one short news only from Chhattishgarh ,dated: 15 MAY 2020




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मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि छत्तीसगढ़ राज्य में आने वाले श्रमिकों के कष्टों के बारे में रमन सिंह द्वारा दिया गया बयान तथ्यहीन और क्षुद्र राजनीतिक स्वार्थ सिद्धि हेतु दिया गया बयान है ।रमन सिंह यदि राज्य में आने वाले और राज्य से गुजरने वाले श्रमिकों से प्रत्यक्ष में मिलकर उनका हालचाल जानते तो उन्हें यह जानकारी मिल जाती कि छत्तीसगढ़ देश का एकमात्र राज्य है जहां बाहर से आ रहे सभी श्रमिकों को भोजन पानी एवं परिवहन की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है।भाजपा शासित राज्यों में रह रहे श्रमिकों के लिए भोजन पानी की कोई व्यवस्था नहीं की गई जिससे परेशान होकर वे पैदल ही अपने गृह राज्यों की ओर जाने के लिए विवश हो गए ।

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राज्य के सभी जनप्रतिनिधियों अधिकारियों कर्मचारियों एवं सामाजिक संगठनों द्वारा विगत 3 माह से दिन-रात अथक परिश्रम किया गया जिसके कारण ही आज राज्य करोना वायरस से निपटने में सफल हो सका है। केंद्र सरकार के साथ ही सारा देश आज छत्तीसगढ़ में करोना से निपटने हेतु किए गए प्रयासों की सराहना कर रहा है। राज्य के अधिकारियों के घर बैठकर नेटफ्लिक्स देखने का आरोप निहायत गैर जिम्मेदाराना है ।यह हमारे लाखों अधिकारियों कर्मचारियों का अपमान है जिन्होंने करोना से लड़ाई में योद्धाओं की तरह कार्य किया है । रमन सिंह को अपने कथन के लिए अधिकारियों कर्मचारियों से माफी मांगनी चाहिए । राष्ट्रीय आपदा की इस घड़ी में रमन सिंह को चाहिए कि घर बैठे बैठे बेसिर पैर की विज्ञप्ति जारी करने के बजाए करोना पीड़ितों की सहायता करें ।

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पूर्व सीएम रमन सिंह ने पत्रकारों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए चर्चा कर मजदूरों की समस्या की वजह प्रदेश सरकार को बताया है। रमन सिंह के मुताबिक प्रदेश सरकार ने अभी तक केंद्र को रोड मैप नहीं सौंपा है। देश में 300 ट्रेनें चल चुकी हैं लेकिन छत्तीसगढ़ में कम ट्रेनें आई है।रमन सिंह ने प्रदेश के मजदूरों के खाते में 1 हजार रुपए डालने की सरकार से मांग की है। साथ ही मनरेगा की अवधि 200 दिन बढ़ाने और बरसात में काम चालू रखने पर कहा। 100 दिन का काम पूरा करें फिर आगे के बारे में सोचें।प्रदेश सरकार पर कटाक्ष करते हुए रमन ने कहा कि प्रदेश में वैसे भी मनरेगा के अलावा कोई काम नहीं चल रहा। पीएम मोदी को पत्र लिखने पर भी रमन ने खिंचाई की है। रमन के मुताबिक केवल चिट्ठी लिखने से आर्थिक पैकेज नहीं मिलता।

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मुख्यमंत्री श्री बघेल ने पत्र में लिखा है कि राज्य के 1.50 लाख से अधिक श्रमिक तथा अन्य व्यक्ति अन्य राज्यों में अवरूद्ध हैं तथा लॉकडाउन से उत्पन्न परिस्थितियों के कारण वे अपने गृह राज्य छत्तीसगढ़ की वापसी हेतु व्यग्र हैं। अन्य राज्यों से श्रमिकों की वापसी की प्रक्रिया प्रारंभ हो चुकी है। लगभग 27 हजार से अधिक श्रमिक स्वयं के साधनों तथा राज्य शासन द्वारा उपलब्ध कराए गए बस सुविधा से गृह राज्य लौट चुके हैं। इसके अतिरिक्त लगभग एक लाख 32 हजार श्रमिकों को रेल तथा बसों के माध्यम से लाने की प्रक्रिया 11 मई से प्रारंभ हो चुकी है। श्रमिकों के लिए रेल तथा बस परिवहन में हुए व्यय का भुगतान एसडीआरएफ (राज्य आपदा मोचन निधि) से किए जाने का प्रावधान वर्तमान में नहीं है। राज्य शासन द्वारा छत्तीसगढ़ होकर अन्य राज्यों को जाने वाले श्रमिकों हेतु भी भोजन, पानी तथा संबंधित राज्य की सीमा तक बस में छोड़े जाने के उपाय सुनिश्चित किए गए हैं। श्रमिकों के परिवहन तथा अन्य सुविधाओं में बड़ी राशि व्यय होने की संभावना है।

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श्री बघेल ने पत्र में लिखा है कि भारत सरकार द्वारा कोविड-19 को आपदा की श्रेणी में रखा गया है। उन्होंने भारत सरकार, गृह मंत्रालय नई दिल्ली के 14 मार्च 2020 के पत्र का उल्लेख करते हुए कहा है कि इस पत्र में राज्य आपदा मोचन निधि से क्वारेंटीन में रखे जाने, व्यक्तियों के नमूना संग्रह और स्क्रीनिंग के उपाय कलस्टर कन्टेंनमेंट ऑपरेशन, कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग के लिए एसडीआरएफ (राज्य आपदा मोचन निधि) की प्रावधानित राशि में से 25 प्रतिशत सीमा तक व्यय किए जाने का प्रावधान रखा गया है। इसके अतिरिक्त कोविड-19 की रोकथाम के लिए प्रयोगशाला की स्थापना, आवश्यक उपकरणों का क्रय, स्वास्थ्य विभाग, पुलिस विभाग, अग्निशमन सेवाओं के लिए व्यक्तिगत सुरक्षा किट क्रय किए जाने, थर्मल स्केनर, वेंटिलेटर, वायु शुद्धिकरण यंत्र तथा हॉस्पिटल में प्रयुक्त होने वाले अन्य सामग्री क्रय किए जाने के लिए एसडीआरएफ (राज्य आपदा मोचन निधि) राशि से 10 प्रतिशत सीमा तक व्यय का प्रावधान रखा गया है। इसके अतिरिक्त प्रवासी श्रमिकों तथा जरूरतमंद बेघर-बार व्यक्तियों के लिए लॉकडाउन अवधि में राहत शिविरों के संचालन हेतु एसडीआरएफ (राज्य आपदा मोचन निधि) से व्यय किए जाने हेतु भारत सरकार, गृह मंत्रालय के 28 मार्च के पत्र द्वारा प्रावधान रखा गया है।

मुख्यमंत्री ने पत्र में लिखा है कि श्रमिकों के परिवहन तथा अन्य सुविधाओं में बड़ी राशि व्यय होने की संभावना है। इन परिस्थितियों में श्रमिकों तथा अन्य व्यक्तियों के अंतर्राज्यीय परिवहन तथा राज्य के भीतर एक स्थान से दूसरे स्थान पर होने वाले परिवहन व्यय के भुगतान हेतु एसडीआरएफ (राज्य आपदा मोचन निधि) में समुचित प्रावधान किया जाना आवश्यक है। श्री बघेल ने इस संबंध में भारत सरकार के गृह मंत्रालय को यथोचित निर्देश देने का अनुरोध प्रधानमंत्री श्री मोदी से किया है।

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छत्तीसगढ़ स्टेट वेयर हाउसिंग कार्पोरेशन में नियम विरुद्ध भर्ती किए जाने के मामले में की गई शिकायत पर छत्तीसगढ़ स्टेट वेयर हाउसिंग कार्पोरेशन के प्रबंध संचालक ने तत्कालीन प्रबंधक लेखा सीएम रितेश अग्रवाल, मो आगा हुसैन तत्कालीन उप प्रबंधक तकनीकी और तत्कालीन प्रबंधक उप तकनीकी श्रद्धा अग्रवाल को तत्काल प्रभाव से उनके प्रभार से हटा दिया है। उनके स्थान पर अन्य को प्रभार सौंपा गया है। जबकि शिकायत में शामिल एक अन्य तत्कालीन अधिकारी को क्लीन चिट दे दी गई है।

आपको बता दें कि छत्तीसगढ़ स्टेट वेयर हाउसिंग कार्पोरेशन में नियम विरुध भर्ती और संबंधितों को लाभ पहुंचाने की शिकायत राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरों में की गई थी। ईओडब्ल्यू ने इस मामले में जांच को सही पाकर मामला को जांच में लिया है।सामान्य प्रशासन ​विभाग के नियमानुसार जिन अधिकारियों पर अपने पद के दायित्व के निर्वहन के दौरान आर्थिक मामलों में शिकायतों की जांच चल रही है, उन्हें उसी विभाग के महत्वपूर्ण पदों से हटाए जाने का स्पष्ट प्रावधान है।ईओडब्ल्यू द्वारा मामले को जांच में लिए जाने पर छत्तीसगढ़ स्टेट वेयर हाउसिंग कार्पोरेशन के प्रबंध संचालक ने तत्कालीन तत्कालीन प्रबंधक लेखा रितेश अग्रवाल, मो आगा हुसैन तत्कालीन उप प्रबंधक तकनीकी और तत्कालीन प्रबंधक उप तकनीकी श्रद्धा अग्रवाल को तत्काल प्रभाव से उनके प्रभार से हटा दिया है।हटा दिया है।

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छत्तीसगढ़ शासन द्वारा कोरोना संकट के दौरान लॉक डाउन में फंसे लोगों के लिए स्वयं के वाहन से अंतर्राज्यीय आवागमन की अनुमति देने के लिए ई-पास एप्लीकेशन और वेबसाईट लॉन्च की गई है। अनुमति प्राप्त करने के लिए इच्छुक ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। आवेदकों को उनकी आपात स्थिति जैसे चिकित्सा संबंधी इलाज, परिवार में किसी सदस्य के निधन आदि होने पर अनुमति देने पर विचार किया जाएगा।

ऑनलाइन आवेदन करते समय आवेदकों को व्यक्तिगत विवरण, यात्रा के संबंध में विस्तृत जानकारी जिसमें वाहन नम्बर तथा यात्रा का विवरण, यात्रा का उद्देश्य शामिल हैं, की जानकारी देनी होगी। पूरी जानकारी ऑनलाइन दर्ज करने के बाद सक्षम प्राधिकारी द्वारा केन्द्र और राज्य सरकार की गाइड लाइन को ध्यान में रखते हुए इसके लिए अनुमति देने या नहीं देने पर विचार किया जाएगा। ई-पास एप्लीकेशन गूगल प्ले स्टोर पर जाकर डाउनलोड किया जा सकता है। एप्लीकेशन डाउनलोड करने के लिए https://play.google.com/store/apps/details?id=com.allsoft.corona. लिंक पर जाना होगा।

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अंतर्राज्यीय परिवहन के लिए इच्छुक आवेदक वेबसाईट के जरिए भी इंटर स्टेट ई-पास प्राप्त कर सकते हैं। इसके लिए उन्हें वेबसाईट के पता https://epass.cgcovid19.in/ पर जाकर आवश्यक जानकारी दर्ज करानी होगी। साथ ही दस्तावेज भी अपलोड करने होंगे।

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सिमगा एसडीएम के फर्जी पत्र एवं सील-मुहर से परिवहन पास जारी किये जाने का मामला सामने आया है। भास्कर पयासी नाम के व्यक्ति ने इस फर्जी पास से जबलपुर की यात्रा भी की है। एसडीएम की रिपोर्ट पर सिमगा थाने में इस पर प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज की गई है। सिमगा थाने में आरोपी भास्कर पयासी के विरूद्ध भारतीय दण्ड संहिता की धारा 420, 467, 468, 471, 472, 188 और महामारी अधिनियम 1897 की धारा 3 के तहत अपराध(एफआईआर) पंजीबद्ध किया गया है।

अनुविभागीय दण्डाधिकारी श्री धनीराम रात्रे द्वारा सिमगा थाने में की गई लिखित शिकायत के अनुसार उनके कार्यालय का फर्जी पत्र एवं नकली सील-मुहर का उपयोग करते हुये भास्कर पयासी के नाम से एक पास तैयार किया गया। 11 मई की तारीख में पास जारी होना बताया गया हैंI पास में वाहन क्रमांक सीजी 07 बीएस 5656 का उल्लेख किया गया है। सिमगा से जबलपुर की यात्रा के लिये फर्जी परिवहन पास बनाया गया है। इस कूटरचित परिवहन पास के आधार पर श्री भास्कर पयासी द्वारा जबलपुर की यात्रा भी की गई है। एसडीएम का हस्ताक्षर भी कूट रचित पास में नकली तरीके से किया गया है। पास में जो जावक नम्बर दर्शाया गया है,वह भी फर्जी है। श्री भास्कर पयासी ने नकली पास से यात्रा कर निषेधाज्ञा का उल्लंघन किया है। उनके द्वारा कोरोना जैसे भयावह महामारी को फैलाने का काम किया गया है। एसडीएम ने फर्जी पास में उल्लिखित नम्बर से सम्पर्क कर पूछा तो भास्कर पयासी ने कहा कि वह जबलपुर से लौट रहा है और इसके बाद बिलासपुर जायेगा। एसडीएम द्वारा परिचय दिये जाने पर वह फोन काट दिया। एसडीएम ने मामले की गंभीरता को देखते हुये तत्काल एफआईआर दर्ज कराई। सिमगा थाने में अपराध क्रमांक 0149 दिनांक 14 मई को उपरोक्त धाराओं के तहत मामला दर्ज कर ली गई है।

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यदि आपके आस-पास घर-पड़ोस मे देश के दुसरे राज्यों या अन्य जिलों से कोई भी व्यक्ति बेमेतरा जिले मे आया हो तो उसकी जानकारी जिला प्रशासन या स्वास्थ्य विभाग को देवें। कलेक्टर एंव जिला दण्डाधिकारी श्री शिव अनंत तायल ने जिले मे बड़ी संख्या मे बाहर आ रहे प्रवासी श्रमिकों और लोगों से कोरोना वायरस संक्रमण के फैलाव को रोकने के लिए यह अपील जिला वसियों से की है। बेमेतरा जिले मे बाहर कहीं से भी आने वाले श्रमिक या अन्य किसी भी कारण से आने वाले लोगों की जानकारी जिला प्रशासन को देना अनिवार्य किया गया है। रेल, बस, पैदल या अन्य साधन से बाहर से आने वाले सभी लोगांे को 14 दिनों तक प्रशासन द्वारा बनायें गयें क्वारंेटाइन सेंटरों मे रखा जायेगा। ऐसे लोगों की जानकारी छुपाने और उनसे कोरोना संक्रमण होने पर संबंधित लोगों के विरुद्ध प्रशासन द्वारा महामारी नियंत्रण अधिनियम के तहत कार्यवाही भी की सकेगी।

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कलेक्टर ने बताया कि जिले मे कोरोना संक्रमण को रोकने और स्वास्थ को ध्यान मे रखकर उनकी बेहतरी के लिए यह व्यवस्था की गई है। उन्होने बताया कि इस व्यवस्था से बाहर से आये लोगों का सीधे घर न जाकर 14 दिन अलग क्वारेंटाइद सेंटर मे रहने से उनके परिजनों के साथ-साथ आस-पास के लोगों मे भी कोरोना के संक्रमण को रोका जा सकेगा। श्री तायल ने बताया कि बड़ी संख्या मे प्रवासी श्रमिको अैर अन्य किसी कारणें से बाहर गये लोगों के बेमेतरा जिले मे वापस लौटकर सीधें अपने-अपने घर पहुँच जाने से ग्रामीण और शहरी इलाकों मे कोराना संक्रमण के फैलाव की आशंका है। कलेक्टर ने लोगों से अपील की है कि कोरोन को जिले मे फलने से रोकने के लिए बाहर से आये किसी भी व्यक्ति की जानकारी तत्काल जिला प्रशासन को देवें। जिले के विभिन्न ग्राम पंचायतों, स्कूलों एवं सामुदायिक भवनों को क्वारेंटादन सेटर बनाया गया है।

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केंद्र सरकार की गाइडलाइन के मुताबिक लगातार 14 दिनों तक कोई मरीज नहीं मिला तो संबंधित जिला आरेंज जोन की श्रेणी में आता है। 21 दिनों तक मरीज नहीं मिलने पर ग्रीन जोन में आ जाएगा।रेड जोन में शामिल की गई राजधानी रायपुर में पिछले 10 दिन से कोरोना का नया मामला सामने नहीं आया है। जानकारों के मुताबिक 4 दिन नया केस नहीं मिला तो राजधानी खुदबखुद रेड से ऑरेंज जोन में आ जाएगी। रायपुर में 4 मई के बाद नया केस नहीं मिला है। हालांकि आमानाका क्षेत्र को कंटेनमेंट एरिया घोषित कर दिया है। युवक के संपर्क में आए 150 लोगों की रिपोर्ट नेगेटिव आई है। इसके बाद भी वहां से प्रतिबंध नहीं हटाया गया है। साइंस कॉलेज बंद है। एरिया के सभी दुकानें भी बंद हैं। अब तक रायपुर में सात, कोरबा में 28, दुर्ग में 10, कवर्धा में छह, सूरजपुर में छह, कोरिया में दो, राजनांदगांव, बिलासपुर में एक-एक मरीज मिला है। जबकि बाकी 20 जिले कोरोना फ्री जिले हैं।
प्रदेश में कहीं भी नहीं है हॉटस्पॉट
प्रदेश में एक भी हॉट स्पॉट नहीं बचा है ,अप्रैल के पहले और दूसरे महीने में कटघोरा में मरीज मिले थे जिससे कटघोरा भी हॉट स्पॉट बना हुआ था.कटघोरा में पिछले एक महीने से एक भी मरीज नहीं आया है,इसलिए कोरबा जिला ही हॉट स्पॉट से बाहर हो गया है, 3 मई को दुर्ग में 8 व कवर्धा में 6 मरीज मिले थे। सूरजपुर में 30 अप्रैल को तीन व एक मई को तीन मरीज मिले थे लेकिन तब से अभी तक एक मरीज भी नहीं आया है इसलिए ये जिला भी कोरोना फ्री होने के लिए अग्रसर है.

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प्रदेश में पिछले नौ दिनों से नया मरीज नहीं मिला है। यह राहत की बात है। प्रदेश में कोई हॉट स्पॉट नहीं होने का मतलब ये है कि किसी भी इलाके में नियमित रूप से नए मरीज नहीं मिल रहे हैं। कटघोरा में 4 से 14 अप्रैल तक यानी केवल 10 दिनों में 27 मरीज मिले थे। इससे स्वास्थ्य विभाग समेत प्रशासन की चिंता बढ़ गई थी। 3 मई को एक साथ आठ मरीज दुर्ग में व छह मरीज कवर्धा में मिले थे।ये प्रवासी मजदूर थे। ये चोरी-छिपे महाराष्ट्र व मध्यप्रदेश से लौटे थे। 5 मई को फरीदनगर भिलाई की एक महिला कोरोना पॉजीटिव निकला। वह भंडारा महाराष्ट्र से लौटी थी। कोरोना से बचाव के लिए सरकार के निर्देश पर सभी मास्क और ग्लब्स पहन रहे हैं। शासन ने यूज किए हुए मास्क और ग्लब्स को फेंकने और नष्ट करने की गाइडलाइन तक जारी कर रखी है। इसके बावजूद इन्हें फेंकने में शहर में सबसे ज्यादा लापरवाही हो रही है। लोग इन्हें अपने घर या बाहर रखे डस्टबिन में फाड़कर या काटकर नहीं डाल रहे हैं, बल्कि कहीं भी फेंकने लगे हैं।गाड़ियों के चक्के और हवा के साथ फैलती यह यूज्ड सामग्री कई ऐसे लोगों के लिए खतरनाक हो सकती है, जैसे, फल-सब्जीवाले, मेडिकल कर्मचारी और सफाईकर्मी। बड़ा खतरा घरों के अासपास खेल रहे बच्चों को भी है, क्योंकि वे ऐसे मास्क को कौतूहल में टच कर सकते हैं। पर्यावरण मंडल के सदस्य सचिव आरपी तिवारी ने बताया कि एक बार फिर अपील की गई है कि होम क्वारेंटाइन या अन्य उपयोग के मास्क व ग्लब्स को डस्टबिन में डालने से पहले 72 घंटे पहले एक पेपर बैग में अलग से रखना चाहिए।

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