कोरोना संकट (Coronavirus) के बीच डॉक्टरों की तरफ से इलाज ढूंढ़न के लगातार प्रयास किए जा रहे हैं. दिल्ली-मुबंई सहित महानगरों के कई अस्पतालों में डॉक्टर प्लाज्मा थेरेपी (Plasma Therapy) से मरीजों का इलाज करने के प्रयास में लगे हुए हैं. अगर यह प्लाज्मा थेरेपी का क्लिनिकल ट्रायल सफल रहा तो कोरोना से ठीक हो चुके मरीजों के ब्लड प्लाज्मा से कोरोना पीड़ितों का उपचार किया जा सकेगा. ICMR द्वारा किए जा रहे वृहद स्तर के क्लिनिकल ट्रायल में अब तक कई सकारात्म पक्ष सामने आ चुका है.
रिसर्च यहां तक पहुंच चुकी है कई स्थानों पर प्लाज्मा डोनेट कराने की भी तैयारी पूरी की जा चुकी है. तो वहीं यह भी कहा का जा रहा हैं कि ट्रायल के रूप में कई यूनिट प्लाज्मा भी एकत्रित किया गया है. देश के महानगरों में हो रहे क्लिनिकल ट्रायल में अब छत्तीसगढ़ का भी नाम जुड़ने जा रहा है. कोरोना पीड़ितों को स्वस्थ्य करने के मामले में सार्क देशों में झंडा बुलंद करने वाला रायपुर एम्स (AIIMS, Raipur) अब इस क्लिनिकल ट्रायल का अहम हिस्सा बनने जा रहा है. इस बात की जानकारी खुद एम्स प्रबंध ने ट्वीट कर के दी है.
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रायपुर एम्स से ऑफिशिलयी ट्वीटर हैंडल से एक के एक लगातार तीन ट्वीट कर इस बात की जानकारी दी गई कि देशभर के महानगरों में जारी इस क्लिनिकल ट्रायल में रायपुर एम्स अहम भागेदारी निभाने जा रहा है. रायपुर एम्स ने ट्वीट कर लिखा कि-
एम्स रायपुर देशभर में होने वाले प्लाज्मा थैरेपी के क्लिनिकल ट्रायल का भाग बनने जा रहा है। इसके माध्यम से आईसीएमआर द्वारा किए जा रहे वृहद स्तर के क्लिनिकल ट्रायल में एम्स भी अपना अहम योगदान देगा। #CoronaUpdatesInIndia #Coronaresearch pic.twitter.com/rVg0dcRZ5w
— AIIMS, Raipur, CG😷 (@aiims_rpr) May 21, 2020
रिसर्च प्रोटोकॉल के अनुसार इस ट्रायल में उन रोगियों को शामिल किया जाएगा जो 18 वर्ष से अधिक आयु के हैं और उनके रक्त से संबंधित डोनर प्लाज्मा उपलब्ध है। इसमें गर्भवती महिलाओं, स्तनपान करवा रही महिलाओं और किसी अन्य ट्रायल से संबंधित रोगियों को शामिल नहीं किया जाएगा। pic.twitter.com/ExACwqRX1k
— AIIMS, Raipur, CG😷 (@aiims_rpr) May 21, 2020
इसमें इंटरवेंशन और कंट्रोल आर्म ग्रुप बनाए जाएंगे।इंटरवेंशन आर्म में शामिल रोगियों को 200 मिली का कोवल्सेंट प्लाज्मा दिया जाएगा जबकि कंट्रोल ग्रुप में सामान्य उपचार प्रदान किया जाएगा। इन रोगियों का एक, तीन, सात, 14 और 28 दिनों में प्रथम ट्रांसफ्यूजन के बाद परीक्षण किया जाएगा। pic.twitter.com/gaseiQQCT6
— AIIMS, Raipur, CG😷 (@aiims_rpr) May 21, 2020