फ़ैसला किया था। कांग्रेस के नेतृत्व में किसानों के आंदोलन के बाद ही सरकार 15 क्विंटल धान ख़रीदने के लिए बाध्य हुई थी। उन्होंने कहा है कि भाजपा ने हर साल धान का 300 रुपए बोनस देने की बात कही थी लेकिन किसानों को बोनस सिर्फ़ चुनावी साल में मिल पाया। 2100 रुपए समर्थन मूल्य दिलाने का वादा तो भाजपा कभी पूरा ही नहीं कर पाई।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने पूछा है कि केंद्र की भाजपा सरकार ने जब केंद्र की सरकार ने छत्तीसगढ़ सरकार से कह दिया कि अगर किसानों को बोनस दिया गया तो केंद्र सरकार राज्य से चावल नहीं लेगी तब भाजपा के किसी नेता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से नहीं कहा कि बोनस दिया जाना चाहिए। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बताएं कि प्रदेश से चुनकर गए किस सांसद ने केंद्र सरकार के सामने यह बात उठाई थी कि किसानों का बोनस मिलना ही चाहिए।

उन्होंने कहा है कि किसानों को धान का 2500 रुपए प्रति क्विंटल भुगतान करने के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ‘राजीव गांधी किसान न्याय योजना’ शुरु की और सुनिश्चित किया कि किसानों का नुक़सान न हो। लेकिन केंद्र की मोदी सरकार ने तो तीन काले क़ानून बनाकर किसानों का अहित सुनिश्चित कर दिया है। उन्होंने कहा है कि केंद्र सरकार की समर्थन मूल्य ख़त्म करने की साज़िश पर भाजपा नेता चुप हैं। न वे मंडियों और सहकारी समितियों को ख़त्म करने पर कुछ कह रहे हैं और न ठेका खेती शुरु करने पर कुछ कह रहे हैं।

भाजपा नेताओं के बयान को घड़ियाली आंसू बताते हुए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा है कि भाजपा नेता पहले तय कर लें कि वे प्रदेश के किसानों के साथ खड़े हैं या नहीं फिर वे बयान दें। अगर वे प्रदेश के किसानों के हक़ में सोच रहे हैं तो उन्हें तीनों काले कानूनों का विरोध करना चाहिए और केंद्र सरकार से कहना चाहिए कि वह यह घोषणा करे कि न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी से कम दरों पर किसी भी कृषि उत्पाद की ख़रीदी को क़ानूनन अपराध घोषित किया जाएगा।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा है कि चंद उद्योगपति मित्रों के लिए कालाबाज़ारी और जमाखोरी को बढ़ावा देने वाले क़ानून बनाने वाली मोदी सरकार और भाजपा का सच किसान भली भांति समझ रहे हैं। वे जानते हैं कि कौन सी सरकार और कौन सी पार्टी किसानों के पक्ष में खड़ी है।

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जशपुर में लोकसभा सांसाद गोमती साय ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि हाथरस मामले में राहुल गांधी और प्रियंका गांधी न्याय मांगने गए थे तो यहां भी आएं। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार की करतूतों का हिसाब लें। उनके आने – जाने का खर्च मैं दूंगी । राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहे जाने वाली विलुप्तप्राय जनजाति की बेटी की हत्या की गई है, एक आरोपी को गिरफ्तार करके मामले को ठंडा करने का प्रयास किया जा रहा है । जबकि परिस्थितियां कह रही हैं कि हत्या में और भी लोग शामिल हैं। गोमती साय सोनक्यारी थाना इलाके में रह रहे आदिवासी परिवार से मिलने पहुंची थीं। दरअसल इस परिवार की एक युवती ने 31 अगस्त को खुदकुशी कर ली थी। परिजनों का आरोप है कि उनकी बेटी के साथ दुष्कर्म किया गया और उसकी हत्या हुई थी।

मामला आदिवासी युवती का होने की वजह से अब तूल पकड़ रहा है। एक दिन पहले ही राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के पूर्व अध्यक्ष नंदकुमार साय ने मृतिका के परिजनों से मुलाकात की थी। इसके बाद आयोजित एक प्रेस कांफ्रेंस में साय ने पुलिस प्रशासन और प्रदेश सरकार पर आरोप की बौछार कर दी। उन्होंने इस पूरे मामले को धर्मांतरण और मानव तस्करी से जोड़ते हुए, जांच के लिए एसआईटी के गठन की मांग की है। नंदकुमार साय ने इस मामले में कहा है कि मृतिका के पोस्टमार्टम में भी घोर लापरवाही बरती गई है। यही कारण है कि पुलिस ने मृतिका का दूसरी बार पोस्टमार्टम कराने के लिए उसके कब्र को खोद कर नमूना लिया है। मामले की सच्चाई उजागर करने के लिए पुलिस की जांच पर अविश्वास जताते हुए एसआईटी गठन करने की मांग की है।

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उल्लेखनीय है की 31 अगस्त को खबर आई कि पहड़ी कोरवा आदिवासी समुदाय की युवती ने खुदकुशी कर ली। सूत्र बताते हैं कि युवती का किसी सुशील मिंज नाम के युवक से प्रेम संबंध था। इस बात का खुलासा तब हुआ जब युवती गर्भवती हो गई। युवती पर बच्चा गिराने का दबाव बनाया जाने लगा। इस बीच उसकी मौत हो गई। परिवार वालो ने इसे हत्या और दुष्कर्म का केस बताया हालांकि आधिकारिक तौर पर अब तक इसे आत्महत्या के केस के तौर पर देखा जा रहा है। सियासी लोगों के दखल के बाद पुलिस ने मामले में एफआईआर दर्ज की है। केस की जांच जारी है।

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भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता संजय श्रीवास्तव ने कहा है कि प्रदेश भर में रेत के काले कारोबार ने जहाँ भ्रष्टाटार की सारी हदें लांघ ली हैं, वहीं दूसरी ओर क़ायदे-क़ानूनों की भी खुलेआम धज्जियाँ उड़ाकर रेत माफिया अपने आतंक का समानांतर राज चला रहे हैं। श्री श्रीवास्तव ने कहा कि राजनीतिक संरक्षण और प्रशासन की उदासीनता के चलते सरकारी खजाने को जमकर चूना लगाया जा रहा है। रेतघाटों में अवैध खनन से लेकर तस्करी तक में लगे माफिया बेख़ौफ़ फर्जी पास से नदी-नालों के किनारे से रेत से भरे ट्रक बेच रहे हैं। ज़ाहिर है, इतना बड़ा फर्जीवाड़ा बिना ‘ऊपरी संरक्षण’ के संभव नहीं है।

भाजपा प्रदेश प्रवक्ता श्री श्रीवास्तव ने कहा कि रेत के इस पूरे काले कारोबार में राजधानी के अलावा प्रदेश के अन्य ज़िलों में पकड़े गए कई ट्रकों से जो पीट पास जब्त हुए हैं, उन पर बाइक और स्कूटर के नंबर दर्ज हैं। इन दुपहिया वाहनों के नंबर पर 20 घनमीटर यानी 600 से 800 फीट रेत परिवहन के लिए पीट पास जारी किया गया है। श्री श्रीवास्तव ने कहा कि रेत के इस धंधे में शामिल सिंडीकेट में कई रसूखदारों की भागीदारी ने एक ओर जहाँ प्रशासन को ख़ामोश बैठने के लिए विवश कर रखा है, वहीं शासन के ज़िम्मेदार लोग एस गोरखधंधे को अपनी कमाई का जरिया बनाकर इन माफियाओं को संरक्षण दे रहे हैं। कार्रवाई के नाम पर केवल काग़जी खानापूर्ति की जा रही है। श्री श्रीवास्तव ने कहा कि रेत के इस काले कारोबार में सिर्फ़ रायपुर शहर में ही रोजाना 12 करोड़ रुपए के घालमेल की आशंका के बाद प्रदेश सरकार की विश्वसनीयता दाँव पर है।

भाजपा प्रदेश प्रवक्ता श्री श्रीवास्तव ने कहा कि रेत कारोबार में बिचौलियों की मनमानी से आम आदमी का दम निकलने लगा है और अपने घर का उसका सपना चूर-चूर हो रहा है। प्रति ट्रक रेत की कीमत पिछले दो माह में दुगुनी होकर 30 हज़ार रुपए तक जा पहुँची है और इसके चलते निजी व शासकीय निर्माण कार्यों की लागत बेहिसाब बढ़ गई है। श्री श्रीवास्तव ने आरोप लगाया कि रेत माफिया प्रदेश भर में गुंडाराज चलाकर मनमानी कर रहे हैं और जो उनके ख़िलाफ़ सामने आता है, उन्हें रेत माफिया हिंसा करके ख़ामोश करने पर उतारू रहते हैं। धमतरी में ज़िला पंचायत सदस्य खूबलाल ध्रुव पर जानलेवा हमला करने के आरोपी नागू चंद्राकर को ज़बरिया राजधानी के मेकाहारा अस्पताल में भर्ती करके विशेष सुविधाएँ देने में अपनी भूमिका पर उठे सवालों का कोई ज़वाब प्रदेश सरकार ने नहीं दिया है।

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कोविड-19 के लक्षणात्मक मरीजों की पहचान के लिए कोरोना सघन सामुदायिक सर्वे अभियान के पहले दिन 5 अक्टूबर को प्रदेश भर के छह लाख 81 हजार 609 घरों में सर्वे किया गया। अभियान के अंतर्गत ग्रामीण और शहरी इलाकों में मितानिन, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिका, बहुउद्देश्यीय स्वास्थ्य कार्यकर्ता, सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग तथा नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग का मैदानी अमला घर-घर जाकर कोविड-19 के संभावित मरीजों की जानकारी जुटा रहा है।

कोरोना सघन सामुदायिक सर्वे अभियान के पहले दिन स्वास्थ्य विभाग की विभिन्न टीमों ने जांजगीर-चांपा जिले में 66 हजार 855, रायगढ़ में 50 हजार 476, महासमुंद में 40 हजार 987, जशपुर में 40 हजार 762, राजनांदगांव में 35 हजार 904, रायपुर में 34 हजार 738, कबीरधाम में 34 हजार 658, कोरबा में 31 हजार 940, बिलासपुर में 29 हजार 060, बालोद में 24 हजार 983, दुर्ग में 24 हजार 529, कांकेर में 24 हजार 329, सूरजपुर में 24 हजार 118 और गरियाबंद में 22 हजार 843 घरों में पहुंचकर कोरोना के लक्षण वाले संदिग्ध मरीजों की जानकारी ली।

अभियान के तहत 5 अक्टूबर को धमतरी जिले में 22 हजार 179, मुंगेली में 20 हजार 321, कोंडागांव में 18 हजार 860, सरगुजा में 18 हजार 844, बलौदाबाजार-भाटापारा में 17 हजार 633, बलरामपुर-रामानुजगंज में 17 हजार 421, बेमेतरा में 15 हजार 798, कोरिया में 15 हजार 174, बस्तर में 15 हजार 171, सुकमा में दस हजार 939, गौरेला-पेंड्रा-मरवाही में आठ हजार 077, दंतेवाड़ा में सात हजार 133, बीजापुर में पांच हजार 336 तथा नारायणपुर में दो हजार 541 घरों में सर्वे किया गया। कोरोना संक्रमण की पहचान के लिए पूरे प्रदेश में यह सघन अभियान 12 अक्टूबर तक संचालित किया जाएगा।

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दक्षिण बस्तर क्षेत्र के नक्सल संगठन में निर्दोष ग्रामीणों की हत्याओं को लेकर हो रही आपसी मतभेद में बीते 1 महीने में (सितम्बर और अक्टूबर) जिला बीजापुर में अपनी संगठन के 6 साथियों को मार डाला है.बस्तर आईजी सुंदरराज पी ने बताया कि नई घटना बीजापुर जिले के पीडिया का है. जहां कुछ दिन पहले नक्सलियों ने अपने ही डिविजनल कमांडर की हत्या कर दी थी. अब 6 और नक्सली मोड़ियम विज्जा, कमलू पूनम, संदीप पुरसम, संतोष, लखमू हमला, दसरू मंडावी की खुद नक्सलियों ने ही हत्या कर दी है. ये सभी इनामी नक्सली थे. इसकी पुष्टि करते हुए बस्तर आईजी ने बताया कि आगे भी लगातार ऐसे मामले और बढ़ते रहेंगे क्योंकि अब जनता नक्सलियों की सच्चाई जान गई है और नक्सलियों का साथ देने से बच रही है. ऐसे में नक्सली ग्रामीणों को नुकसान पहुंचाने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन जो स्थानीय नक्सली ग्रामीणों का हित चाहते हैं और इस बात का विरोध करेंगे. जिससे नक्सलियों के बीच विवाद बढ़ेगा और ऐसे नक्सलियों के पास फिर आत्मसमर्पण के अलावा कोई और रास्ता नहीं बचेगा या फिर खुद वे अपने संगठन के हाथो मारे जाएंगे.

आईजी सुंदरराज पी ने आगे कहा कि बस्तर के अंदरूनी इलाकों में लगातार नक्सलियों का जनाधार कम होता जा रहा है और नक्सल संगठन से जुड़े स्थानीय कैडर आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा से जुड़ रहे हैं. जिससे नक्सलियों में बौखलाहट बढ़ती जा रही है और यहीं वजह है कि जो नक्सली ग्रामीणों के हित में बात कर करते हैं या संगठन को आत्मसमर्पण का संदेह हो रहा है. ऐसे नक्सलियों को खुद नक्सली मौत के घाट उतार रहे हैं.

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ये है इनामी नक्सली जिनकी हत्या हुयी है


DVC मोड़ियम विज्जा- पश्चिम बस्तर डिवीजन कमेटी सदस्य,निवासी कमकेली जिला बीजापुर (10 लाख रुपये का इनामी नक्सली)

लखु हेमला - माओवादी जनताना प्रभारी, साकिन पीड़िया थाना गंगालूर जिला बीजापुर (3 लाख रुपये का इनामी नक्सली)

संतोष - डीएकएमएस रेंज कमेटी अध्यक्ष,साकिन कावनारगट्टा जिला बीजापुर (3 लाख रुपये का इनामी नक्सली)

कमलू पुनेम- जनमिलिशिया कमाण्डर,पीड़िया क्षेत्र थाना गंगालूर जिला बीजापुर (1 लाख रुपये का इनामी नक्सली)

संदीप उर्फ बुधराम कुरसम- जनमिलिशिया प्लाटून सेक्शन कमाण्डर,साकिन सावनार जिला बीजापुर (1 लाख रुपये का इनामी नक्सली)

दसरू मण्डावी - जनताना सरकार अध्यक्ष, साकिन- डोडी तुमनार जिला बीजापुर (1 लाख रुपये का इनामी नक्सली)

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कोरबा जिले के कटघोरा में आज आसमानी बिजली गिरने से उसकी चपेट में आए 19 मवेशियों की मौके पर ही मौत हो गई। मॉनसून की बिदाई के साथ राज्य में एक द्रोणिका के सक्रिय होने से कम दबाव का क्षेत्र निर्मित हुआ है और इसके असर से पूरे राज्य में बारिश के हालात हैं। इसके साथ- साथ आसमानी बिजली का भी खतरा है। मौमस विभाग ने इसे लेकर चेतावनी भी जरी की है। बिजली गिरने और एक साथ इतने सारे मवेशियों की मौत से गांव में में हड़कंप मचा हुआ है।

कटघोरा विकासखंड के ग्राम पंचायत ढपढप के आश्रित ग्राम कसरेंगा में मंगलवार की शाम 4:15 बजे एकाएक बदले मौसम के बीच आकाशीय बिजली गिरी। जहां बिजली गिरी उसके आसपास गांव के मवेशी मौजूद थे। इस घटना में 19 मवेशियोंं की जान चली गई। खबर गांव में फैलते ही हड़कंप मच गया और इन पशुओं के मालिक, किसान दौड़े-भागे घटनास्थल पर पहुंचे। सूचना तत्काल कटघोरा तहसीलदार को दी गई। राजस्व अमला घटनास्थल पहुंच गया है।

इस प्राकृतिक घटना में इतने सारे मवेशियों के एक साथ मारे जाने से गांव के लोग काफी दुखी हैं। बताया जा रहा है कि यह सभी मवेशी वहां मैदान में घास चर रहे थे, इसी दौरान मौसम बिगड़ा और अचानक बिजली गिर गई। गनीमत यह है कि उस दौरान वहां कोई व्यक्ति मौजूद नहीं था। जहां बिजली गिरी उस जगह पर विष्फोट की तरह गड्ढा हो गया है। इस घटना से गांव में अब भी दहशत का माहौल है।

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पूरे राज्य में मौसम का मिजाज बिगड़ा हुआ है और कई जगहों से आसमानी बिजली गिरने की खबरें आ रही हैं। कोरबा में आकाशिय बजली से 19 मवेशियों की मौत के बाद राजनांदगांव में भी इसी तरह की घटना में दो मछुआरों की मौत हो गई। चिचोला तालाब में मछली निकालने पहुंचे दो मछुआरों की आकाशीय बिजली से मौत हो गई, वहीं दस मछुआरे घायल हो गए। घटना मंगलवार दोपहर करीब सवा एक से डेढ़ बजे के बीच की है, जब चिचोला में अचानक तेज गरज के साथ मूसलाधार बारिश शुरू हो गई। इसी बीच बिजली गिरी और वहां मौजूद कई लोग इसकी चपेट में आ गए। इनमें से दो की मौत हो गई।

मछली निकालने के लिए करीब 19 मछुआरे तालाब पहुंचे थे, लेकिन इससे पहले बारिश शुरू हो गई। बारिश से बचने तालाब किनारे महुआ पेड़ के नीचे झिल्ली बांधकर मछुआरे वहीं बैठे थे। तभी तेज गरज के बीच आकाशीय बिजली गिरी। इसकी चपेट में आने से खातूटोला रामपुर के भरोसो निषाद और नारायणगढ़ के रोहित निषाद की मौके पर मौत हो गई। करीब दस मछुआरे भी बिजली की चपेट में आए हैं। उन्हें उपचार के लिए छुरिया सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया है। खबर है कि सभी घायल मछुआरे खतरे से बाहर हैं।

मंगलवार को सुबह से धूप-छांव की स्थिति बनी रही। इस बीच चिचोला क्षेत्र में दोपहर करीब एक-डेढ़ बजे तेज गरज-चमक के साथ झमाझम बारिश हुई। करीब आधे-पौन घंटे तक मूसलाधार की तरह हुई बारिश ने लोगों को उमस और गर्मी से राहतनों की चिंता बढ़ा दी। तेज बारिश में फसलें खराब होने की संभावना बढ़ गई है। इसको लेकर क्षेत्र के किसानों में मायूसी देखी गई। वहीं तेज बारिश के बाद आकाशीय बिजली से दो मछुआरों की मौत ने भी अंचल में दहशत बढ़ा दी। बारिश थमने के बाद भी गरज और बादल ही चमक होती रही, जिसके चलते लोग शाम तक घरों में ही दुबके रहे। मछुआरों की मौत के बाद खातूटोला रामपुर और नारायणगढ़ गांव में मातम छा गया।

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