छत्तीसगढ़ पैरेंट्स एसोसियेशन ने फीस में एकरूपता लाने के लिए अशासकीय स्कूलों में शिक्षण शुल्क निर्धारित करने की मांग की है
प्रदेश में 8 हजार प्राईवेट स्कूलों में अध्ययनरत् 15 लाख बच्चों को एक समान शिक्षा और सुविधा प्रदान किया जा रहा है लेकिन फीस में भारी भिन्नता है। जिसको लेकर छत्तीसगढ़ पैरेंट्स एसोसियेशन विगत छह माह से लगातार सरकार और जिम्मेदार अधिकारीयों से यह मांग कर रही है कि फीस मे एकरूपता लाया जाना चाहिए।
शिक्षा का अधिकार कानून के अंतर्गत प्रदेश के 6500 प्राईवेट स्कूलों में 2.85 लाख बच्चे अध्ययनरत् है। राज्य सरकार/स्कूल शिक्षा विभाग के द्वारा इन प्राईवेट स्कूलों में अध्ययनरत् बच्चों के लिए शिक्षण शुल्क/प्रतिपूर्ति राशि दिया जाता है
निर्धारित शुल्क
नर्सरी से लेकर कक्षा पांचवी तक 7000/- प्रति छात्र प्रति वर्ष
कक्षा छटवी से लेकर आठवी तक 11400/- प्रति छात्र प्रति वर्ष
कक्षा नवमी से लेकर बारहवी तक 15000/- प्रति छात्र प्रति वर्ष
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पैरेट्स एसोसियेशन का कहना है कि राज्य सरकार/स्कूल शिक्षा विभाग के द्वारा सभी प्राईवेट स्कूलों चाहे छोटे हो या बड़े सभी स्कूलो के लिए एक समान शिक्षण शुल्क निर्धारित किया गया, इससे यह प्रमाणित होता है कि राज्य सरकार/स्कूल शिक्षा विभाग यह स्वीकार कर रही है कि जो शिक्षण शुल्क राज्य सरकार/स्कूल शिक्षा विभाग ने निर्धारित किया है वह जस्टिफाईड है।
छत्तीसगढ़ पैरेंट्स एसोसियेशन के प्रदेश अध्यक्ष क्रिष्टोफर पाॅल ने सरकार और जिम्मेदार अधिकारीयों से यह मांग किया गया है कि जो शिक्षण शुल्क राज्य सरकार/स्कूल शिक्षा विभाग ने आरटीई के बच्चों के लिए प्राईवेट स्कूलों में निर्धारित किया है और जो जस्टिफाईड है वही शिक्षण शुल्क प्राईवेट स्कूलों में अन्य बच्चों से भी लिया जाना चाहिए।