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detail news only from Chhattishgarh ,dated: ८ अगस्त २०२०

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मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी विश्व शांति का सपना देखते थे। वे एक अहिंसक समाज की रचना करना चाहते थे। हिंसामुक्त समाज का निर्माण गांधीजी का उद्देश्य था इसलिए गांधीजी युद्धों एवं परमाणु बमों के विरूद्ध थे। आज हमारे चारों ओर पहले से कहीं ज्यादा परमाणु बम, घातक मिसाइलें और राष्ट्रों के बीच टकराव विद्यमान है। वर्तमान परिस्थिति में गांधी जी पहले से कहीं अधिक प्रासंगिक हो जाते हैं क्योंकि आग को पानी से बुझाया जा सकता है। नफरत और घृणा को प्रेम और सद्भाव से दूर किया जा सकता है। आज जब विश्व शांति पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं। ऐसी स्थिति में हमें गांधीवादी विचार और उनके रास्ते की पहले से अधिक जरूरत है।

मुख्यमंत्री श्री बघेल आज यहां अपने निवास कार्यालय से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए वैश्विक परिदृश्य और गांधी जी की प्रासंगिकता विषय पर आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय वेबिनार के शुभारंभ सत्र को सम्बोधित कर रहे थे। इसका आयोजन सोसायटी फॉर इम्पावरमेंट द्वारा प्रोफेसर एस. नारायण के मार्गदर्शन में किया जा रहा है। यह वेबिनार 4 दिनों तक चलेगा। इसमें विश्व के विभिन्न देशों के गांधीवादी विचारक हिस्सा ले रहे हैं। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने इस वेबिनार का विधिवत शुभारंभ किया और अपने उद्बोधन में कहा कि गांधी जी की प्रासंगिकता पर चर्चा करने से अधिक महत्वपूर्ण है उनके बताये रास्ते पर चलने का प्रयास करना। उन्होंने कहा कि सत्य और अहिंसा पर अडिग रहना ही गांधी जी का सच्चा रास्ता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि उनका यह मानना है कि वर्तमान समय में बेहद खतरनाक हथियारों से घिरी दुनिया में गांधी जी का अहिंसक साहस बहुत ज्यादा प्रासंगिक है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि गांधी जी की प्रासंगिकता और अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है, जब हम विश्व शांति पर चर्चा करते हैं क्योंकि गांधी जी की प्रासंगिकता वैश्विक है। उसे किसी एक देश तक सीमित नहीं किया जा सकता। गांधी जी दु्ःखी और पीड़ित मानवता का उद्धार चाहते थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि मानवता को सीमाओं में बांधा नहीं जा सकता। मानवता एक वैश्विक संकल्पना है। यह राष्ट्र की सीमाओं से परे जाकर पूरी दुनिया को एकता के सूत्र में बांधती है। गांधी जी पूरी दुनिया के लिए प्रासंगिक है। उनके जीवन का उद्देश्य संपूर्ण मानवता की भलाई रही है। उन्होंने कहा कि अगर कोई परम्परा के सद्गुणों को, उसके मूल्यों को और सत्य के आदर्श को लेकर आगे बढ़ता है तो वह कालजयी हो जाता है। गांधी जी इन अर्थों में किसी भी समय से परे है इसलिए उनकी प्रासंगिकता भी समय से परे है।

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मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने इस मौके पर गांधी जी के पौत्र श्री राजमोहन गांधी के कथन का उल्लेख करते हुए कहा कि आप ने किसी दूसरे देश में कोई ऐसा व्यक्ति देखा है जो 70 साल पहले मार दिया गया हो, लेकिन आम बातचीत में याद किया जाता हो। उन्होंने इस मौके पर बापू के लिए वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन द्वारा कहे गए कथन ‘‘आने वाली पीढ़ियों को यकीन नही होगा कि ऐसा भी कोई व्यक्ति इस धरती पर आया था’’ का उल्लेख किया।

मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि आज जब पूरी दुनिया कोरोना जैसी महामारी के चपेट में है। विश्व के कई देश युद्ध के उन्माद में डूबे हैं, जब गरीबी, बेरोजगारी, भयानक मुनाफाखोरी से लेकर हिंसक प्रवृत्ति तक तमाम अमानवीय चुनौतियां पूरी दुनिया के सामने अपने सबसे विकराल रूप में मौजूद हों तब यह सवाल उठता है कि गांधीजी होते तो क्या सोचते, क्या कहते, क्या करते ? मुख्यमंत्री ने कहा कि शायद गांधी जी इलाज में असमानता के सवाल उठा रहे होते, शायद गांधी जी दुनिया के किसी कोने में परमाणु हथियारों के खिलाफ अनशन कर रहे होते, शायद गांधी जी संयुक्त राष्ट्र संघ की विशेष सभा को सम्बोधित करते हुए दुनिया को अहिंसा और शांति का पाठ पढ़ा रहे होते या शायद गांधी जी दुनिया को धर्म के नाम पर झगड़ों से मुक्ति का रास्ता बता रहे होते, या शायद गांधी जी हिन्दुस्तान में मॉब लींचिंग की घटनाओं से आहत होकर उपवास पर होते।

मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने कहा कि हमारे देश में आज राष्ट्रवाद को लेकर बहुत चर्चा है। उन्होेंने कहा कि कुछ लोग जिनके पुरखों ने आजादी की लड़ाई में हिस्सा नहीं लिया था। आज सबसे बड़े राष्ट्रवादी बने घूम रहे हैं। ऐसे ही लोगों ने राष्ट्रवाद की प्रचलित परिभाषा को बिगाड़ कर सच के ऊपर एक झूठ का तानाबाना बुन दिया है। उन्होंने कहा कि सही मायने में इस देश में सबसे बड़े राष्ट्रवादी और राष्ट्र भक्त वह लोग हैं, जो आजादी की लड़ाई के महानायकों का सही अर्थों में सम्मान करते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि गांधी जी का राष्ट्रवाद गहन मानवतावाद से निकला है। हमारा राष्ट्रवाद सभी भारतीयों की एकता और अखण्डता में विश्वास करने वाला राष्ट्रवाद है। हमारा राष्ट्रवाद इस देश के गरीब-गुरबा की सेवा का राष्ट्रवाद है। उन्होंने इस मौके पर गांधी जी के ग्राम स्वराज की अवधारणा का भी उल्लेख किया और कहा कि छत्तीसगढ़ की सरकार ने गांधी जी की अवधारणा को साकार करने प्रयासरत है। छत्तीसगढ़ सरकार की नरवा, गरवा, घुरवा, बाड़ी योजना, ग्रामीण जनजीवन को सुगम बनाने की दृष्टि से एक महत्वपूर्ण योजना है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ की सरकार ने प्रदेश की आम जनता को, शोषित, पिछड़े और वंचित लोगों को, गांव को ध्यान में रखकर विकास के मॉडल को अपनाने का प्रयास किया है। छत्तीसगढ़ के विकास का यह ऐसा मॉडल है, जिसकी प्रेरणा स्रोत बापू हैं।

मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर प्रदेश सरकार की गोधन न्याय योजना का भी जिक्र किया और कहा कि गांधी जी का यह मानना था कि उनके लिए गोरक्षा का अर्थ गाय की रक्षा से कहीं अधिक है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार की बहुउद्देशीय गोधन न्याय योजना गांधीजी को एक पावन श्रद्धांजलि है। इस योजना ने गाय और गोवंश को फिर से ग्रामीण अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण स्थान पर ला दिया है। उन्होंने कहा कि हमारे विकास का मॉडल वही हो जिसकी कल्पना गांधीजी ने की थी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मार दिए जाने के लगभग आठ दशकों के बाद भी...
बापू जिन्दा है हमारी चेतना में, हमारे गांव में, हमारी गलियों में।
बापू जिन्दा है अपने विचारों के साथ।
बापू जिन्दा है दुनिया को प्रेम, सच्चाई, सर्वधर्म समभाव, सहिष्णुता और शांति का पाठ पढ़ाने के लिए।

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आज प्रदेश में ३२४ नए कोरोना मरीज पाए गए ,वहीं आज २ की मौत कोरोना की वजह से हुयी है आज पाए जाने वाले मरीजों में से रायपुर से १०९,राजनांदगांव से ५८,रायगढ़ से 19,बलौदाबाजार से १८,सुकमा से१८,दुर्ग से १७ , कबीरधाम से १५ ,बस्तर से 14,बिलासपुर से ९,गरिय्बंद से ७,कांकेर से ७,बीजापुर से 4 ,जसपुर से 4,बालोद बेमेतरा धमतरी कोरबा जांजगीर-चांपा कोरिया बलरामपुर दंतेवाडा से २ २ ,मुंगेली सरगुजा सूरजपुर से 1 शामिल है

राजधानी रायपुर में राजभवन के 15 कर्मचारियों में कोरोना संक्रमण की पुष्टि हुई है। इसके अलावा रायपुर के अर्जुन नगर में एक साथ 13 कोरोना संक्रमित मिले हैं।

जांजगीर-चाम्पा के एसपी ऑफिस का कार्यालयीन कांस्टेबल, कोरोना पॉजिटिव मिला है, जिसके बाद हड़कम्प है. एसपी आफिस के स्टाफ, जो कांस्टेबल के सम्पर्क में आए हैं, उनका सैम्पल लिया जा रहा है | जिस कांस्टेबल की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई है, वह 31 जुलाई से अवकाश पर था | एसपी पारुल माथुर का कहना है कि आफिस को सैनेटारॉइज किया जाएगा, वहीं स्टाफ का सैम्पल की जांच होगी. दूसरी ओर सड़क दुर्घटना में घायल शख्स, पामगढ़ थाने में एफआईआर कराने पहुंचा था, वह भी कोरोना पॉजिटिव मिला है. जिला अस्पताल में जब एक्सरे के लिए ले जाया गया तो उसकी रैपिड एंटीजन में उसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई. यह शख्स, बिलासपुर जिले के मस्तूरी क्षेत्र का रहने वाला है.

बलौदाबाजार जिले में बुधवार शाम 5 बजे तक कोरोना के 6 नए मरीजों की पहचान की गई है. जिसमें 5 मरीज बलौदाबाजार विकासखण्ड के ग्राम बलौदी से हैं एवं 1 मरीज पलारी नगर से हैं. इन सभी मरीजों की पुष्टि जिला प्रशासन की ओर से किया गया हैं.
महासमुंद जिले में आज बुधवार को चार व्यक्तियों की कोरोना पाॅजिटीव जाॅच रिपोर्ट आई हैं। इनमें से दो कोरोना संक्रमित व्यक्ति पिथौरा विकासखण्ड के हैं, इनमें ग्राम अरण्ड निवासी पुरूष जिसकी उम्र 33 वर्ष हैं और ग्राम धुपेनडीह के 65 वर्षीय महिला शामिल हैं। इसके अलावा दो व्यक्ति बसना से हैं, जिनकी उम्र 55 वर्ष पुरूष एवं 33 वर्ष पुरूष शामिल हैं।




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मूलनिवासियों को हक दिलाने और उनकी समस्याओं का समाधान, भाषा, संस्कृति, इतिहास के संरक्षण के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा द्वारा 9 अगस्त 1994 को जेनेवा शहर में विश्व के मूलनिवासी प्रतिनिधियों का ’प्रथम अंतर्राष्ट्रीय मूलनिवासी दिवस’ सम्मेलन आयोजित किया गया। संयुक्त राष्ट्र संघ ने व्यापक चर्चा के बाद 21 दिसम्बर 1994 से 20 दिसम्बर 2004 तक ’’प्रथम मूलनिवासी दशक’’ और प्रत्येक वर्ष 9 अगस्त को मूल निवासी दिवस (विश्व आदिवासी दिवस) मनाने का फैसला लिया और विश्व के सभी देशों को मनाने के निर्देश दिए। छत्तीसगढ़ में पहली बार राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव का आयोजन गत वर्ष 27 से 29 दिसम्बर तक राजधानी रायपुर में किया गया। मुख्यमंत्री ने हाल में ही नवा रायपुर में आदिवासी संग्राहलय के स्थापना की घोषणा की है।

श्री भूपेश बघेल की सरकार ने आदिवासी अंचल बस्तर में एक नई पहल करते 40 सालों से लंबित बोधघाट बहुद्देशीय सिंचाई परियोजना के काम को आगे बढ़ाने की कार्यवाही शुरू की है। केन्द्र सरकार की मंजूरी मिलने के बाद इसके सर्वे का काम भी शुरू करा दिया गया है। यह परियोजना बस्तर संभाग में खेती-किसानी और समृद्धि का नया इतिहास लिखेगी। इस परियोजना की लागत 22 हजार 653 करोड़ रूपए है। इससे दंतेवाड़ा, सुकमा और बीजापुर जिले में 3 लाख 63 हजार हेक्टेयर में सिंचाई होगी। बस्तर में अब बारूद और बंदूक खेती के बजाए फसल लहलहाएगी। इस परियोजना के माध्यम से 300 मेगा वॉट विद्युत उत्पादन भी किया जाना प्रस्तावित है। यह परियोजना इन्द्रावती नदी पर प्रस्तावित है, जो गिदम से 10 किलोमीटर और संभागीय मुख्यालय जगदलपुर से 100 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। बोधघाट बहुउद्देशीय सिंचाई परियोजना के विकास के लिए इन्द्रावती नदी विकास प्राधिकरण का भी गठन किया गया है।

मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल द्वारा आदिवासी समुदाय को जल, जंगल और जमीन से जोड़े रखने की सार्थक पहल की गई है। बस्तर और सरगुजा में सिंचाई का प्रतिशत काफी कम है। नरवा, गरूवा, घुरवा, बाड़ी योजना के माध्यम से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नया जीवन प्रदान किया जा रहा है। इसमें यहां के नालों को रिचार्ज करने का काम किया जा रहा है। जिससे सिंचाई के लिए सतही जल और भूमिगत जल की उपलब्धता बढ़ेगी। राज्य सरकार द्वारा आदिवासी समाज के हित में विश्व आदिवासी दिवस पर सामान्य अवकाश घोषित करने का महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है। बस्तर और सरगुजा में कनिष्ठ कर्मचारी चयन बोर्ड का गठन करने की घोषणा से स्थानीय युवाओं को भर्ती में प्राथमिकता मिलेगी। पांचवीं अनुसूची के जिलों में बस्तर, सरगुजा संभाग और कोरबा जिले में तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के पदों पर स्थानीय लोगों की भर्ती के लिए आयु सीमा में तीन वर्ष की छूट दिया गया है। एनएमडीसी के नगरनार प्लांट में गु्रप सी और गु्रप डी की भर्ती परीक्षा दंतेवाड़ा में ही कराने को लेकर एनएमडीसी द्वारा सहमति दी गई है। मुख्यमंत्री ने नक्सल पीड़ित युवा बेरोजगारों को डीएमएफ मद से बीएड की डिग्री पूर्ण होने पर रोजगार प्रदान करने की घोषणा की है। इसी प्रकार भोपालपट्टनम में बांस आधारित कारखाना स्थापित करने की पहल की जा रही है।

अनुसूचित जनजाति के समग्र विकास के लिए बस्तर क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण, सरगुजा क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण और मध्य क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण (रायपुर, दुर्ग एवं बिलासपुर संभाग) का गठन किया गया है। इन तीनों प्राधिकरणों में स्थानीय विधायकों को अध्यक्ष और उपाध्यक्ष बनाया गया है। सरकार ने जनजाति सलाहकार परिषद के कामकाज के लिए पृथक सचिवालय की स्थापना का निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री द्वारा जनजाति वर्गाें की दिक्कतों को ध्यान में रखते हुए जाति प्रमाण पत्र बनाने की प्रक्रिया का सरलीकरण किया गया है। नई प्रक्रिया के अंतर्गत अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के छत्तीसगढ़ के स्थानीय निवासियों के परिवार में शिशु के जन्म के समय उसके पिता की जाति के आधार पर शिशु का जाति प्रमाण पत्र भी निर्धारित प्रारूप में सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी किया जा रहा है। सरकार के इस निर्णय से जन्म प्रमाण पत्र प्राप्त करना अब आसान हो गया है। नक्सल प्रभावित अंचलों में अनुसूचित जनजाति वर्ग के रहवासियों के विरूद्ध दर्ज प्रकरणों की समीक्षा की जा रही है और इन प्रकरणों की वापसी के लिए सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में समिति गठित की गई है।

राज्य के सभी जिलों में 10-10 छात्रावासों एवं आश्रमों को मॉडल के रूप में विकसित करने का निर्णय लिया गया है। प्रथम चरण में राज्य के आदिवासी बाहुल्य जिलों में प्राथमिकता से आश्रमों एवं छात्रावासों का उन्नयन कार्य होगा। प्री-मेट्रिक छात्रावास एवं आवासीय विद्यालय सहित आश्रमों में निवासरत विद्यार्थियों की शिष्य वृत्ति दर में 100 रूपए की वृद्धि कर उन्हें अब 900 रूपए के स्थान पर एक हजार रूपए की शिष्य वृत्ति दी जा रही है। राज्य में वर्ष 2019-20 में 16 नवीन एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय प्रारंभ किए जा रहे है। मैट्रिकोत्तर छात्रावास में रहने वाले विद्यार्थियों को छात्र भोजन सहाय के लिए अक्टूबर 2019 से 500 रूपए के स्थान पर प्रतिमाह 700 रूपए दिए जाने का प्रावधान किया गया है।

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मुख्यमंत्री द्वारा राज्य के बस्तर अंचल के सुदूर पहुंचविहीन क्षेत्र में शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए खालेमुरवेंड में 100-100 सीटर बालक एवं कन्या तथा दोरनापाल, तोंगपाल एवं गोलापल्ली में 150-150 सीटर पोस्ट मैट्रिक छात्रावास प्रारंभ किए जा रहे है। वर्ष 2019-20 में 61 तथा वर्ष 2020-21 में 100 आश्रम-छात्रावास भवनों के निर्माण को मंजूरी, बजट में 33.75 करोड़ रूपए का प्रावधान रखा गया है। मिनी माता की स्मृति में छत्तीसगढ़ में 11 कन्या छात्रावासों की स्वीकृति दी गई है।

प्रदेश के दूरस्थ, वनांचल और अंतिम छोर तक बेहतर स्वास्थ्य सुविधा को लोगों तक पहुंचाने के लिए मुख्यमंत्री हाट बाजार क्लिनिक योजना 02 अक्टूबर को महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के अवसर पर शुरू की गई। इस योजना के माध्यम से राज्य के सभी जिलों के हाट बाजारों में मोबाईल, चिकित्सा यूनिट के माध्यम से लोगों का स्वास्थ्य परीक्षण एवं उपचार की सुविधा नियमित रूप से उपलब्ध कराई जा रही है। बस्तर संभाग में मलेरिया मुक्ति अभियान संचालित किया जा रहा है। इस अभियान के दौरान लोगों को जागरूक करने के साथ ही इसकी रोकथाम के लिए क्लोरोक्वीन टेबलेट का वितरण भी किया जा रहा है। एनीमिया और मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान के तहत घर-घर जाकर लगभग 14 लाख लोगों की रक्त सैम्पल की जांच की है।

नई सरकार ने अनुसूचित और अनुसूचित जनजाति के किसानों को भरपूर सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने के लिए कृषि पंपो पर बिजली बिल में पूरी छूट देने का निर्णय लिया। दूरस्थ नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में स्थित 462 पुलिस थानों और बेसकैम्पों को सौर ऊर्जा से विद्युतीकृत किया गया है। लोक निर्माण विभाग के माध्यम से संचालित निर्माण कार्यों के द्वारा भी स्थानीय युवाओं को रोजगार मिल रहा है। इन क्षेत्रों में लघु वनोपज पर आधारित लघु उद्योगों और प्रसंस्करण इकाईयों को प्रोत्साहित करने का निर्णय लिया गया है।

राज्य सरकार द्वारा निर्णय लिया गया है कि डीएमएफ की राशि का उपयोग खदान प्रभावित क्षेत्र में लोगों के जीवन में बेहतर परिवर्तन लाने के लिए किया जाएगा। आदिवासी क्षेत्रों में कुपोषण दूर करने के लिए चना वितरण के लिए शासन द्वारा 171 करोड़ रूपए और बस्तर संभाग में प्रति परिवार दो किलो गुड़ वितरण के लिए 50 करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है। बस्तर संभाग में कुपोषण दूर करने के लिए बच्चों और महिलाओं को विशेष पोषण आहार के वितरण का काम प्रारंभ हो चुका है। राज्य सरकार के प्रयासों की सराहना नीति आयोग ने भी की है।

इसी तरह तेंदूपत्ता संग्रहण की दर ढाई हजार रूपए से बढ़ाकर चार हजार रूपए प्रति मानक बोरा कर दी गई है। यह दर देश में सबसे अधिक है। अब 31 लघु वनोपजों की खरीदी समर्थन मूल्य पर की जा रही है। इनमें राज्य सरकार द्वारा वनवासियों के हित में अहम निर्णय लेते हुए महुआ के निर्धारित समर्थन मूल्य 17 रूपए से बढ़ाकर 30 रूपए प्रति किलोग्राम की गई है। इससे वनवासियों को वनांचलों में स्व-सहायता समूहों के माध्यम से रोजगार देने में तेजी आई है। राज्य में अब तक 112 करोड़ रूपए मूल्य के 4 लाख 75 हजार क्विंटल लघु वनोपजों का संग्रहण हो चुका है। बस्तर में प्रस्तावित स्टील प्लांट नहीं बनने पर लोहंड़ीगुड़ा क्षेत्र के किसानों की अधिगृहित भूमि लौटाने का महत्वपूर्ण निर्णय भी लिया गया है। यहां आदिवासियों को 4200 एकड़ जमीन वापस कर राजस्व अभिलेखों में नाम दर्ज करने की कार्रवाई भी पूर्ण कर ली गई है।

राज्य सरकार ने आदिवासियों के हित में अनेक ऐतिहासिक निर्णय लिए गए हैं, जिनमें वन अधिकार पट्टों के लिए प्रदेश में पूर्व में अमान्य किए गए आवेदनों पर पुनर्विचार कर पट्टे देने का कार्य किया गया है। 4 लाख 22 हजार व्यक्तिगत वन अधिकार पत्र और 30 हजार 900 सामुदायिक वन अधिकार पत्र वितरित किए गए। व्यक्तिगत वन अधिकार मान्यता के माध्यम से 3.81 लाख हेक्टेयर भूमि और सामुदायिक वन अधिकार पत्रों में 12.37 लाख हेक्टेयर से अधिक भूमि आवंटित की गई। नारायणपुर, बीजापुर और दंतेवाड़ा जिले के लगभग 275 असर्वेक्षित ग्रामों में वर्षों से निवासरत 50 हजार से अधिक लोगों को उनके कब्जे में धारित भूमि का मसाहती खसरा और नक्शा उपलब्ध कराए जाने का निर्णय लिया गया। इस निर्णय से किसान परिवारों के पास उनके कब्जे की भूमि का शासकीय अभिलेख उपलब्ध हो सकेगा और वे अपनी काबिज भूमि का अंतरण कर सकेंगे। इससे अबूझमाड़ क्षेत्र के अंतर्गत लगभ 10 हजार किसानों को 50 हजार हेक्टेयर भूमि का स्वामित्व प्राप्त होगा।

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राज्य शासन के निर्देश पर शांति नगर,रायपुर स्थित जर्जर सरकारी आवासों को तोड़कर छत्तीसगढ़ गृह निर्माण मण्डल द्वारा प्रदेश के आम नागरिकों के लिए आवासीय सह व्यवसायिक “रि डेवलेपमेंट योजना” तैयार की गई है, जिसके अनुसार वर्तमान समय की आवश्यकता को देखते हुए भवनों तथा व्यावसायिक परिसर का पुननिर्माण किया जाना प्रस्तावित है जिसके विरूद्ध छत्तीसगढ़ प्रदेश तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ द्वारा माननीय उच्च न्यायालय में याचिका क्रमांक रिट पिटीशन क्रमांक WPPIL no 65 of 2020 दायर कर तोड़फोड़ रोकने की मांग की गई थी, जिसकों हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश श्री पी.आर.रामचन्द्र मेनन एवं न्यायाधीश श्री पार्थ प्रतीम साहू जी की खण्ड पीठ द्वारा खारिज कर दिया गया है।

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राज्य शासन की मंशानुसार छत्तीसगढ़ गृह निर्माण मण्डल द्वारा तैयार “रि डेवलेपमेंट योजाना” के क्रियान्वयन में अब कोई रूकावट नहीं रह गई है एवं कालोनी में जिन अधिकारियों कर्मचारियों को भवन आवंटित थे, उनको दूसरे स्थानों में भवन उपलब्ध कराये जाने के परिणामस्वरूप कुछ अधिकारियों एवं कर्मचारियों द्वारा आवास खाली किये जा चुके है एवं अन्य कर्मचारी भी जल्द नवीन आवंटित आवासों में शिफ्ट हो रहे है। राजधानी रायपुर शहर के हृदय स्थल पर स्थित इस महत्वपूर्ण योजना में राज्य के मुख्य सचिव श्री आर.पी.मण्डल जी के निर्देश पर ग्रीनरी के लिये निर्धारित मापदण्ड से भी अधिक ग्रीनरी का प्रावधान किया गया है ताकि आक्सीजन पर्याप्त प्राप्त हो सके।

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राज्य सरकार छत्तीसगढ़ी संस्कृति के अनुरूप पौनी-पसारी जैसे पारंपरिक व्यवसाय से प्रदेश के स्थानीय बेरोजगारों को रोजगार के अवसर उपलब्ध करा रही हैं। इसके लिए नगरीय प्रशासन विभाग द्वारा गत वर्ष पौनी-पसारी योजना शुरू की गई है। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने इस योजना की शुरूआत की थी। शुरूआत के महज आठ से दस महिने में ही 71 पौनी-पसारी बाजारों का निर्माण तेजी से हो रहा है। योजना के तहत 31 करोड़ 36 लाख रूपए की लागत से 122 पौनी-पसारी बाजार का निर्माण किया जा रहा है। सभी 166 नगरीय निकायों में स्थल चिन्हांकित कर पौनी-पसारी बाजारों का निर्माण किये जाने का लक्ष्य रखा गया हैं। पौनी-पसारी बाजार के माध्यम से प्रदेश के लाखों पारंपरिक व्यवसाय से जुड़े बेरोजगारों को इसका लाभ मिलेगा। ज्ञात हो कि साप्ताहिक बाजार एवं पौनी-पसारी स्थानीय छत्तीसगढ़ी संस्कृति का अभिन्न अंग है। साप्ताहिक बाजारों के माध्यम से जहां एक ओर स्थानीय जनता जीवन-यापन के लिए आवश्यक वस्तुओं की खरीदी करते थे वहीं पौनी-पसारी के माध्यम से स्थानीय जन समुदाय की आवश्यकताओं तथा सेवाओं की पूर्ति भी सुनिश्चित हो जाती थी।

उल्लेखनीय है कि बढ़ते हुए शहरीकरण के कारण पौनी-पसारी से जुड़े अधिकांश व्यवसाय लुप्त होते जा रहे है। परंपरागत व्यवसायों तथा छत्तीसगढ़ की स्थानीय संस्कृति एवं परंपराओं को जीवन्त करने एवं इससे स्थानीय समाज तथा बेरोजगारों के लिए व्यवसाय के अवसरों का सृजन करने के लिए, राज्य प्रवर्तित पौनी-पसारी योजना, नवीन परिवेश में सभी 166 नगरीय निकायों में प्रारंभ की गई है। पौनी-पसारी योजना राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी योजना है। योजना के क्रियान्वयन हेतु नगरीय प्रशासन मंत्री डॉ. शिवकुमार डहरिया के मार्गदर्शन में नियमित समीक्षा की जा रही है।

राज्य सरकार ने स्थानीय परंपरागत व्यवसायों जैसे - लोहे से संबंधित कार्यो, मिट्टी के बर्तन, कपड़े धुलाई, जूते चप्पल तैयार करना, लकडी से संबंधित कार्य, पशुओं के लिए चारा, सब्जी-भाजी उत्पादन, कपडों की बुनाई, सिलाई, कंबल, मूर्तिया बनाना, फूलों का व्यवसाय, पूजन सामग्री, बांस की टोकरी, सूपा, केशकर्तन, दोना-पत्तल, चटाई तैयार करना, आभूषण एवं सौंदर्य सामग्री इत्यादि का व्यवसाय ‘‘पौनी-पसारी‘‘ व्यवसाय के रूप में जाना जाता रहा है, जिसमें परिवार के मुखिया के साथ-साथ अन्य सदस्यों को भी रोजगार प्राप्त होता था।

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राज्य सरकार इस योजना के तहत प्रदेश के नगरीय निकाय क्षेत्रों में असंगठित क्षेत्र के परंपरागत व्यवसाय करने हेतु इच्छुक व्यक्तियों एवं स्व-सहायता समूह की महिलाओं को कौशल उन्नयन के बाद सघन शहरी क्षेत्रों में व्यवसाय के लिए दस रूपये प्रति दिवस की दैनिक दर पर चबूतरा उपलब्ध कराया जा रहा है। यह योजना छत्तीसगढ़ की प्राचीन परंपरा के अंतर्गत पौनी-पसारी व्यवसाय को नवजीवन प्रदान करने में सहायक होगी।

पौनी-पसारी परिसर का रख-रखाव संबंधित निकाय द्वारा किया जाएगा। पौनी- पसारी के लिए मानक डिजाईन भी तैयार किया गया है। इसके तहत प्रति बाजार परिसर में 15 बडे चबूतरे उपलब्ध बनाए जा रहे हैं, जिन पर लगभग 90 व्यवसायी बैठककर अपना व्यवसाय कर सकते है।

प्रदेश के सभी नगरीय निकायों में प्राप्त प्रस्ताव के अनुसार पौनी पसारी बाजारों का निर्माण प्रक्रिया जारी है। राज्य के 14 नगर निगमों में से 13 नगर निगमों में चार-चार पौनी-पसारी बाजार निर्माण किया जाना है और रायपर नगर निगम में सभी 10 जोनों में एक-एक पौनी-पसारी बाजार इस तरह 10 पौनी-पसारी बाजार का निर्माण किया जा रहा है। इसी प्रकार सभी नगर पालिका परिषदों में दो-दो और नगर पंचायतों में एक-एक पौनी-पसारी बाजार का निर्माण कराया जाना है। अबतक 78 नगरीय निकायों में 122 पौनी-पसारी बाजारों के निर्माण के लिए 31 करोड़ 33 लाख रूपए की स्वीकृति प्रदान की जा चुकी है। शेष निकायों से पौनी-पसारी निर्माण हेतु प्रस्ताव प्राप्त होने पर स्वीकृति की कार्यवाही की जाएगी। वर्तमान में 71 पौनी-पसारी बाजार का निर्माण प्रगति पर है। बाकी सात पौनी-पसारी बाजार निर्माण के लिए निविदा प्रक्रियाधीन है, जिसे शीघ्र पूर्ण कर, निर्माण कार्य प्रारंभ किया जाएगा। नगर पालिक निगम रायपुर अंतर्गत मोहबाबाजार में पौनी-पसारी बाजार प्रारंभ किया जा चुका है। पूर्व में 08 जोन के आधार पर कुल आठ पौनी-पसारी बाजार प्रारंभ किये जाने की योजना प्रस्तावित थी, पर वर्तमान में नगर पालिक निगम रायपुर में 10 जोन के आधार पर दस पौनी-पसारी बाजार का निर्माण किया जाएगा।

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छत्तीसगढ़ शासन के स्कूल शिक्षा विभाग के द्वारा “पढ़ई तुंहर दुआर” ऑनलाईन शिक्षण पोर्टल की शुरूआत की है। राज्य स्तरीय ऑनलाईन कक्षा अंतर्गत आज विशेष कक्षा में वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ. प्रमोद गुप्ता ने कहा कि लोग जानकारी व अफवाहों की वजह से व्याकुल हो गए है कि अब पढ़ाई कैसे होगी। सोशल मीडिया इत्यादि की वजह से लोग भ्रमित हो गये है। लोग शिक्षा, बीमारी तथा जीवन शैली में तनाव से ग्रसित है। डॉ. गुप्ता ने ऑनलाईन शिक्षण के फायदे, ऑनलाईन सिखाने से शिक्षकों क्या फायदा, ई लर्निंग द्वारा शिक्षक के स्वयं के विकास व प्रोत्साहन, ऑनलाईन शिक्षा की कमियाँ, ऑनलाईन शिक्षण के दौरान पालक द्वारा बरते जाने वाली सावधानियाँ एवं ऑनलाईन शिक्षण के दौरान शिक्षक द्वारा बरते जाने वाली सावधानियाँ के बारे विस्तार से चर्चा की गई। यह कार्यक्रम यू-ट्यूब पर ढाई हजार से अधिक लोगों ने देखा।

इस विशेष सत्र में संयुक्त संचालक डॉ. योगेश शिवहरे, मीट स्टेट मीडिया सेंटर के प्रभारी श्री प्रशांत कुमार पांडे ऑनलाईन क्लास के प्रभारी सुशील राठौर शिक्षा सलाहकार श्री सत्यराज अय्यर उपस्थित थे।

उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल द्वारा “पढ़ई तुंहर दुआर” का शुभारंभ किया गया। इस पोर्टल का एक सप्ताह के भीतर 40 हजार से अधिक लोगों ने छानबीन की। पोर्टल में पंजीयन करने के लिए, विद्यार्थी cgschool.in में पंजीयन लिंक पर क्लिक करें, तत्पश्चात् शिक्षा का प्रकार चुने, मोबाइल नंबर ई-मेल दर्ज कर जिला का चयन करें और अपना पूरा पता व पासवर्ड भरकर रजिस्ट्रेशन लिंक पर क्लिक कर cgschool.in पंजीकृत हो सकते है।

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अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के अध्यक्ष व नेत्र विशेषज्ञ डॉ. दिनेश मिश्र ने आज स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा आयोजित राज्य स्तरीय ऑनलाइन क्लास एससीईआरटी में अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने वैज्ञानिक दृष्टिकोण और अंधविश्वास विषय पर रोचक एवं ज्ञानवर्धक जानकारी प्रदान की।

कार्यक्रम के प्रारंभ में ऑनलाईन क्लास के प्रभारी सुशील राठौर ने विषय विशेषज्ञ का परिचय दिया। वहीं आभार प्रदर्शन स्टेट मीडिया सेंटर के प्रभारी श्री प्रशांत कुमार पाण्डेय ने किया। इस अवसर पर संयुक्त संचालक डॉ. योगेश शिवहरे वरिष्ठ शिक्षा सलाहकार श्री सत्या राज, श्री डी. आर. साहू, श्री भास्कर देवांगन और श्री दिवाकर निम्जे उपस्थित थें।

डॉ. दिनेश मिश्र ने कहा कि कुछ लोग अंधविश्वास के कारण हमेंशा शुभ-अशुभ के फेर में पड़े रहते है। यह सब हमारे मन का भ्रम है। शुभ-अशुभ सब हमारे मन के अंदर ही है। किसी भी काम को यदि सही ढंग से किया जाये, मेहनत, ईमानदारी से किया जाए तो सफलता जरूर मिलती है। उन्होंने कहा कि 18वीं सदी की मान्यताएं व कुरीतियां अभी भी जड़े जमायी हुई है जिसके कारण जादू-टोना, टोनही, बलि व बाल विवाह जैसी परंपराएं व अंधविश्वास आज भी वजूद में है। जिससे प्रतिवर्ष अनेक मासूम जिन्दगियां तबाह हो रही है। उन्होंने कहा कि ऐसे वैज्ञानिक सोच को अपनाने की आवश्यकता है। उन्होंने आगे कहा कि अंधविश्वास को कुरीतियों के विरूद्ध समाज के प्रत्येक व्यक्ति एवं जनप्रतिनिधि को एकजुट होकर आगे आना चाहिए।

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डॉ. मिश्र ने कहा प्राकृतिक आपदायें हर गांव में आती है, मौसम परिवर्तन व संक्रामक बीमारियां भी गांव को चपेट में लेती है, वायरल बुखार, मलेरिया, दस्त जैसे संक्रमण भी सामूहिक रूप से अपने पैर पसारते है। ऐसे में ग्रामीण अंचल में लोग बैगा-गुनिया के परामर्श के अनुसार विभिन्न टोटकों, झाड़-फूंक के उपाय अपनाते है। जबकि प्रत्येक बीमारी व समस्या का कारण व उसका समाधान अलग-अलग होता है, जिसे विचारपूर्ण तरीके से ढूंढा जा सकता है। उन्होंने कहा कि बिजली का बल्ब फ्यूज होने पर उसे झाड़-फूंक कर पुनः प्रकाश नहीं प्राप्त किया जा सकता न ही मोटर सायकल, ट्रांजिस्टर बिगड़ने पर उसे ताबीज पहिनाकर नहीं सुधारा जा सकता। रेडियो, मोटर सायकल, टी.वी., ट्रेक्टर की तरह हमारा शरीर भी एक मशीन है जिसमें बीमारी आने पर उसके विशेषज्ञ के पास ही जांच व उपचार होना चहिए।

डॉ. मिश्र ने शिक्षकों से विभिन्न सामाजिक कुरीतियों एवं अंधविश्वासों की चर्चा करते हुए कहा कि बच्चों को भूत-प्रेत, जादू-टोने के नाम से नहीं डराएं क्योंकि इससे उनके मन में काल्पनिक डर बैठ जाता है जो उनके मन में ताउम्र बसा होता है। बल्कि उन्हें आत्मविश्वास, निडरता के किस्से कहानियां सुनानी चाहिए। जिनके मन में आत्मविश्वास व निर्भयता होती है उन्हें न ही नजर लगती है और न कथित भूत-प्रेत बाधा लगती है। यदि व्यक्ति कड़ी मेहनत, पक्का इरादा का काम करें तो कोई भी ग्रह, शनि, मंगल, गुरू उसके रास्ता में बाधा नहीं बनता। इस ऑनलाईन क्लास के दरम्यान लगभग तीन हजार से भी अधिक बच्चों पालकों व शिक्षकों ने यू-ट्यूूब के माध्यम से देखा।

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प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि डॉ रमन सिंह मुख्यमंत्री रहते विधायक दल की बैठक में विधानसभा चुनाव भले ही हार जाएंगे लेकिन नोटबंदी की तरह ही शराबबंदी करने की घोषणा किए थे। लेकिन शराबबंदी तो नहीं किए बल्कि ज्यादा से ज्यादा कैसे शराब बेचा जाए इसके लिए अन्य राज्यों में कमेटी भेजकर प्रस्ताव बुलाते हैं और शराब के ज्यादा बिक्री करने से मिलने वाली 1500 करोड़ की कमीशनखोरी में व्यस्त रहे हैं। उस दौरान डॉ रमन सिंह शराब को कल्चर कहा था। और हकीकत यही है भाजपा के लिए शराब तस्करी और शराब के अवैध कार्य करना कल्चर की तरह ही है। पूरे प्रदेश में भाजपा के नेताओं के शराब तस्करी और शराब के अवैध धंधों में संलिप्ता उजागर हो रही है।

लॉकडाउन के दौरान नारायणपुर के भाजपा के मंडल अध्यक्ष सहित महामंत्री और तीन लोगों को की गिरफ्तारी शराब खोरी करते होती है और भाजपा नेता पुलिस के अधिकारियो को नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में ट्रांसफर करा देने का धौंस जमाते है। कांकेर बलौदाबाजार राजनांदगांव में भी भाजपा के नेता शराब तस्करी करते पकड़े जाते हैं। पाटन विधानसभा क्षेत्र में भाजपा सांसद के नेतृत्व में शराब का विरोध करने के बहाने पहुंचे भाजपा के नेता गाड़ी में लदी शराब की बोतल लूट ले कर अपनी शराबखोरी की तृष्णा की पूर्ति करते है।20 से अधिक भाजपा नेताओं पर शराब लूट की अपराध दर्ज है।

प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि मुख्यमंत्री रहते डॉ रमन सिंह ने शराब से कमीशनखोरी कर शराब की ज्यादा से ज्यादा बिक्री की योजना बनाकर भारत माता वाहिनी,महिला कमांडो और गुलाबी गैंग के माध्यम से चलाये जा रहे शराबबंदी और नशा मुक्ति अभियान में शामिल माता एवं बहनों के साथ दगाबाजी किया था। एक ओर राज्य की महिलाओं को शराबबंदी का सपना दिखाएं वही दूसरी ओर भाजपा के विधायकों को छत्तीसगढ़ के बाहर अन्य राज्य में भेज कर ज्यादा से ज्यादा शराब कैसे बेचा जाए ? बीयर पीने प्रोत्साहित किया जाए? और शराब को सहूलियत और आसानी से बेचने के लिए शराब के काउंटर बढ़ाने की योजना पर काम किया।

प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि असफल नोटबंदी जिसके कारण देशभर को आर्थिक क्षति हुआ है व्यापार व्यवसाय तबाह हो गया।जानमाल की क्षति हुई है उस नोटबन्दी के हिमायती बन रहे पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह जो सत्ता रहते नोटबंदी की तरह शराबबंदी करने की दावा करते थे क्यों नहीं अब मोदी सरकार से नोटबंदी की तरह देशभर में शराबबंदी लागू कराते है?

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छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव में शनिवार सुबह हुए सड़क हादसे में बिलासपुर हाईकोर्ट के जज गौतम चौरडिया के पुत्र प्रियांश चौरडिया की मौत हो गई। प्रियांश सुबह कार में पेट्रोल भरवाने के लिए निकले थे। इसी दौरान तेज रफ्तार कार अनियंत्रित होकर ट्रेलर में जा घुसी। घटना कोतवाली क्षेत्र के आरके नगर की है। शनिवार की सुबह तड़के 5:30 बजे नेशनल हाईवे पर बर्फानी आश्रम के पास एक बड़ा सड़क हादसा हो गया, जिसमें छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के जज गौतम चौरडिया के पुत्र प्रियांश चौरडिया की मौत हो गई। पुलिस ने मर्ग कायम कर शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है।


मिली जानकारी के अनुसार प्रियांश चौरडिया अपनी कार सीजी 07 ए आर 1300 में पेट्रोल डालने के लिए कामठी लाइन स्थित अपने निवास से निकला था। बर्फानी आश्रम के पास पहुंचा ही था कि ट्रेलर ने उनकी गाड़ी को जबरदस्त टक्कर मार दी। टक्कर इतनी जबरदस्त थी, कि गाड़ी के सामने के परखच्चे ही उड़ गए। प्रियांश को जैसे- तैसे गाड़ी से बाहर निकाला गया और उन्हें तत्काल मेडिकल कॉलेज अस्पताल बसंतपुर ले जाया गया। जहां उसे डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया।

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टक्कर के बाद भी ट्रेलर चालक को पता नहीं चला
ट्रेलर से टक्कर के बाद कार उसी में पीछे फंस गई। इस दौरान ट्रेलर चालक करीब आधा किमी तक कार को घसीटता हुआ ले गया, लेकिन उसे हादसे का पता ही नहीं चला। बताया जा रहा है कि सड़क पर जा रहे लोगों ने देखा तो ट्रेलर रुकवाकर पुलिस को सूचना दी।

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वन परीक्षेत्र धमनी के अंतर्गत ग्राम बसेरा के सरपंच द्वारा दो वनपाल पर मारपीट का आरोप लगाया गया था जिसके बाद त्रिकुंडा थाना में दोनों वनपालो के विरुद्ध अपराध पंजीबद्ध किया गया था वही सरपंच को सर पर गंभीर चोट लगने के बाद इलाज के लिए रामानुजगंज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लाया गया था जहां वह बीते 1 सप्ताह से भर्ती थे इस बीच अचानक तबीयत बिगड़ने के बाद अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज के लिए रेफर किया गया।

प्राप्त जानकारी के अनुसार ग्राम बसेरा के सरपंच करसन सिंह के द्वारा करीब 10 दिन पूर्व गांव के ही एक व्यक्ति के ट्रैक्टर से खेत की जुताई करवाया जा रहा था इसी दौरान रात 11 बजे के करीब वनपाल सुरेश यादव एवं राम प्रताप सिंह मौके पर पहुंचे एवं जोताई कर रहे क्षेत्र को वन भूमि बताते हुए हुए दोनों के बीच विवाद की स्थिति निर्मित हो गई जिसके बाद सरपंच करसन सिंह के सिर पर गंभीर चोट लगी सरपंच ने आरोप लगाया कि सुरेश यादव एवं राम प्रताप सिंह के द्वारा लाठी डंडे एवं हाथ से गंभीर मारपीट की गई जिसके बाद देर रात ही सरपंच त्रिकुंडा थाना पहुंचे थे जहां दोनों वनपाल के विरुद्ध अपराध पंजीबद्ध कराया गया था वही करसन सिंह को इलाज के लिए रामानुजगंज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया था जहां उनका इलाज चल रहा था इस बीच करसन सिंह की स्थिति अचानक बिगड़ने के बाद अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल के लिए रेफर किया गया।

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