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detail news only from Chhattishgarh ,dated: ८ जून २०२०


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एम्स ने ट्वीट कर बताया कि सोमवार रात 8 बजे तक एम्स के वीआरडी लैब में किए गए परीक्षणों के दौरान 53 नमूने पॉजिटिव मिले हैं। इसमें रायपुर से 9, कोरबा से 14, कबीरधाम से 6, जांजगीर चांपा से 4, शहडोल से 1, रायगढ़ से 1, बलौदाबाजार 13 और राजनांदगांव से 5 सैम्पल पॉजिटिव मिले हैं।

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इसके पहले राज्य सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने रात ९ बजे ट्वीट कर 67 मरीजो की पुष्टि की

बता दें कि अब राज्य के 28 जिलों में कोविड अस्पताल बनाए जा रहे हैं. जिन्हें आगामी 10 जून तक तैयार कर दिया जाएगा. साथ ही टेस्टिंग क्षमता भी बढ़ाई जा रही है. टेस्टिंग क्षमता बढ़ाने के लिए प्रदेश में 3 हफ्तों का समय लग सकता है.

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प्रदेश में लगातार बढ़ते कोरोना पॉजिटिव केस के बीच एक बड़ी खबर सामने आ रही है। रायपुर पुलिस के दो जवान कोरोना पॉजिटिव मिले हैं। देश और प्रदेश में कोरोना वॉरियर्स के रूप में काम कर रहे पुलिसकर्मी, जवान, डॉक्टर, स्वस्थ्य विभाग के अन्य कर्मचारी, पत्रकार, सफाईकर्मी इसकी चपेट में आ रहे हैं।राजधानी में प्रधान आरक्षक के बेटे समेत पुलिस के दो जवान कोरोना संक्रमित पाए गए हैं. दोनों जवान की ड्यूटी सड्डू के कटेंटमेंट जोन में लगाई गई थी. आज के केस को मिलाकर अब प्रदेश में तीन जवान कोरोना पॉजिटव होने की पुष्टि की गई है.मंदिर हसौद थाने में पदस्थ प्रधान आरक्षक की रिपोर्ट हाल ही में कोरोना पॉजिटिव आई थी. इसके बाद आज उनके बेटे की रिपोर्ट भी पॉजिटिव आई है. वहीं मंदिर हसौद थाने में पदस्थ दो और पुलिस आरक्षक जिनकी ड्यूटी सड्डू कन्टेन्टमेंट ज़ोन में लगाई गई थी, उनकी रिपोर्ट भी पॉजिटिव आई है.

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इसके साथ ही प्रदेश में अब संक्रमित मरीजों की संख्या 1110 हो गई है. एक्टिव मरीजों की संख्या 837 हो गई है, जिसमें 266 मरीज पूरी तरह से ठीक होकर घर लौट चुके हैं, जबकि प्रदेश में अब तक 4 लोगों की मौत हो चुकी है.

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कोरोना वायरस में जकड़ते चले जा रहे छत्तीसगढ़ में अब मुश्किलें बढऩी शुरू हो गई है। संक्रमित मरीजों की संख्या 1,000 का आंकड़ा पार कर चुकी है। रोजाना औसतन साढ़े चार हजार सैंपल लैबों में जांच के लिए भेजे रहे हैं। और अब ये हांफ रही हैं। हालात यह है एम्स में स्थापित प्रदेश की सबसे बड़ी वायरोलॉजिकल लैब ने अब नए सैंपलों की जांच से हाथ खड़े कर दिए हैं। एम्स प्रबंधन ने स्वास्थ्य विभाग को साफ-साफ कह दिया है कि अगले 10 दिनों तक एक भी सैंपल न भेंजे। यही हाल दूसरी सरकारी लैबों का भी है। मगर, वे सरकार के अधीन है इसलिए उन कॉलेजों के डीन चुप्पी साधे हुए हैं।

सरकारी क्वारंटाइन सेंटर में 2.52 लाख श्रमिकों को रखा गया है। उनमें से संदिग्धों के सैंपल लिए जाते हैं। अगर, रिपोर्ट आने में हफ्ता, दो हफ्ता लगता है तो वह तो संक्रमित मरीज 'सुपर स्प्रेडर' बन जाएगा। और बनें भी हैं। क्वारंटाइन सेंटर में थोक में मिल रहे संक्रमित मरीज सरकार की इसी लापरवाही का परिणाम है कि रिपोर्ट बहुत देर से आ रही है।

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एम्स रायपुर के अनुसार एम्स ने साकार से कह दिया है "लैब में तीनों शिफ्ट में जांच चल रही है। आने वाले दिनों में क्षमता और बढ़ाई जाएगी। प्रतिदिन 2000 से ज्यादा सैंपल जांच कर रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग से कहा गया है कि सैंपल न भेंजे।"

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राज्यपाल अनुसुइया उइके ने आज राज्यपाल अनुसुइया उइके ने प्रदेश में कोविड-19 की स्थिति एवं उससे बचाव के उपायों एवं राज्य शासन के प्रयासों के संबंध में मुख्य सचिव सहित अन्य अधिकारियों की उच्चस्तरीय बैठक ली राज्यपाल अनुसुइया उइके ने आज राजभवन में प्रदेश में कोविड-19 की स्थिति एवं उससे बचाव के उपायों एवं राज्य शासन के प्रयासों के संबंध में मुख्य सचिव सहित अन्य अधिकारियों की उच्चस्तरीय बैठक ली. राज्यपाल ने छत्तीसगढ़ में किये जा रहे प्रयासों की सराहना की. उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में अभी भी अन्य राज्यों की तुलना में शासन के प्रयासों से कोरोना वायरस से बचाव के लिए बेहतर कार्य हुए हैं. राज्यपाल अनुसुइया उइके ने सामुदायिक संक्रमण से बचने के लिए फोर्स उपाय के निर्देश दिए.

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क्वारेंटाइन सेंटरों में अधिक से अधिक परीक्षण करने के अफसरों को निर्देश दिए. राज्यपाल ने कहा कि क्वॉरेंटाइन सेंटरों में महिलाओं, बच्चों, बुजुर्गों की बेहतर ढंग से देखभाल हो. सभी स्थानों में साफ-सफाई और भोजन-पेयजल की उचित व्यवस्था की जाए. प्रत्येक सेंटर में महिलाओं के लिए सेनिटरी पेड का इंतजाम करें. उनकी अन्य सुविधाओं का विशेष ध्यान रखें. इन सेंटरों में गर्भवती माताओं, बच्चों के लिए पौष्टिक भोजन प्रदान करें. बैठक में मुख्य सचिव आर.पी. मण्डल, अपर मुख्य सचिव गृह सुब्रत साहू, राज्यपाल के सचिव एवं श्रम विभाग के सचिव सोनमणि बोरा उपस्थित थे.

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मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने केन्द्र सरकार द्वारा प्रस्तावित विद्युत संशोधन बिल 2020 को समाज के गरीब तबको एवं किसानों के लिए अहितकारी बताते हुए इस संबंध में केन्द्रीय विद्युत राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री आर.के. सिंह को पत्र लिखकर देश की वर्तमान स्थिति को देखते हुए इस संशोधन बिल को फिलहाल स्थगित रखने का आग्रह किया है।

मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने केन्द्रीय विद्युत मंत्रालय द्वारा तैयार किए गए संशोधन बिल को लागू करने से पूर्व सभी राज्य सरकारों से इस पर विचार-विमर्श करने तथा समाज के गरीब तबको एवं जन सामान्य के हितों का ध्यान रखने की बात कही है।

मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने केन्द्रीय मंत्री को प्रेषित अपने पत्र में कहा है कि इस संशोधन बिल में क्रास सब्सिडी का प्रावधान किसानों और गरीबों के हित में नही है। समाज के गरीब तबके के लोगों और किसानों को विद्युत सब्सिडी दिए जाने का वर्तमान प्रावधान जांचा परखा और समय की जरूरत के अनुरूप है। किसानों को विद्युत पर दी जाने वाली सब्सिडी यदि जारी नहीं रखी गई तो किसानों के समक्ष फसलों की सिंचाई को लेकर संकट खड़ा हो जाएगा। इससे खाद्यान्न उत्पादन प्रभावित होगा और देश के समक्ष संकट खड़ा हो जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा है कि किसानों और मजदूरों की मेहनत का सम्मान होना चाहिए। जिन्होंने अपनी मेहनत से देश को खाद्यान्न के मामले में आत्मनिर्भर बनाया है। उन्होंने कहा है कि समाज के गरीब वर्ग के लोगों और किसानों को आत्मनिर्भर और सक्षम बनाने के लिए उन्हें रियायत दिया जाना जरूरी है। उन्होंने संशोधित बिल में क्रास सब्सिडी को समिति किए जाने के प्रावधान को अव्यवहारिक बताया है।

मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने कहा है कि डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर सिस्टम जो वर्तमान में लागू है, वह सही है। इसमें बदलाव करने से समाज के गरीब तबके के लोग और लघु एवं सीमांत कृषक लाभ से वंचित हो जाएंगे। मुख्यमंत्री ने कहा है कि खेती-किसानी के सीजन में प्रति माह फसलों की सिंचाई के लिए यदि कोई किसान एक हजार यूनिट विद्युत की खपत करता है तो उसे सात से आठ हजार रूपए के बिल का भुगतान करना होगा, जो उसके लिए बेहद कष्टकारी और असंभव होगा।

मुख्यमंत्री ने कहा है कि यह संशोधन बिल वातानुकूलित कमरों में बैठ कर तैयार करने वाले उच्च वर्ग के लोगों और सलाहकारों के अनुकूल हो सकता है लेकिन यह जमीन सच्चाई से बिलकुल परे है। इस संशोधन बिल को लागू करने से देश के समक्ष कई प्रकार की समस्याएं उत्पन्न होंगी । इससे गरीब, किसान और विद्युत कम्पनियों और आम लोगों को नुकसान होगा। रियायती दर पर किसानों को बिजली न मिलने से फसल सिंचाई प्रभावित होगी। खाद्यान्न उत्पादकता घटेगी जिसके चलते देश के समक्ष खाद्यान्न का संकट पैदा हो जाएगा।

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मुख्यमंत्री ने कहा कि इस संशोधन बिल के माध्यम से राज्य सरकारों के अधिकारों की कटौती तथा राज्य विद्युत नियामक आयोग की नियुक्तियों के अधिकारों को केन्द्र सरकार के अधीन किया जाना संघीय ढांचे की व्यवस्था के विपरीत है। यह बिल राज्य विद्युत नियामक आयोग के गठन के संबंध में राज्यों को सिर्फ सलाह देने का प्रावधान देता है। नियुक्ति के संबंध में राज्य की सहमति आवश्यक नहीं है। यह प्रावधान राज्य सरकार की शक्तियों का स्पष्ट अतिक्रमण है।

विद्युत संशोधन बिल 2020 में विद्युत के क्षेत्र में निजीकरण को बढ़ावा दिए जाने का प्रावधान किया गया है। इसके तहत सब लाइसेंसी और फ्रेन्चाईजी की नियुक्ति का भी प्रावधान है। यह प्रावधान चेक और बेलेन्स की नीति के विरूद्ध है, क्योंकि नियामक आयोग से लाईसेंस लेने के लिए सब लाईसेंसी और फ्रेंचाईजी बाध्य नहीं हैं। इससे यह स्पष्ट है कि यह अधिकार और कर्तव्य के सिद्धांत के भी विपरीत है।

मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने विद्युत वितरण प्रणाली को आम जनता की जीवन रेखा बताते हुए कहा है कि इसे निजी कम्पनियों का सौंपा जाना किसी भी मामले में उचित नहीं होगा। यह संशोधन विधेयक पूंजीवाद को बढ़ावा देने वाला और निजी कम्पनियों को इलेट्रिसिटी बोर्ड को कब्जा दिलाने वाला है।

मुख्यमंत्री ने कहा है कि यह संशोधन बिल केंद्रीकृत विद्युत अनुबंध प्रवर्तन प्राधिकरण (ईसीईए) के गठन का प्रस्ताव करता है। उन्होंने इस संबंध में माननीय सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपील के संबंध में दिए गए निर्णय का भी विस्तार से उल्लेख किया है। उन्होंने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन पूरे देश में किया जा चुका है। उन्होंने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले को देखते हुए केंद्रीकृत विद्युत अनुबंध प्रवर्तन प्राधिकरण (ईसीईए) का गठन औचित्यहीन है। यदि ऐसा किया जाता है तो राज्य विद्युत नियामक आयोग अधिकार विहीन हो जाएंगे।

यह संशोधन केंद्रीकृत विद्युत अनुबंध प्रवर्तन प्राधिकरण (ईसीईए) के गठन का प्रस्ताव करता है। विद्युत नियामक विद्युत खरीदने के लिए अनुबंध की मंजूरी और होने वाले विवाद के समाधान के लिए पूरी तरह से सक्षम हैं। उल्लेखनीय है कि माननीय सुप्रीम कोर्ट ने 2015 की सिविल अपील संख्या 14697 में 12 अप्रैल 2018 को निर्णय लिया है कि ईआरसीएस के रोल और सहायक जिम्मेदारियों का संज्ञान लिया गया है और सभी विद्युत नियामक आयोग में एक कानूनी सदस्य की नियुक्ति के लिए निर्देशित किया है। सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश का अनुपालन पहले ही पूरे भारत में किया जा चुका है। जब भारत की सर्वोच्च अदालत पहले ही इस मुद्दे को देख चुकी है और इसे सुलझा चुकी है, तो नए निकाय के गठन का कोई औचित्य नहीं है। टैरिफ नीति से संबंधित प्रस्ताव वास्तव में राज्य विद्युत नियामक आयोग को दंत विहीन बनाने वाला साथ ही यह संघीय ढांचा, जो राज्यों की जनसांख्यिकीय और आर्थिक विविधता का सम्मान करता है उसके लिए यह हानिकारक है।

प्रस्तावित संशोधन केंद्र सरकार को नवीकरणीय और पनबिजली खरीद दायित्व को संरक्षित करने के लिए भी शक्ति प्रदान करता है। देश के अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग संसाधन हैं। मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा है कि इसे देखते हुए पूरे देश के लिए इसको लागू किया जाना उचित नहीं होगा।

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ख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने आज यहां अपने निवास कार्यालय में आयोजित बैठक में कोरोना संक्रमण से बचाव, नियंत्रण के उपायों और मरीजों के इलाज की व्यवस्थाओं की समीक्षा की साथ ही आगे की रणनीति पर विचार-विमर्श किया। उन्होंने क्वारेंटीन सेंटर्स की व्यवस्था, अस्पतालों में उपलब्ध बिस्तरों की जानकारी ली। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस बात का विशेष ध्यान रखा जाए कि संक्रमित व्यक्ति से अस्पताल आने वाले अन्य मरीजों में संक्रमण नहीं फैले। चिकित्सक और मेडिकल स्टाफ के लोग संक्रमण से बचाव के लिए गाइड लाईन का पालन करें। श्री बघेल ने वीडियो क्रांफ्रेंसिंग के माध्यम से एम्स रायपुर के निदेशक और बिलासपुर सिम्स के अधिकारियों से भी वहां की व्यवस्थाओं और आगे की रणनीति पर चर्चा की। बैठक में अधिकारियों ने बताया कि जिलों में 141 कोविड केयर सेंटरों और कोविड के मरीजों के लिए 21 हजार 230 बिस्तर उपलब्ध कराने की व्यवस्था की जा रही है।

स्वास्थ्य सचिव श्रीमती निहारिका बारिक सिंह ने मुख्यमंत्री को विभिन्न अस्पतालों में उपचार की व्यवस्था के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कोविड-19 नियंत्रण के लिए प्रदेश स्तर पर किए जा रहे उपायों की भी जानकारी दी। श्री बघेल ने बैठक में शामिल अधिकारियों से क्वारेंटाइन सेंटर्स की संख्या, वहां की व्यवस्था और रह रहे लोगों के बारे में जानकारी ली। मुख्यमंत्री ने वीडियो कॉन्फ्रेंस में प्रदेश में पहुंच चुके प्रवासी मजदूरों के लिए संचालित क्वारेंटाइन सेंटर्स एवं वहां की व्यवस्था के बारे में चर्चा की और अगले कुछ दिनों में पहुंचने वाले मजदूरों को क्वारेंटाइन सेंटर्स में रखने की व्यवस्था के संबंध में आवश्यक निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने कोविड-19 के इलाज के लिए विभिन्न अस्पतालों में उपलब्ध बिस्तरों एवं वहां भर्ती मरीजों के बारे में जानकारी ली। इस पर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि राज्य में क्षेत्रीय स्तर पर डेडिकेटेड कोविड हॉस्पिटल में 1770 बेड हैं, वहीं जिले स्तर पर डेडिकेटेड कोविड हॉस्पिटल में 3470 बिस्तर की व्यवस्था है। इन सभी अस्पतालों में आईसीयू की व्यवस्था है। इसके अतिरिक्त बिना लक्षण वाले और कम लक्षण वाले मरीजों हेतु 141 कोविड केयर सेंटर जिलों में स्थापित किये जा रहे हैं, जहाँ 7234 बिस्तर उपलब्ध होंगे व 6500 बिस्तर के अतिरिक्त कोविड केयर यूनिट की स्थापना प्रक्रियाधीन है।

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अधिकारियों ने बताया क्वारेंटीन सेंटर में पूर्व से उपलब्ध 4026 बिस्तरों को भी आवश्यकता पड़ने पर कोविड केयर सेंटर में परिवर्तित किया जायेगा। इस प्रकार प्रदेश में कोविड-19 मरीजों हेतु 21 हजार 230 बिस्तर उपलब्ध होंगे। उन्होंने कोरोना वायरस संक्रमितों के स्वास्थ्य की गंभीरता, लाक्षणिक और गैर-लाक्षणिक मरीजों की जांच व स्वास्थ्य की स्थिति एवं उपचार की व्यवस्था के बारे में जानकारी ली। श्री बघेल ने आने वाले दिनों में कोविड-19 पर नियंत्रण के प्रभावी उपायों और इसका सामुदायिक प्रसार रोकने के संबंध में एम्स के निदेशक डॉ. नितिन एम. नागरकर से सुझाव मांगे। उन्होंने ज्यादा से ज्यादा लोगों की जांच करने और इलाज के बारे में आगामी कार्ययोजना एवं रणनीति पर भी चर्चा की। मुख्यमंत्री ने सिम्स बिलासपुर के डीन और अधीक्षक से वहां कोरोना वायरस संक्रमित डॉक्टर एवं मेडिकल स्टॉफ के बारे में जानकारी ली। डीन डॉ. पात्रा ने मुख्यमंत्री को डॉक्टरों के संक्रमण के कारणों की जानकारी दी। उन्होंने इससे बचने के लिए वहां की जा रही सावधानियों के बारे में भी बताया।

मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव श्री सुब्रत साहू ने सभी मेडिकल कॉलेजों को जरूरी सावधानी बरतने तथा इलाज के लिए आने वाले गंभीर मरीजों का गंभीरतापूर्वक उपचार करने के निर्देश दिए। उन्होंने इलाज और देखभाल के दौरान व्यक्तिगत सुरक्षा उपायों को अपनाने और सभी को इनका अनिवार्यतः पालन करने के निर्देश दिए।

इस अवसर पर चिकित्सा शिक्षा विभाग की अपर मुख्य सचिव श्रीमती रेणु जी. पिल्ले, मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव श्री सुब्रत साहू, स्वास्थ्य विभाग की सचिव श्रीमती निहारिका बारिक सिंह, खाद्य एवं परिवहन विभाग के सचिव डॉ. कमलप्रीत सिंह, संचालक स्वास्थ्य सेवाएं श्री नीरज बंसोड़, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की संचालक डॉ. प्रियंका शुक्ला, संचालक चिकित्सा शिक्षा डॉ. एस.एल. आदिले और सिम्स बिलासपुर के डीन डॉ. पात्रा शामिल हुए। एम्स रायपुर के निदेशक डॉ. नितिन एम. नागरकर तथा सिम्स बिलासपुर के अधीक्षक डॉ. पुनीत भारद्वाज अपने-अपने कार्यालय से वीडियो कॉन्फ्रेस में जुड़े।

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भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता संजय श्रीवास्तव ने छत्तीसगढ़ से श्रमिकों के पलायन के मुद्दे पर प्रदेश सरकार की कार्यप्रणाली और उसके दावों पर सवालिया निशान दागा है। श्री श्रीवास्तव ने कहा कि प्रदेश सरकार श्रमिकों को पर्याप्त रोज़गार मुहैया कराने और ग्रामीण अर्थ व्यवस्था की मज़बूती के चाहे जितने दावे कर ले, छत्तीसगढ़ से हुआ पलायन इस बात का प्रमाण है कि प्रदेश सरकार इस मुद्दे पर झूठ फैलाकर प्रदेश को गुमराह कर रही है।

भाजपा प्रदेश प्रवक्ता श्री श्रीवास्तव ने कहा कि पिछले डेढ़ साल में प्रदेश के श्रमिकों को पर्याप्त रोज़गार उपलब्ध करा ग्रामीण अर्थ व्यवस्था को मज़बूती देने का दावा करने वाली प्रदेश की कांग्रेस सरकार के राजनीतिक पाखंड का कुलजमा ज़मीनी सच यह है कि पिछले डेढ़ वर्ष के कांग्रेस शासन में प्रदेश से सर्वाधिक पलायन हुआ है। श्री श्रीवास्तव ने कहा कि कोरोना संकट में जारी लॉकडाउन में फँसे श्रमिकों की वापसी के समय प्रदेश सरकार ने प्रदेश के सवा लाख श्रमिकों के अन्य प्रदेशों में होने की जानकारी दी थी लेकिन इन श्रमिकों की वापसी अब तक जारी है जिनकी संख्या तीन से सवा तीन लाख तक आँकी गई है और यह संख्या अभी और बढ़ने का अनुमान है!

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भाजपा प्रदेश प्रवक्ता श्री श्रीवास्तव ने सवाल किया कि जब प्रदेश सरकार श्रमिकों को पर्याप्त रोज़गार उपलब्ध करा ग्रामीण अर्थ व्यवस्था को मज़बूती देने का दावा कर रही है तो फिर ये श्रमिक छत्तीसगढ़ से पलायन क्यों कर गए थे? इस सवाल का प्रामाणिक जवाब देने की चुनौती प्रदेश सरकार और कांग्रेस नेताओं को देते हुए श्री श्रीवास्तव ने कहा कि प्रदेश की मौज़ूदा प्रदेश सरकार केवल खोखले दावों की सरकार है और अपनी झूठी वाहवाही कराने में मशगूल है। ग़रीबों-मज़दूरों के नाम पर झूठ का रायता फैलाकर प्रदेश सरकार अब राज्य की जनता को और अधिक भ्रमित नहीं कर सकती। वादाख़िलाफ़ी और हर वर्ग के लोगों के साथ छलावा करके यह प्रदेश सरकार अपना भरोसा खो चुकी है।

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बड़ी संख्या में मजदूरों के वापस आने से यह बात साबित हो गयी कि पंद्रह वर्षो में भाजपा की पूर्ववर्ती रमन सरकार राज्य में पलायन रोकने और रोजगार देने में नाकामयाब साबित हुई थी । प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता और संचार विभाग के सदस्य सुशील आनंद शुक्ला ने कहा की विपक्ष में रहते हुए कांग्रेस दशको तक राज्य में पलायन की गम्भीर समस्या को विधानसभा से ले कर सड़कों तक उठाती रही है ।तब भाजपा सरकार दावा करती थी कि राज्य से पलायन पूरी तरह समाप्त हो चुका है। भाजपा और रमन का तब किया गया दावा पूरी तरह झूठा था तभी आज राज्य में बड़ी संख्या में श्रमिक वापस आ रहे है । मुख्यमंत्री रहते हुए राज्य की विधान सभा और सार्वजनिक रूप से दर्जनों बार छत्तीसगढ़ से पलायन समाप्त होने का दावा करने वाले पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह पलायन के इस भीषण विभीषिका के खुलासे के बाद राज्य की जनता से माफी मांगे।कोरोना महामारी के बाद राज्य की कांग्रेस सरकार मुख्य मंत्री भूपेश बघेल के प्रयास से अब तक 2.63 लाख श्रमिको को ट्रेनों और सड़क मार्गो तथा हवाई मार्ग से वापस ला कर क्वारन्टीन कर चुकी है ।अभी भी लाखों की संख्या में मजदूरों को वापस लाने की कार्यवाही चल ही रही है।

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कांग्रेस प्रवक्ता सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि प्रवासी मजदूरों के ये आंकड़े पूर्व वर्ती भाजपा सरकार के चेहरे का बदनुमा दाग है जो कोरोना काल मे उभर कर सामने आया है ।छत्तीसगढ़ राज्य का निर्माण इसी उद्देश्य से हुआ था कि सरकार की पहुच आम आदमी तक हो सके सरकार आम आदमी के लिए रोजगार और शिक्षा स्वास्थ्य जैसे मूलभूत संसाधन जुटा सके दुर्भाग्य से राज्य निर्माण के बाद डेढ़ दशक तक सरकार चलाने वाली भाजपा इसमे पूरी तरह नाकामयाब साबित हुई।

कांग्रेस प्रवक्ता सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि प्रचुर वन खनिज संपदा जल ,जंगल ,जमीन से समृद्ध राज्य के निवासियों का रोजगार के लिए पलायन दुखद है। यदि तत्कालीन भाजपा सरकार ईमानदारी से मनरेगा में ही लोगो को काम दिलवा देती तो इतनी बड़ी संख्या में मजदूर राज्य के बाहर जाने को विवश नही होते ।भाजपा ने उस समय दावा किया था कि उसकी सरकार मनरेगा में 100 के बजाय 150 दिन काम देगी ।हकीकत में धरातल पर राज्य में साल में औसत 28 दिन ही लोगो को काम मिल पाता था ।स्किल इंडिया मुख्यमंत्री कौशल उन्नयन के नाम पर करोड़ो रु खर्च करने के बाद इस छोटे से राज्य से 4 से पांच लाख मजदूरों का पलायन दुर्भाग्यपूर्ण है ।ये आंकड़े भाजपा के पूंजीवादी तथा मजदूर गरीब विरोधी चरित्र का द्योतक हैं।

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कोविड-19 संक्रमण के फैलाव की रोकथाम को दृष्टिगत रखते हुए डॉ. भीमराव अम्बेडकर स्मृति चिकित्सालय, रायपुर को तीन जोन में बांटा गया है। इस व्यवस्था के तहत चिकित्सालय के विभिन्न वार्डों को तीन जोन में विभक्त करते हुए एक-दूसरे से अलग किया गया है। एक जोन के लोग दूसरे जोन में नहीं जा सकेंगे। पहले ज़ोन में कन्फर्म कोविड-19 केस मरीजों को रखा गया है। इस जोन में सामान्य लोगों की आवाजाही पूर्णतः प्रतिबंधित है ताकि किसी भी तरह के संक्रमण के प्रसार का खतरा न हो। दूसरे जोन में संभावित मरीजों को रखा गया है जिनमें कोविड-19 के लक्षण तो हैं, लेकिन सैम्पल जांच की रिपोर्ट आना बाकी है। तीसरे में नॉन-कोविड मरीज हैं जो दूसरी बीमारियों के इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती हैं।

अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. विनित जैन ने इस नई व्यवस्था के बारे में बताया कि अस्पताल को तीन अलग-अलग हिस्सों में बांटने का सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि डॉक्टर, पूरे स्टॉफ तथा चिकित्सालय में इलाज कराने आने वाले लोगों को यह जानकारी रहेगी कि कौन से मरीज का इलाज कहां चल रहा है। एक क्षेत्र को दूसरे से बिल्कुल पृथक कर दिया गया है। जोन के रूप में अस्पताल का विभाजन केवल लोगों की सुरक्षा के लिए किया गया है। मरीज एवं उनके परिजन एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में न जाएं, इसके लिए जगह-जगह डिस्प्ले बोर्ड लगाए गए हैं।

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डॉ. भीमराव अम्बेडकर अस्पताल का बाल्य एवं शिशु रोग विभाग मातृ-शिशु अस्पताल कालीबाड़ी में स्थानांतरित

डॉ. भीमराव अम्बेडकर स्मृति चिकित्सालय, रायपुर का बाल्य एवं शिशु रोग विभाग (Pediatric Department) कालीबाड़ी स्थित मातृ-शिशु अस्पताल में स्थानांतरित हो गया है। बाल्य एवं शिशु रोग विभागाध्यक्ष डॉ. शारजा फूलझेले ने आज यहां बताया कि कालीबाड़ी मातृ-शिशु अस्पताल में बच्चों के अन्तः रोगी विभाग (आईपीडी), बाह्य रोगी विभाग (ओपीडी) तथा पीडियाट्रिक आईसीयू को स्थानांतरित किया गया है। आज बच्चों की ओपीडी का संचालन मातृ-शिशु अस्पताल से किया गया। इलाज के लिए बच्चों की भर्ती भी आज से वहां शुरू कर दी गई है। बच्चों के इलाज की सभी सुविधाएं अब मातृ-शिशु अस्पताल से ही संचालित होंगी।

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लॉकडाउन के बीच तकरीबन 81 दिनों के बाद डोंगरगढ़ स्थित मां बम्लेश्वरी मंदिर के पट भक्तों के लिए फिर खोले गए हैं. बता दें कि डोंगरगढ़ स्थित मां बम्लेश्वरी के दरबार में रोजाना तकरीबन 5000 श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं. छत्तीसगढ़ के प्रमुख पर्यटन स्थल में मां बमलेश्वरी मंदिर का स्थान शामिल है. इस कारण दूरदराज से लोग यहां पर दर्शन के लिए आते हैं. मंदिर में प्रवेश के लिए रोक के बाद लंबे समय से भक्त मां के दर्शन नहीं कर पाए थे. केंद्र सरकार के आदेश के बाद सोमवार से भक्त दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं.

मंदिर परिसर को भक्तों के लिए खोलने के बाद भी कई तरीके के प्रोटोकॉल का पालन भक्तों को करना पड़ेगा. भक्तों को सिर्फ माता के दर्शन का अधिकार दिया गया है. इसके अलावा प्रसाद चढ़ाने के लिए गर्भ गृह से बाहर अलग बॉक्स लगाए गए हैं. वहीं पुजारी भी भक्तों को टीका नहीं लगा पाएंगे. यहां तक कि मंदिर में घंटी बजाने की भी अनुमति नहीं दी गई है.मां बम्लेश्वरी के मुख्य द्वार को बंद ही रखा गया है. दर्शनार्थियों की एंट्री की व्यवस्था नीचे कार्यालय की ओर बने रैप से भैरव बाबा मंदिर होकर किया गया है. वहीं गुंबज पहुंचने के पहले ही महिला और पुरुषों की कतार को अलग-अलग किया गया है. पुरुष भैरव बाबा मंदिर की ओर से और महिलाएं गणेश मंदिर की ओर से दर्शन करेंगी. दर्शन के पहले एंट्री में हर किसी को रजिस्टर में नाम और अपना पूरा पता दर्ज करना होगा. वहीं थर्मामीटर से टेंपरेचर चेक के बाद कर्मचारी सैनिटाइजर से हाथ साफ कराएंगे. प्रसाद चढ़ाने के लिए गुंबज के बाहर ही बॉक्स रखा जाएगा. इसके अलावा दर्शनार्थियों को पैकेट को सैनिटाइज करके प्रसाद दिया जाएगा.

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मां बम्लेश्वरी मंदिर में भक्तों को दर्शन के लिए गाइडलाइन जारी कर दी गई है. गाइडलाइन के मुताबिक सुबह 7 बजे से शाम 7 बजे तक ही दर्शन करने की अनुमति रहेगी. वहीं रोपवे की एक ट्रॉली में सिर्फ 4 लोग ही जा सकेंगे. मां बम्लेश्वरी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष नारायण अग्रवाल ने बताया कि दर्शनार्थियों के ऊपर मन्दिर आने-जाने के लिए रोपवे (उड़नखटोला) खोला जाएगा. एक पाली में 6 की जगह 4 लोगों को ही बैठाया जाएगा, लेकिन उस पाली में एक ही परिवार के सदस्य ही बैठे ऐसी कोशिश की जाएगी. हर बार दर्शनार्थियों के चढ़ने-उतरने के बाद ट्रॉली को सैनिटाइज किया जाएगा. मंदिर परिसर में ऊपर से लेकर नीचे तक तकरीबन 200 दुकानें हैं. इन दुकानों को मंदिर के पट खुलने के साथ ही अनुमति मिलने की आशा थी, लेकिन जारी गाइडलाइन के तहत मंदिर परिसर में दुकान लगाने वाले लोगों को दुकान खोलने की अनुमति नहीं दी गई है.

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छत्तीसगढ़ सरकार के स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा ‘पढ़ई तुंहर दुआर‘ योजना के अंतर्गत सभी शालाओं को वर्चुअल क्लासरूम में बदल दिया गया है। कई शिक्षक जिलों में ऑनलाईन कक्षाएं भी लेने लगे है। स्कूल खुलने में देरी होने की स्थिति में इस वेबसाईट के माध्यम से आभासी कक्षाएं या वर्चुअल क्लासरूम संचालित किया जाना होगा। वर्चुअल क्लासरूम में शिक्षक अपने घर से और विद्यार्थी अपने-अपने घर से कक्षाओं में इस प्रकार से सहभागिता करेंगे, जैसा कि वे अपने नियमित स्कूल में करते है। सभी शालाएं अपने स्कूल के सभी शिक्षकों और विद्यार्थियों को अपने स्कूल के वर्चुअल ग्रुप में जोड़ रहे है। ऐसा करने के साथ-साथ अब वर्चुअल क्लासरूम भी प्रारंभ कर देना चाहिए। स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा इस संबंध में सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देशित किया है कि जिला, विकासखंड और संकुल स्तरीय नोडल अधिकारियों को नियमित रूप से सभी शालाओं में वर्चुअल क्लास प्रारंभ किए जाने की जिम्मेदारी देते हुए नियमित रूप से इन कक्षाओं का संचालन शीघ्र प्रारंभ करवाएं।

स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को जिले के सभी शालाओं में वर्चुअल क्लासरूम को प्रारंभ कर पंजीकृत सभी विद्यार्थियों को इसका लाभ दिलाने के निर्देश दिए हैं। जिला शिक्षा अधिकारियों से कहा गया है कि आगामी एक सप्ताह के भीतर जिले के सभी शालाओं से वर्चुअल क्लास रूम के संचालन को अवश्य सुनिश्चित करें।

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जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि वर्चुअल क्लासरूम प्रारंभ करते समय यह ध्यान देना होगा कि सभी शिक्षकों और विद्यार्थियों का एक ग्रुप बनाकर उसमें स्कूल की सूचनाएं देने के लिए व्यवस्था कर लेनी चाहिए। शिक्षकों और विद्यार्थियों से चर्चा कर वर्चुअल क्लास के लिए समय-सारिणी बनाकर उसे नियमित रूप से एडवांस में सभी के साथ ग्रुप में साझा कर उसे देखने के लिए विद्यार्थियों को अवगत कराए। विद्यार्थियों के डाटा के उपयोग के प्रति संवेदनशील होने के लिए समय का बेहतर नियोजन करें। ऑनलाईन पाठ की सूचना पहले से देते हुए उसका पूर्व अध्ययन के साथ-साथ सभी संबंधित शैक्षणिक सामग्रियों को वेबसाईट से देखने के लिए विद्यार्थियों को प्रेरित करें। वर्चुअल कक्षा में शामिल होने से पूर्व संबंधित प्रकरण का अध्ययन कर उत्पन्न हुई शंकाओं के समाधान के लिए विद्यार्थियों को पोस्ट करने के लिए कहे। विद्यार्थियों द्वारा पोस्ट शंकाओं के आधार पर अपने ऑनलाईन पाठ को डिजाईन करें और कम से कम समय अपनी बात रखते हुए विद्यार्थियों के लिए कुछ असाइंमेंट भी पोस्ट करें। निर्धारित समय पर यथाशीघ्र विद्यार्थियों की शंकाओं के समाधान और असाइंमेंट की जांच कर उन्हें वापस फीडबैक देना सुनिश्चित करें। सभी शिक्षकों को पूर्व निर्धारित समय अनुसार अपनी कक्षा लेने और सभी संबंधित कार्य करने के लिए प्रेरित करें। विद्यार्थियों को भी सभी कक्षाओं में उपस्थित होने के लिए प्रोत्साहित करें। सभी कक्षाओं को स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा तैयार वेबसाईट के माध्यम से प्रसारित करें। ताकि उसका ब्यौरा विभागीय वेबसाईट में शामिल हो सके। वर्चुअल क्लास के संचालन के लिए तैयार किए गए विभिन्न वीडियो का अवलोकन कर उसे समझ ले। जिला शिक्षा अधिकारियों से यह भी कहा गया है कि वर्तमान में संचालित कक्षाओं में इस बात का ध्यान रखा जाए कि मुख्य उद्देश्य इस बार जनरल प्रमोशन प्राप्त बच्चों को उसी कक्षा के ऐसे मुख्य बिन्दु जो अगली कक्षा में विद्यार्थियों को जानना आवश्यक है, उन प्रकरणों पर पर्याप्त अभ्यास करवाएं।

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कोरोना महामारी के कारण प्रदेश में रक्त की कमी को देखते हुए समाज सेवी संस्था एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक ह्यूमन राइट्स ने 09 जून को छत्तीसगढ़ प्रदेश के 12 शहरों में रक्तदान शिविर का आयोजन किया है। यह शिविर एक खास रक्तदान शिविर जिसमे आपका दिया रक्त जरूरतमंद मरीज को बिना डोनर के भी उपलब्ध होगा। ज्ञात जो कि संस्था ने कोरोना महामारी के लॉक डाउन में भी प्रदेश के कई जिलों में जरूरतमंद परिवारो को कच्चा राशन भी प्रदान किया था।

यह शिविर रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग, भिलाई, राजनांदगांव, कवर्धा, बेमेतरा, गरियाबंद, महासमुंद, कोरबा, रायगढ़ एवं सारंगढ़ में आयोजित किया जा रहा है।

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रक्तदान शिविर की कुछ खास बातें-

👉🏻 कोरोना महामारी के चलते छत्तीसगढ़ प्रदेश के लगभग सभी ब्लड बैंक में रक्त की कमी आ गयी है। इसलियर 09 जून 2020 को संस्था ने छत्तीसगढ़ प्रदेश 18 ब्लड बैंक में रक्तदान शिविर का आयोजन कर रहा है।

👉🏻 इन शहरों में प्रतिदिन अनेक ऐसे मरीज भर्ती होते है जो बीहड़ ग्रामीण क्षेत्रों से आते है और उनका इन शहरों में कोई भी परिचित सगा संबंधी नही होता।

👉🏻 गम्भीर बीमारी के मरीजों को रोजाना ऑपरेशन में रक्त की आवश्यकता होती है समय पर डोनर न मिलने से मरीज की हालत बिगड़ने की संभावना बनी रहती है, और गर्मी में कम रक्तदान शिविर व डोनर की अल्पता में ब्लड बैंक और मरीज दोनों को परेशानी झेलनी पड़ती है।

अतः आइये मानवता के लिए मिलकर योगदान दें, रक्तदान करें

शिविर स्थल - रायपुर के 6 ब्लड बैंक, बिलासपुर में 1, दुर्ग में 1, भिलाई में 1, राजनांदगांव में 2, कबीरधाम (कवर्धा) में 1, कोरबा में 1, रायगढ़ में 1, सारंगढ़ में 1, महासमुंद में 1, बेमेतरा में 1, गरियाबंद में 1 ब्लड बैंक।


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