राष्ट्रीय महामंत्री व संसद सदस्य (राज्यसभा) डॉ. सरोज पांडेय ने सरकारी विज्ञापन में छत्तीसगढ़ी किसान की जगह उत्तरप्रदेश के किसान की फोटो होने के बहाने लगाये सरकारी पर किसान विरोधी होने के बहाने
भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय महामंत्री व संसद सदस्य (राज्यसभा) डॉ. सरोज पांडेय ने प्रदेश सरकार पर किसान विरोधी होने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि अंबिकापुर में हजारों किसानों के प्रदर्शन के बाद भी वहाँ के किसानों को यूरिया खाद की आपूर्ति की कोई व्यवस्था नहीं बन पाई है और किसान अब भी खाद के लिए परेशान हो रहे हैं। यूरिया खाद की किल्लत के चलते प्रदेश के अमूमन सभी जिलों में यही स्थिति बनी हुई है। प्रदेश सरकार ने राजीव गांधी किसान न्याय योजना और गौ-धन न्याय योजना के अपने सरकारी विज्ञापन में उत्तरप्रदेश के किसान को छत्तीसगढ़ का किसान बताकर उसकी फोटो लगा दी। जाहिर है, यह काम प्रदेश की भूपेश सरकार ही कर सकती है। छत्तीसगढ़ के एक भी किसान को इस प्रदेश सरकार ने इस लायक छोड़ा ही नहीं है कि उसका प्रफुल्लित चेहरा फोटो में आ सके।
यह फोटो भाजपा शासित राज्य उत्तरप्रदेश में लखनऊ के चिनहट निवासी प्रगतिशील किसान हरनाम सिंह की फोटो है। इनकी फोटो इंडिया टुडे के पत्रकार आशीष मिश्रा के साथ मनीष अग्निहोत्री ने खिंची थी।
— Saroj Pandey (@SarojPandeyBJP) August 21, 2020
छत्तीसगढ़ प्रदेश का पहला लोकल 🏘️🏚️🏡ऑनलाइन प्रॉपर्टी क्लासिफाइड🏢🏬🏣(खरीदी -बिक्री /किराया/लीज )आपके मोबाइल और डेस्कटॉप पर
उक्त विज्ञापन में दिख रही किसान की फोटो भाजपा शासित राज्य उत्तरप्रदेश में लखनऊ के चिनहट निवासी किसान हरनाम सिंह की है जो इंडिया टुडे के पत्रकार आशीष मिश्रा के साथ मनीष अग्निहोत्री ने खींची थी। अब इससे ज्यादा शर्मनाक उदाहरण इस प्रदेश सरकार के झूठ-फरेब की राजनीति का क्या हो सकता है? पांडेय ने कहा कि सरगुजा के किसान अब भी खाद की अनुपलब्धता के चलते परेशान हो रहे हैं और खाद की दुकानों में किसानों की लंबी कतारें इस बात की तस्दीक कर रही हैं कि प्रदेश सरकार अब भी किसानों की तकलीफ महसूस नहीं कर रही है और हाथ-पर-हाथ धरे बैठी है। परेशान किसानों ने क्षेत्र के दौरे पर जा रहे मंत्री अमरजीत भगत को घेरकर अपनी समस्या के निराकरण की मांग की। किसानों के आक्रोश के आगे विवश मंत्री भगत ने जिलाधीश को दूरभाष पर खाद की आपूर्ति को दुरुस्त करने का निर्देश दिया। लेकिन जमीनी सच अब भी यही है कि किसान खाद के लिए दर-दर भटकने को विवश हो रहे हैं। जिस छत्तीसगढ़ में भाजपा शासन के 15 वर्षों में किसानों को अपनी जरूरतों के लिए सड़क पर नहीं उतरना पड़ा, उस छत्तीसगढ़ के किसान कोरोना काल में भी अगर अपनी खेती-किसानी को बचाने के लिए अपनी जिंदगी दाँव पर लगाकर सड़क पर उतरने के लिए विवश हो गए हैं तो यह प्रदेश की कांग्रेस सरकार के निकम्मेपन का सबसे बड़ा शर्मनाक उदाहरण है।