लॉकडाउन के दौरान राजनांदगांव में एएसपी सुरेशा चौबे की अगुवाई में सार्वजनिक रूप से हुए जुंबा डांस का मामला अब हाईकोर्ट तक पहुंच गया है। आगामी 21 मई को हाईकोर्ट ने पूरे मामले को लेकर राज्य सरकार से रिपोर्ट तलब की है। वहीं फरियादी मोनू बहादुर को 21 मई को हाईकोर्ट में मौजूद होने का निर्देश दिया गया है।डांस का वीडियो सोशल मीडिया में पोस्ट करने वाले युवक ने एएसपी द्वारा लगातार धमकी दिए जाने से परेशान होकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। बीते महीने 22 अप्रैल की रात को शहर के तिरंगा चौक से भारत माता चौक के बीच सोशल डिस्टेंसिंग की शर्तों की परवाह किए बगैर जुंबा और भांगड़ा का आयोजन किया गया। यह मामला जब लोगों तक पहुंचा तो महकमे की काफी किरकिरी हो गई।आरोप है कि इससे नाराज एएसपी सुरेशा चौबे ने सोशल मीडिया में डांस वीडियो को वायरल करने वाले युवक मोनू बहादुर को लगातार धमकाना शुरू कर दिया। इससे परेशान होकर मोनू बहादुर ने हाईकोर्ट की शरण ली। इस संबंध में मोनू बहादुर का कहना है की हाईकोर्ट में एएसपी के धमकाने के रवैये से परेशान होकर याचिका दायर की है। 21 मई को पूरे मामले को लेकर पहली सुनवाई है।
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याचिकाकर्ता का कहना है कि न सिर्फ एएसपी ने उसे बल्कि परिवार को भी धमकाया है। याचिका में मोनू बहादुर ने खुद के संवैधानिक अधिकार के हनन होने और अभिव्यक्ति की आजादी को खतरा बताते हुए हाईकोर्ट से न्याय की मांग की है। उधर एएसपी सुरेशा चौबे ने कहा कि फिलहाल उनके पास कोई नोटिस नहीं आया है। नोटिस आने के बाद ही वह इस विषय पर कुछ कह पाएंगी।बताया जा रहा है कि महकमे को लॉकडाउन के दौरान खुलेआम जुंबा डॉस कराए जाने पर आम लोगों की नाराजगी भी उठानी पड़ी। पुलिस द्वारा लॉकडाउन में शर्तों का पालन कराए जाने का हवाला देने पर लोगों ने सवाल भी उठाए।बताया जा रहा है कि याचिकाकर्ता मोनू बहादुर की ओर से पीके तिवारी पैरवी कर रहे हैं। इस मामले की सुनवाई जस्टिस गौतम भादुड़ी की सिंगल बेंच में ऑनलाइन होगी।