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detail news only from Chhattishgarh ,dated: १८ जुलाई २०२०

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प्रदेश में आज लगातार कोरोना का प्रकोप जारी रहा ,स्वास्थ्य विभाग द्वारा शाम ६ बजे के बुलेटिंन के अनुसार प्रदेश में आज नए मरीजो की संख्या २४३ रही है जिसमें जिलेवार संख्या के अनुसार बिअल्स्पुर से ६४,कांकेर से ४५ रायपुर से २५ ,बीजापुर दुर्ग से १८ १८ ,बस्तर एवं जांजगीर चांपा से ११,नारायणपुर और रायगढ़ से ७ ७.सुकमा और सरगुजा से 4 4 ,बेमेतरा कबीरधाम दंतेवाडा कोंडागांव से 3 3,धमतरी बलौदाबाजार जशपुर और अन्य राज्य से २ २ ,राज्नंदगाँव कोरबा बलरामपुर से 1 1 शामिल है

बिलासपुर में आज 62 नए पॉजिटिव मिले हैं, जिनमें शहर में 6 पुरुष व 4 महिला समेत 10 मरीज, बिल्हा क्षेत्र से 13 और सबसे ज्यादा मस्तूरी क्षेत्र से 39 मरीज शामिल हैं। इन मरीजों में 1 व 7 साल के बच्चे से लेकर 65-70 साल के बुजुर्ग तक शामिल हैं।बिलासपुर में मिले 10 नए मरीजों में जूनी लाइन, सरकंडा के देवनंदन नगर सहित शहर के अन्य इलाकों के लोग शामिल हैं।




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सुबह से प्रदेश भर में इस बात के चर्चा गरम रही की पुरे प्रदेश में लॉक डाउन लगने वाला है .इसको ले कर तरह तरह के कयास लगाये जा रहे थे की ९ दिन का लॉक डाउन होगा या १५ दिन का होगा या आज रात से ही होगा .मुख्य्म्नात्री द्वारा ली गयी बैठक से स्थिति अब साफ़ हो गई है.

प्रदेश में अब लॉक डाउन एक साथ नहीं होगा सबंधित जिले के कलेक्टर इस बात कर निर्णय लेंगे की लॉक डाउन कैसा और किन परिश्थियों में लगाया जाएगा .कलेक्टरों को इस बात का अधिकार दिया गया है कि वे जिले में कोरोना की स्थिति को देखते हुए फैसला लेंगे। शनिवार को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में मंत्रियों के साथ बैठक हुई, जिसमें इस बात का निर्णय लिया गया है कि 21 जुलाई के बाद प्रदेश में लॉकडाउन लगाया जायेगा। हालांकि इसकी अवधि अभी तय नहीं हुई है। जिलों की स्थिति के आधार कलेक्टर निर्णय लेंगे कि लॉकडाउन कितने दिनों का होगा, हालांकि ये लॉकडाउन 7 दिन से कम का नहीं होगा।

इस बात के कयास लगाये जा रहे है की गो धन न्याय योजना के बाद २१ जुलाई से लगभग सभी नगरीय क्षेत्रो में लॉक डाउन लगाया जा सकता है हालांकि पूरे प्रदेश में लॉकडाउन को लेकर सरकार का कोई इरादा नहीं है, लेकिन जिस तरह से अधिकांश जिले इसकी चपेट में है लगता नहीं कि लॉकडाउन से किसी भी जिले को रियायत मिलेगी। धमतरी, सुकमा जैसे इक्का-दुक्का जिलों को जरूर इससे राहत मिल सकती है।

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कलेक्टर ७२ घंटे पहले सूचना देंगे
प्रदेश में सभी जिलों में एक साथ लॉकडाउन की बाध्यता नहीं होगी। कलेक्टर अपने जिलों की स्थिति से लॉकडाउन पर निर्णय लेंगे। इस लॉक डाउन की खासियत ये होगी की ये अचानक नहीं लगाया जायेगा ,कलेक्टर लॉकडाउन के 72 घंटे पहले इस बात सूचना देंगे कि किस तारीख से जिले में लॉकडाउन लगने जा रहा है।

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प्रदेश की सीमाओं पर परिवहन जांच चौकियों एवं परिवहन उड़नदस्तों को फिर से शुरू किया गया है. सरकार द्वारा इन चौकियों पर निरीक्षक, परिवहन निरीक्षक, प्रधान आरक्षक तथा परिवहन आरक्षकों की नियुक्ति की गई है. जो इस प्रकार है-












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महिला डीएसपी अनामिका जैन श्रीवास्तव द्वारा की गई सार्वजनिक रूप से बेईज्जत और मारपीट की घटना जवान औलाद के सामने होना एक माँ को बर्दास्त नहीं हुआ और माँ ने अपने अपमान को मौत के रूप में गले लगा लिया . प्राप्त जानकारी के अनुसार पूरा मामला भिलाई 3 थाना क्षेत्र के वार्ड 23 आदर्श नगर चरोदा का है। मृतिका के पति द्वारा छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल 3री बटालियन अमलेश्वर मे पदस्थ, सेक्टर 1 सड़क 11 निवासी महिला डीएसपी अनामिका जैन श्रीवास्तव एवं उनकी सहेली पर आरोप लगाया है कि डीएसपी और उसकी सहेली द्वारा प्रताडि़त किये जाने और जवान बेटी के सामने मारपीट को बर्दास्त ना कर पाने के कारण उसकी पत्नी ने आत्महत्या की है। इसलिए तत्काल महिला डीएसपी को निलंबित किया जाए एवं महिला डीएसपी सहित उनकी सहेली और डीएसपी के पति कमल श्रीवास्तव को गिरफ्तार किया जाए। जबकि मोहल्ले वासियों के द्वारा डीएसपी के खिलाफ अपराध कायम करने की मांँग की है। माँंग पूरी ना होने की स्थिति में चक्का जाम करने की चेतावनी दी गई है। मामले में पुलिस मर्ग कायम कर विवेचना कर रही है। भिलाई 3 पुलिस ने बताया कि, वार्ड 23 आदर्श नगर चरोदा निवासी के सुखविंदर 40 वर्ष अपने मकान में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। मृतका का पति रायपुर स्थित एक निजी कंपनी में कायर्रत है।

महिला के पति के वी अरुण कुमार ने आरोप लगाया कि शुक्रवार की रात को डीएसपी अनामिका जैन अपनी महिला मित्र के साथ घर पर आई हुई थी। DSP अनामिका जैन श्रीवास्तव ने उसके पति कमल श्रीवास्तव के साथ के सुखविंदर का अवैध संबंध होने का आरोप लगाया गया। साथ ही डीएसपी और उसकी महिला मित्र दोनों ही के द्वारा मेरी पत्नी सुखविंदर के साथ दुव्र्यवहार करते हुए शोर मचाना शुरू कर दिया। जिसके कारण पूरे मोहल्ले के लोग एकत्रित हो गए साथ ही मेरे बड़े भाई और भाभी भी पहुंच गए। सुखविंदर को महिला डीएसपी के द्वारा उसके जेठ जेठानी एवं मोहल्ले वासियों के समक्ष सार्वजनिक रूप से लगातार अपने पति के साथ अवैध संबंध का आरोप लगाते हुए बेइज्जत किया गया। मेरे द्वारा हस्तक्षेप करते हुए पुराने मामले को समाप्त करने की समझाइश दी गई । परंतु महिला डीएसपी किसी की भी बात सुनने को तैयार नहीं थी। आवेश में आकर उसके द्वारा मेरी पत्नी को थप्पड़ मारा गया। इसके बाद भी विवाद को शांत करने के लिए मेरे द्वारा महिला डीएसपी से बात को समाप्त करने का आग्रह किया गया।

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थाना प्रभारी संजीव मिश्रा ने बताया कि महिला द्वारा छोड़े गए सुसाइडल नोट में अपनी मर्जी से आत्महत्या करने का उल्लेख किया गया है। जबकि पति द्वारा महिला डीएसपी अनामिका जैन श्रीवास्तव द्वारा कल किए गए दुव्र्यवहार की शिकायत की गई है। मामले में मर्ग कायम कर जांच की जा रही है। दूसरी ओर छाया पार्षद व्यंकटराव ने आरोप लगाया है कि, महिला सुखविंदर के आत्महत्या मामले में डीएसपी अनामिका जैन श्रीवास्तव के कारण ही घातक कदम उठाया है। जिस तरह से महिला डीएसपी डराने धमकाने मृतका के घर पहँुची थी। इसी वजह से महिला ने आत्महत्या किया है। इस डीएसपी के खिलाफ निलंबित कार्रवाई होना चाहिए। वहीं प्रदेश काँंग्रेस कमेटी अनुसूचित जाति विभाग के प्रदेश समन्वयक सुप्रीय टेम्बुलकर ने भी आरोप लगाया कि महिला डीएसपी की प्रताडऩा के कारण ही महिला सुखविंदर आत्महत्या करने के लिए मजबूर हुई थी जिस प्रकार से महिला डीएसपी के द्वारा पूरे मोहल्ले के समक्ष महिला को आरोपित किया गया था उसके कारण वह पूरी तरह दबाव में आ गई थी इसके बाद ही महिला के द्वारा उक्त कदम उठाया गया महिला डीएसपी के खिलाफ अपराध पंजीबद्ध कर कार्यवाही की जानी चाहिए।

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छत्तीसगढ़ राज्य में कोविड-19 के संक्रमण की रोकथाम एवं नियमों के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु राज्य शासन द्वारा समय-समय पर दिशा-निर्देश जारी किए गए है। राज्य शासन द्वारा प्रदेश में कोविड-19 के संक्रमण की रोकथाम के लिए अब इन निर्देशों का उल्लंघन करने वालों पर जुर्माना अधिरोपित किया जाएगा। जिसके तहत सार्वजनिक स्थलों में मास्क, फेस कवर नहीं पहनने की स्थिति में 100 रूपए, होम क्वारेंटाईन के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करने पर 1000 रूपए, सार्वजनिक स्थलों पर थूकते पाये जाने पर 100 रूपए और दुकानों, व्यवसायिक संस्थानों के मालिकों द्वारा सोशल डिस्टेंसिंग, फिजिकल डिस्टेंसिंग का उल्लंघन करते पाए जाने पर 200 रूपए जुर्माना वसूला जाएगा।

गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ शासन द्वारा महामारी रोग कोविड-19 के संक्रमण के प्रसार के रोकथाम हेतु रक्षात्मक उपायों को अपनाने एवं उसका पालन कराये जाने को अनिवार्य घोषित किया गया है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा इस संबंध में जारी अधिसूचना के अनुसार जुर्माना वसूलने की कार्यवाही जिला मजिस्ट्रेट द्वारा प्राधिकृत अधिकारी नायब तहसीलदार, सहायक उप निरीक्षक (ए.एस.आई.) से अनिम्न अधिकारी द्वारा ही वसूल की जा सकेगी। जुर्माना अदा न करने की स्थिति में संबंधित व्यक्ति के विरूद्ध महामारी रोग अधिनियम एवं भारतीय दण्ड संहिता के अंतर्गत दण्डात्मक कार्रवाई की जाएगी।

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कोविड-19 संक्रमण के प्रसार के रोकथाम हेतु रक्षात्मक उपायों को अपनाने एवं उसका पालन कराये जाने को अनिवार्य घोषित करने के लिए जारी अधिसूचना के अनुसार सार्वजनिक स्थलों, कार्यालयों, अस्पतालों, बाजारों एवं भीड़-भाड़ वाले स्थानों, गलियों में आने-जाने वाले प्रत्येक व्यक्ति द्वारा मास्क, फेस कवर धारण किया जाना अनिवार्य होगा। कार्यालय, कार्य स्थलों एवं फैक्ट्री आदि में कार्य करने वाले प्रत्येक व्यक्ति द्वारा मास्क, फेस कवर धारण किया जाना अनिवार्य होगा। दो पहिया, चार पहिया वाहन के द्वारा यात्रा करने वाले प्रत्येक व्यक्ति को मास्क पहनना अनिवार्य होगा।

संक्रमण से बचाव के लिए डिस्पोजेबल मास्क तथा कपड़े के मास्क का प्रयोग किया जा सकता है। फेस कवर, मास्क उपलब्ध न होने की स्थिति में गमछा, रूमाल, दुपट्टा इत्यादि का भी फेस कवर के रूप में प्रयोग किया जा सकता है। बशर्ते मुंह एवं नाक पूरी तरह से ढका हो। कपड़े का मास्क, फेस कवर, गमछा, रूमाल, दुपट्टा इत्यादि का पुनः प्रयोग साबुन से अच्छी तरह से साफ किए बिना न किया जाए। सार्वजनिक स्थलों पर थूकना प्रतिबंधित है। होम क्वारेंटाईन में रहने वाले व्यक्तियों को शासन द्वारा समय-समय पर जारी होम क्वारेंटाईन संबंधी समस्त दिशा-निर्देशों का पालन किया जाना अनिवार्य होगा। दुकानों, व्यवसायिक संस्थानों द्वारा सोशल डिस्टेंसिंग, फिजिकल डिस्टेंसिंग संबंधी दिशा-निर्देशों का पालन कराया जाना अनिवार्य होगा।

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प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि राजस्थान में लोकतंत्र की सरेआम हत्या के प्रयासों में भाजपा का खुला खेल जग-जाहिर तो हो ही गया था। आज भाजपा ने अपनी प्रेस वार्ता में स्वीकार भी लिया कि खरीद फरोख्त तो हुई है, लोकतंत्र की हत्या भी हुई है, संविधान को कुचला भी गया है, भाजपा को आपत्ति इस बात की है कि रिकॉर्डिंग क्यों हुई? उन्हें इस बात की शिकायत है कि जब यह सब हो रहा था तो उसकी रिकॉर्डिंग क्यों हो रही थी। यानी की चोर मान रहा है कि वह चोरी कर रहा है, मात्र यह जानना चाहता है कि जब वह चोरी कर रहा था तो वहां कैमरा क्यों लगा हुआ था। हत्या का आरोपी यह कहे कि जिस गवाह ने मुझे हत्या करते हुए देखा और पुलिस को सूचित किया, उसने मेरे कमरे में झांक कर मेरी निजता की स्वतंत्रता को भंग किया।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा है कि भाजपा का चरित्र ही सत्तालोलुप्ता है। 2013 के विधानसभा चुनाव के दौरान छत्तीसगढ़ में झीरम घटी राजनीतिक षड़यंत्र हत्याकांड हुआ। अंतागढ़ उपचुनाव में रमन भाजपा चुनाव हारने के डर से उपचुनाव में खरीद फरोख्त की। निर्दलीय उम्मीदवारों की नाम वापस लेने डराया धमकाया गया। झूठे मामलों में फंसाने की धमकी दी। कांग्रेस के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जी को होटल में नजरबंद करने की कोशिश तक की गयी। होटल की लाईट बंद कर दी गई। दरअसल भाजपा के चरित्र में ही लोकतंत्र के विपरीत कार्य कर सत्ता प्राप्त करना है।

सवाल ये है कि कांग्रेस के किसी विधायक ने ये आरोप नहीं लगाया कि उनका फ़ोन टैप किया गया। आरोप कौन लगा रहा है? आरोप लगा रहा है भाजपा का राष्ट्रीय प्रवक्ता ! आरोप लगा रही है भाजपा की केंद्रीय इकाई ! ज़ाहिर है उन्हें भय है कि जाँच के बाद सारा षड्यंत्र सामने आएगा। और ऊपर के नेतृत्व से बहुत सारे तार जुड़े होने के प्रमाण सामने आएँगे इसलिए भाजपा अपने ऊपर लगे लोकतंत्र की हत्या के गंभीर आरोपों का जवाब देने के बजाय उल्टा आरोप लगा कर बचना चाह रही है।

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आज यह स्पष्ट हो गया है कि चोर डरा भी हुआ है। चोर को यह भी पता है कि इस प्रकरण में न केवल एक केन्द्रीय मंत्री, बल्कि उस मंत्री के ऊपर के भी कई नेता फंसने वाले हैं। शुक्रवार रात और शनिवार को भाजपा को बेनकाब करते हुए कुछ तथाकथित ऑडीओ टेप सामने आए। तत्पश्चात कुछ लोगों के विरूद्ध मुकदमा दर्ज हुआ एवं एसओजी की टीम मानेसर के उस होटल में पहुंची जहां मनोहर लाल खट्टर की पुलिस के कब्जे में कांग्रेस के कुछ विधायक बंद हैं।

इतिहास में यह पहली बार हुआ है कि जांच रोकने के लिए भाजपा खुलकर अपने सरकारी अमले का दुरूपयोग करते हुए मैदान में आ गई। कांग्रेस के उन विधायकों का वॉयस सैंपल नहीं लेने नहीं दिया गया, जिनकी आवाज़ इन तथाकथित आडियो टेप में सुनाई दे रही है। उन विधायकों के साथ-साथ बाकी विधायकों को भी पिछले दरवाज़े से निकाल कर गायब करवा दिया गया। यह भाजपा की तड़ीपार संस्कृति है। आखिर क्या कारण है कि सचिन पायलट जी को राजस्थान पुलिस से ज्यादा भरोसा हरियाणा पुलिस पर है ? आखिर क्या कारण है कि एक तरफ तो आप अदालत में भी कह रहे हैं कि आप कांग्रेस में हैं, और दूसरी तरफ आप भाजपा के संरक्षण में हरियाणा में बैठे हैं ? आखिर क्या कारण है कि एक तरफ तो भाजपा संबंधित नामी-गिरामी वकील कोर्ट में साबित कर रहे हैं कि यह विधायक कांग्रेस में हैं, और दूसरी तरफ भाजपा के संरक्षण में वॉयस सैंपल देने से बचकर पिछले दरवाजे से निकल जाते हो ? सुनने में आया है कि अब इन विधायकों को भाजपा शासित कर्नाटक में ले जाने के प्रयास हो रहे हैं। आखिर क्या कारण है कि जिन विधायकों पर कोई एफआईआर दर्ज नहीं हुई, उन्हें क्यों भाजपा के संरक्षण में गायब करवा गया ?

राजनीतिक प्रतिद्वंदियों को फोन टेप करना तो दूर, साधारण नागरिकों तक पर स्नूपिंग की गई आम नागरिको के फोन टेप करके उनकी निजता भंग की जा रही है। नीतीश कुमार जी ने ‘हैबिचुअल टेपर’ तक बीजेपी को कहा। ऐसे लोग जब पूछते हैं कि टेपिंग कैसे हुई, क्यों हुई, क्या हुआ? अरे भाजपा तो सत्ता में बने रहने और सत्ता हथियाने के लिए आज तक क्या करती आई है? महाराष्ट्र हो, कर्नाटक हो, बंगाल हो, जहाँ ममता जी ने भी ये आरोप लगाए हैं कि उनके स्वयं फोन टेप हो रहे है। अनिल देशमुख जी ने भी, कईयों ने आरोप लगाए हैं, तो लगातार आरोप लगते आए हैं जिस पार्टी पर, वो आज शराफत में सामने आकर कह रही है कि फोन कैसे टेप होते हैं, रिकोर्डिंग कैसे आती है और ये कहने के चक्कर में गलती उनसे ऐसी हो गई कि आज स्वयं स्वीकर कर लिया आज कि हां, चोरी भी कर ली, हत्या भी कल ली, पर आपको कैसे मालूम पड़ा? आपने जो टेपिंग की, जो भी रिकोर्डिंग आई है, ये किसने की है? ये कानूनी है या गैर कानूनी है? अरे जो आपने किया क्या वो कानूनी है? पहले तो उस पर जवाब दीजिए संबित पात्रा जी या जो भी उनके नेता प्रेस वार्ता में हैं? बड़ी रोचक और रहस्यमय बात ये है कि जिन विधायकों पर ये आरोप है, वो ये नहीं कह रहे हैं कि उनका फोन टेप हुआ है, कह कौन रहा है जो दिल्ली से भाजपा के प्रवक्ता। भाजपा के नेता घबराए हुए हैं। जैसा मैंने आपको कहा कि अभी तो एक केन्द्रीय मंत्री है, इनको डर है कि चोर की दाड़ी में तिनका तो होता ही है। अब इनको ये भय है कि ऊपर के भी लोग फंसेगे, जिन-जिनका इसमें योगदान रहा है, भूमिका रही है। जो घबराहट है, उस घबराहट से गलतियां होती हैं, गलतियां वो करने लगे हैं, सामने दिखनी लगी हैं।

आज से एक साल पहले राम माधव जी ने एक चैनल को इंट्रव्यू के वक्त कहा था कि भले हम चुनाव हार जाएं, हमारे पास अमित शाह हैं, बड़े गर्व से कहते हैं। ’ऑपरेशन लोट्स’ का नाम भी इन्होंने ही दिया था। तो जो पार्टी या जो समूह, मैं ये शब्द इस्तेमाल करना चाहूंगा, बेशर्मी से जो ये कहता है कि हां, मैं लोकतंत्र का हत्यारा हूं; हां, हमारे पास अमित शाह हैं, जो लोकतंत्र की हत्या करते हैं; ऑपरेशन लोट्स नए-नए नाम देते हैं और हैरानी की बात है कि ऐसे व्यक्ति को चाणक्य का दर्जा दे देते हैं। अब चाणक्य का अपमान इसी देश में होना था, पिछले 6 साल में, ये तो हैरानी की बात है। जिस व्यक्ति को गर्व है कि चुनाव हारने के बाद भी हारता नहीं है, क्योंकि वो पैसे खर्च करके, प्रलोभन देकर, डरा धमका कर, एजेंसियों का दुरुपयोग करके सत्ता पर किसी ना किसी तरह काबिज हो जाएगा और उस बात को सैलिब्रेट किया जाए, उस बात की तारीफ हो जाए। यह लोकतंत्र के लिये घातक है।

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छत्तीसगढ़ सरकार की जनहितैषी नीतियों तथा यहां की कला और संस्कृति के संरक्षण व संवर्धन का ही सार्थक परिणाम है कि लोगों में आज उत्साह दिखायी दे रहा है। खेती-किसानी से लेकर परम्परागत व्यवसाय को बल मिला है। आधुनिकता के इस दौर में विलुप्त होती टेराकोटा कला को फिर से छत्तीसगढ़ में जीवंत हो उठी है। कुम्हारी के परम्परागत व्यवसाय से दूर हो रहे कुम्हार फिर से अपने हुनर को तराशने और अपने पुरखों के व्यवसाय को आगे बढ़ाने में जुट गए है। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बधेल की मंशा के अनुरूप माटीकला बोर्ड ने कुम्हारों को विभिन्न प्रकार की सहायता देकर उन्हें उनके परम्परागत व्यवसाय से जोड़ने में जुटा हैं।

ग्रामोद्योग मंत्री गुरु रूद्रकुमार का कहना है कि माटीकला बोर्ड द्वारा संचालित योजनाओं के माध्यम से कुम्हारों के आर्थिक और सामाजिक उत्थान के लिए बेहतर प्रयास किए जा रहे हैं। उनके हुनर और परंपरागत व्यवसाय को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक ले जाने में सरकार हर संभव मदद कर रही है। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की मंशा के अनुरूप ग्रामोद्योग विभाग गांव में ग्रामोद्योग एवं माटीकला बोर्ड के माध्यम से ग्रामीणों को रोजगार व्यवसाय से जोड़ने और उन्हें स्वावलंबी बनाने में अहम् भूमिका अदा कर रहा है। ग्रामीणों के परम्परागत व्यवसाय को आगे बढ़ाने के लिए उन्हें आवश्यक मार्गदर्शन एवं मदद भी दी जा रही है।

राज्य के कुंभकारों की आर्थिक स्थिति में सुधार करने की पहल छत्तीसगढ़ माटीकला बोर्ड ने की है। बोर्ड द्वारा संचालित कुंभकार टेराकोटा योजना, ग्लेजिंग यूनिट की स्थापना, कुंभकारों का पंजीयन, माटीशिल्पिओं को प्रशिक्षण और डिजाईन विकास योजना, माटीशिल्पिओं को हस्तचलित रिक्शा ठेला प्रदाय और माटीशिल्पिओं को ‘अध्ययन यात्रा योजना‘ जैसी संचालित कल्याणकारी योजनाओं के माध्यम से कुंभकारों को लाभान्वित किया जा रहा है। यही वजह है कि आज कुम्हार पूरे उत्साह से अपने परम्परागत व्यवसाय से जुड़कर बेहतर जीवन की ओर अग्रसर होने लगे हैं। उनके इस काम में परिवार के अन्य सदस्य भी बराबर की भागीदारी निभा रहे हैं।

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उल्लेखनीय है कि राजधानी के रायपुरा में 200 से अधिक कुम्हार परिवार अपने परंपरागत व्यवसाय से जुड़कर अपना जीवन यापन कर रहे हैं। कुम्हार समाज के सरपंच श्री भरतलाल चक्रधारी और कुम्हार श्री दिनेश कुमार चक्रधारी ने बताया कि पूरा परिवार पुश्तैनी काम से जुड़ा हुआ है। परिवार के बच्चे भी अपने माता-पिता से टेराकोटा शिल्प का गुर सीख रहे हैं। विद्युत चॉक से जुड़ा कार्य परिवार के पुरुष करते हैं और महिलाएं हाथों से बनाए जाने वाले विभिन्न प्रकार के सजावटी सामान और आकर्षक मिट्टी के सामग्री को तैयार करती हैं। उन्होंने बताया कि माटीकला बोर्ड से मिले विद्युत चॉक से जहां कार्यों में तेजी आई है, वहीं कम मेहनत के साथ मिट्टी के बर्तनों और अन्य सामग्री के उत्पादन में भी वृद्धि हुई है। मिट्टी के बर्तनों को तैयार कर रहे कुम्हारों का कहना है कि मिट्टी से तैयार बर्तन प्रदूषण मुक्त होने के साथ-साथ स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक है, क्योंकि इसे तैयार करने में किसी भी रसायनिक पदार्थों का उपयोग नहीं होता है। मिट्टी के बर्तनों को तेज आंच में पकाने के बाद उपयोग में लाये गए कलर का प्रभाव भी खत्म हो जाता है। मिट्टी के बर्तनों को साफ करने में जहां आसानी होती है, वहीं धातुओं के बर्तनों की सफाई पूर्ण रूप से नहीं हो पाती है। साथ ही साथ उपयोग के बाद फेंकने पर दोबारा मिट्टी में मिल जाती है इसलिए इसे प्रदूषण मुक्त मिट्टी बर्तन माना जाता है।

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बस्तर के आदिवासी बहुल जिले कोण्डागांव में प्रस्तावित महात्वाकांक्षी परियोजना माॅ दंतेश्वरी मक्का प्रसंस्करण ईकाई निर्माण की शुरूवाती प्रक्रिया प्रारम्भ हो गई है। ज्ञातव्य है कि जिला कोंडागांव के किसानों द्वारा किया जा रहा मक्का उत्पादन एक समस्या की तरह नजर आता था क्योंकि स्थानीय स्तर पर मक्के की खपत ना होने की वजह से फसल के दाम नहीं मिल पाते थे। पर छत्तीसगढ़ सरकार और जिला प्रशासन की पहल पर कोंडागाँव के 65 हजार किसानों ने एक साझा सपना मक्का प्रसंस्करण इकाई के रूप में देखा। सहकारिता की मूल भावना को केंद्र में रखकर आरंभ किया गया यह भागीरथ प्रयास धीरे-धीरे अपनी मंजिल की ओर बढ़ रहा है। अनगिनत लोगों के मानसिक श्रम, सोच और संकल्पना के साथ ही असंख्य श्रमवीरों की शुभेच्छा और श्रम साधना अब आकार ले रही है। जिला प्रशासन के प्रयासों की बदौलत ही मक्का प्रसंस्करण के प्रकल्प से 50 हजार के लगभग किसान अल्प समय में जुड़े और परियोजना के हिस्सेदार बने हैं। कोंडागाँव के किसानों के लिए समस्या की तरह नजर आने वाला मक्के का विपुल उत्पादन समाधान में बदलने की कवायद के रुप में यह प्रयास निरंतर आगे बढ़ रहा है और इस सहकारिता की भावना ने आज एक आंदोलन का रूप ले लिया है ।

इस संबंध में जिले के कलेक्टर श्री पुष्पेंद्र कुमार मीणा की अध्यक्षता में आयोजित आज आवश्यक बैठक रखी गई थी। इस बैठक में कलेक्टर ने प्रस्तावित प्लांट की क्षमता, उत्पादन, मानव शक्ति, मक्के के विभिन्न उत्पादों के निर्यात, परिवहन, बाजार प्रबंधन, किसानों के लाभांश का बारीकी से विश्लेषण करते हुए विभिन्न निर्देश दिये। बैठक में जानकारी दी गयी कि कुल 136 करोड़ की लागत से स्थापित होने जा रही यह इकाई मुख्यतः मक्के से स्टार्च, ग्लूटोन, ग्लूकोज, प्रोटीन व फाइबर का निर्माण करेगी साथ में यह भी बताया गया कि इन सभी उत्पादों की राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय बाजार में जबरदस्त माँग है। 300 टन प्रतिदिन मक्के की खपत वाला यह कारखाना अपने उत्कृष्ट उत्पादन , विपणन व मार्केटिंग कौशल से 4 वर्षों में स्वावलंबी हो सकेगा।

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चूंकि इस प्रसंस्करण ईकाई में जिले के 50 हजार कृषक हिस्सेदार बने हैं उसे देखते हुए यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि बस्तर के अबूझ कहे जाने वाले वनवासी जन अपने श्रम की सामर्थ्य और सहकार भाव से समूचे प्रदेश को विकास की नई राह दिखाने के साथ ही मक्का प्रसंस्करण इकाई के रूप में आर्थिक समृद्धि की एक नई नजीर पेश करने जा रहे हैं जिससे जिले की आने वाली पीढ़ियां दीर्घकाल तक प्रेरणा लेती रहेंगी। मक्का कारखाने की पूर्ण होने की समय सीमा यूं तो 18 माह नियत है लेकिन जिला कलेक्टर द्वारा त्वरित पहल करते हुये मक्का प्लांट में आने वाली तमाम रूकावटों को दूर कर तत्काल निर्माण कार्य आरंभ करने निर्देशित किया गया और उम्मीद जताई कि परियोजना तय सीमा से पहले ही बन कर तैयार होगी।

जहां तक प्लांट की स्थापना से यहां के कृषकों को मिलने वाले दुरगामी लाभ पर दृष्टि डाली जाये तो वर्तमान में जहां कृषकों को मक्का के प्रति क्विंटल मूल्य 1 हजार से 15 सौ रूपये मिल रहा है वहीं प्रोसेसिंग पश्चात् उन्हें 35 सौ रूपये प्राप्त होंगे। इस प्रकार कृषकों की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होगी इसके अलावा मौजुदा राष्ट्रीय एवं अंतराष्ट्रीय बाजार के नजरिये से भी प्लांट की एक बड़ी भूमिका होगी। साथ में स्थानीय तौर पर प्रत्यक्ष रूप में 8 सौ से 1 हजार लोगो को तत्काल रोजगार उपलब्ध होगा जबकि अप्रत्यक्ष रूप से 1 लाख व्यक्ति रोजगार की दृष्टि से लाभांवित होंगे। बैठक में कलेक्टर ने कहा कि स्थानीय कृषकों के लिए बेहद अहम इस सयंत्र के स्थापना की प्रक्रिया प्रारंभ हो चूकी है। और यह पूरे विश्वास के साथ कहा जा सकता है कि आने वाले समय में यहां के कृषकों के सामाजिक आर्थिक बदलाव में इस सयंत्र की प्रमुख भूमिका होगी। और इस संबंध में हर समय-सीमा बैठक में सयंत्र निर्माण की प्रक्रिया चरणबद्ध समीक्षा की जायेगी। जिला कलेक्ट्रट सभाकक्ष में चली आज की मैराथन बैठक में कारखाना के नवनियुक्त प्रबन्ध संचालक के एल उईके, जिला पंचायत के मुख्यकार्यपालन अधिकारी डी एन कश्यप, पूर्व प्रबंध संचालक पवन प्रेमी सहित नेकाफ के रवि मानव, एन एफ सी डी के सिंटू चकमा, हरि स्टोर के भावेश के अलावा नेकाफ की पूरी टीम ने शिरकत की।

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आदिम जाति अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान रायपुर के आदिवासी संग्रहालय में अब आदिवासी समुदाय के कला, संस्कृति एवं जनजीवन से जुड़ी सामग्री की झलक देखने को मिलेगी। आदिवासी समाज के प्रमुखों ने रायपुर स्थित आदिवासी संग्रहालय में प्रदर्शन हेतु पुरातात्विक महत्व की वस्तुएं, कला एवं संस्कृति से तथा दैनिक जनजीवन में आदिवासी समुदाय द्वारा उपयोग में लायी जाने वाली वस्तुओं को सहर्ष उपलब्ध कराये जाने की सहमति दी है। आदिवासी संग्रहालय रायपुर में आर्टिफेक्ट संकलन के संबंध में सुकमा जिले के सभी समाज प्रमुखों की बैठक आयोजित की गई। बैठक में विभिन्न समाजों द्वारा संग्रहालय के लिए समाज के परम्परानुसार सामाजिक, सांस्कृतिक, उपयोगी सामग्रियों को प्रदान करने की सहमति व्यक्त की गई। बैठक का उद्देश्य रायपुर संग्रहालय में राज्य की जनजातियों की संस्कृति को एक पटल पर लाकर जनसामान्य की अमूल्य सांस्कृतिक धरोहरों का संरक्षण एवं संवर्धन करना, संस्कृति को जनसामान्य से परिचित कराना, अनुसंधानकर्ताओं, शिक्षाविदों और बुद्धिजीवियों के लिए जनजाति सांस्कृतिक केन्द्र के रूप में विकसित करना और अनुसंधान में सहायक होना है।

बैठक में सहायक अनुसंधान अधिकारी ने समाज प्रमुखों को बताया कि जनजातियों को उनके भौगोलिक क्षेत्र के आधार पर तीन भागों में उत्तरी क्षेत्र, मध्य क्षेत्र, दक्षिण क्षेत्र में निवास करने वाले जनजातियों को विभाजित किया गया है। मुख्य रूप से दक्षिण आदिवासी क्षेत्र में बस्तर संभाग के सात जिलों के हल्बा, गदबा, परजा, दोरला, भतरा, मुरिया, माड़िया, गोंड, घुरवा, प्राधान, दण्डामी, माड़िया आदि प्रमुख रूप से निवास करते हैं। समाज प्रमुखों ने विचार-विमर्श करते हुए सुकमा जिले में निवासरत जनजातियों की वेशभूषा, आभूषण, घरेलू, उपकरण, कृषि, शिकार उपकरण, धार्मिक आस्था, घोटूल, वाद्य यंत्र, विवाह संस्कार, पारंपरिक तकनीक, छायाचित्र प्रदर्शनी, जनजातीय साहित्य, आॅडियो विजुअल के रूप में सामग्री का संग्रहण किया जाना है। हल्बा समाज के श्री हरिराम कश्यप के द्वारा जन्म से मरण तक और शादी के बारे में अपनी मातृ बोली हल्बी से बोले और संग्रहालय के लिए समाज की ओर से धान कुटने का मूसर, चाटू, तीर, धनुष, झारी, दादर, नागर, जुवाड़ी प्रदाय करने का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि समाज एवं क्षेत्र में पुरातन समय में उपयोग में लाए गए सामानों के अवशेष के संग्रहण में पूर्ण सहयोग देगा।

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अध्यक्ष भतरा समाज शबरीनगर सुकमा, श्री लक्ष्मीनाथ मौर्य ने भी समाज के जन्म से लेकर मरण तक शादी-विवाह के संबंध में विस्तृत जानकारी दी। उनके द्वारा धान कुटने का डेकी की और तेल निकालने के टिडी प्रदाय करने की सहमति दी गई। समाज को पूर्व की रीति-रिवाज के बारे में बनाये रखने के लिए अवगत कराने कहा। कोया समाज रामाराम सुकमा के श्री चिंगाराम मण्डावी ने भी जन्म से मरण तक शादी-विवाह की प्रक्रिया की जानकारी देते हुए बताया कि शादी के लिए लड़का पक्ष से मामा के घर लड़की ले जाते हैं, यदि मामा की लड़की नहीं मिलने पर दूसरे मामा की लड़की से विवाह रचने का प्रावधान को रखा गया है। शादी तय होने पर शादी के लिए लड़का पक्ष से लांदा, हन्डी सहित समाज के लोग कन्या पक्ष के घर पहुंचकर अपने रीति-रिवाज के साथ ढोल बजाकर नाच-गाना करते हुए लड़की को लड़के के घर लाया जाता है। इस संबंध में सहायक अनुसंधान अधिकारी डाॅ. राजेन्द्र सिंह ने लांदा हण्डी का पूर्ण सेट संग्रहालय हेतु उपलब्ध कराने का अनुरोध किया। कोया समाज प्रमुख श्री हिरमा राम कश्यप द्वारा विशिष्ट अवसर शादी-विवाह और खुशी के अवसर पर बजाया जाने वाला विशेष वाद्य यंत्र किकिर (सारंगी) एवं टोड़ी को भी संग्रहालय में रखे जाने का सुझाव दिया गया। बैठक में अध्यक्ष हल्बा समाज छिन्दगढ़ श्री आसमन नेगी, संगरक्षक हल्बा समाज श्री हरिराम कश्यप, श्री के.आर. नेगी, अध्यक्ष भतरा समाज श्री लक्ष्मीनाथ मौर्य, कार्यकारिणी अध्यक्ष हल्बा समाज श्री रतन सिंह प्रधानी, कोया समाज प्रमुख श्री चिंगाराम मण्डावी, श्री हिरमा राम कश्यप, आकांक्षी जिला फैलो कु. सियोना कोरिया, श्री गोकूल दीप गिरीश सहित मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत, मंडल संयोजक कोन्टा एवं छिंदगढ़ सहित अन्य पदाधिकारी एवं अधिकारी-कर्मचारी उपस्थित थे।

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