विधानसभा मानसून सत्र : गायों की मौत का मामला,सरकारी संरक्षण में अवैध शराब बिक्री का लगाया आरोप,उद्यानिकी विभाग का मामला उठाया
मानसून सत्र के तीसरे दिन शराब खरीदी-बिक्री और ब्रांड को लेकर विपक्ष ने कई सवाल दागे
छत्तीसगढ़ विधानसभा के मानसून सत्र के तीसरे दिन शराब का मुद्दा गरमाया रहा. प्रश्नकाल के दौरान विपक्ष ने आबकारी मंत्री कवासी लखमा पर सवालों की बौछार कर दी. कई सवालों पर कवासी लखमा घिरते हुए नजर आए. खासतौर पर 6 महीने बाद कितनी शराब नष्ट की गई है, इस सवाल पर लखमा ने कहा कि इस संबंध में उन्हें जानकारी नहीं है. सदन में तीसरे दिन मंत्री कवासी लखमा के जवाबों से ठहाके लगते रहे.
विधायक संतराम नेताम ने बस्तर में सप्लाई होने वाली सरकारी शराब पर सवाल उठाते हुए कहा कि क्षेत्र के लोगों की शिकायत है कि जो ब्रांड वे चाहते हैं, वह उन्हें नहीं मिल पाती. इसके लिए मांग कब तक पूरी होगी? इस पर आबकारी मंत्री कवासी लखमा ने हंसते हुए कहा कि विधायक से सुझाव मांगा जाएगा और बस्तर के लोगों की जो डिमांड होगी, वो पूरी की जाएगी.
इस बीच बीजेपी के वरिष्ठ विधायक अजय चंद्राकर ने कहा कि शराब के इस गंभीर मुद्दे को हंसी-ठिठोली में ही निकाल दिया जा रहा है.अजय चंद्राकर ने यह सवाल भी किया कि पूरे प्रदेश में अंग्रेजी शराब दुकानों में किस महीने कितनी बिक्री हुई और विक्रय से मिली राशि विभाग के खातों में जिलेवार कब जमा की गई. चंद्राकर ने कहा कि मंत्रीजी की तरफ से उत्तर दिया गया है, जिसमें लिखा है कि विक्रय की राशि विभाग के खाते में जमा नहीं की जाती है. चंद्राकर ने यह भी कहा कि अगर शराब बिक्री की राशि विभाग के खाते में जमा नहीं की जाती तो कहां जमा की जाती है. जितनी शराब बिकी, उतनी राशि जमा की जाती है या नहीं.
मंत्री कवासी लखमा ने जवाब दिया कि शराब बिक्री से आने वाली राशि मार्केटिंग कॉर्पोरेशन में जमा होती है. इस पैसे को राज्य सरकार कोषालय में एडवांस में जमा करती है. शराब की खरीदी-बिक्री का काम मार्केटिंग सोसायटी का है. विभाग खरीदी-बिक्री नहीं करता.छत्तीसगढ़ सरकार ने दुकानों से अधिक दर पर शराब बेचने और गबन करने वाले 700 कर्मचारियों को हटा दिया है। साथ ही पानी मिलाकर शराब बेचने वाले 22 कर्मचारियों पर भी कार्रवाई की गई है। आबकारी मंत्री कवासी लखमा ने विधानसभा में एक सवाल के जवाब में इसकी जानकारी दी। गड़बड़ी करने वाले अधिकारियों पर कार्यवाही को लेकर स्पीकर डॉ. चरणदास महंत ने जांच के निर्देश दिए हैं।
बृजमोहन ने विधानसभा में उठाया गायों की मौत का मामला, कहा-गौठान को मजाक बना दिया है
बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि मंत्रीजी आप व्यवस्था सुधारिए। आपके निर्देशों के कारण कितने सरपंच मरेंगे, छोटे-छोटे अधिकारी मरेंगे। आपके निर्देशों का पालन करने के कारण इसलिए आपको व्यवस्था सुधारने की जरूरत है, आप इस व्यवस्था को सुधारें और जहां तक हमारे सरकार के समय की बात है तो वह निजी लोगों के गौशालाओं में मृत्यु हुई थी, आज आपके तो सरकारी निर्देश के कारण मृत्यु हो रही है इसलिए मैं इसको गौहत्या कह रहा हूँ। अग्रवाल ने कहा कि वहां 50 से ज्यादा जानवरों की मृत्यु हुई है, गायों की मृत्यु हुई है और उन किसानों की रोजी-रोटी वही थी, और वह सरकार के निर्देशों के कारण हुई है तो आप किसी योजना में नहीं तो कम से कम मुख्यमंत्री सहायता कोष से उन किसानो को राशि दे दें। मंत्री सहायता कोष में दे दें। गौसेवा आयोग में पैंसा है, उसमें से पैसा दे दें।
ध्यानाकर्षण के जवाब में पशुपालन मंत्री रविन्द्र चौबे ने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य में फसल बुवाई कार्य के पूर्व कर रहे पशुओं के नियंत्रण के लिए रोका छेका प्रथा प्रचलित है,जिससे फसल बुवाई को बढ़ावा देने तथा पशुओं के चरने से फसल को होने वाले हानि से बचाने के लिए पशुपालक तथा ग्रामवासियों द्वारा पशुओं के बांधकर रखने अथवा पहटिया की व्यवस्था इत्यादि कार्य किया जाता है। उक्त प्रयास से न ही कृषक शीघ्र बोवाई कार्य पूर्ण कर पाते है, अपितु द्वितीय फसल लेने के लिये भी प्रेरित होते हैं। छत्तीसगढ़ शासन द्वारा समस्त जिला कलेक्टर को यहा निर्देश दिये गये थे कि 19 जून 2020 को रोका छेका कार्यक्रम आयोजित कर ग्राम स्तर पर बैठक आयोजित कर ग्राम सरपंच, पंच जनप्रतिनिधि तथा ग्रामीण रोका-छेका प्रथा अनुसार पशुओं को बांध कर रखने, पशुओं के नियंत्रण से फसल बचाव की शपथ दिलाई जावे। गौठानों में पशुओं के प्रबंधन, रख रखाव की उचित व्यवस्था के लिए गौठान प्रबंधन समिति की बैठक आयोजित की जावे। पहटिया/चरवाहे की व्यवस्था से पशुओं का गौठानों में व्यवस्थापन सुनिश्चित करावें। खुले में विचरण कर रहे पशुओं का नियंत्रण व गौठानों में संधारण करावे। गौठानों में पशु चिकित्सा एवं स्वास्थ्य शिविर का आयोजन करावे। वर्षा के मौसम में गौठनों में पशुओं के सुरक्षा के लिए व्यापक प्रबंधन किया जावे।
उद्यानिकी विभाग ने केन्द्र की योजनाओं का लाभ किसानों को नहीं दिया
भाजपा विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने गुरूवार को शून्यकाल में उद्यानिकी विभाग का मामला उठाया। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में उद्यानिकी विभाग के द्वारा लगभग 100 करोड़ की राशि मिलना था। इस राशि के माध्यम से किसानों को राष्ट्रीय बागवानी मिशन, राष्ट्रीय कृषि विकास योजना, परम्परागत खेती, राष्ट्रीय खाद्य मिशन, बांस मिशन, राज्य पोषित योजनाओं के तहत लगभग 5 लाख किसानों को फायदा मिलना था। वह 100 करोड़ रूपये की राशि 27 जिलों के जिला उद्यानिकी अधिकारी के खाते में जमा है और बीज विकास निगम के खाते में जमा है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल यह कितना बड़ा ब्लंडर अपराध है कि इसकी यूसी सेन्ट्रल गाॅरमेन्ट को भेज दी गई परन्तु वह पैसा खर्च नहीं हुआ है। किसानों के खाते में नहीं गया है। जबकि उनको बता दिया गया कि हमने इसको बांट दिया है और ऐसा अपराध लोगों के द्वारा, विभाग के द्वारा किया गया है। शायद सरकार की जानकारी में है या नहीं है, सरकार उसके ऊपर कार्यवाही करे। यहां तक कि सरकार ने जो लघु सिंचाई योजना है, सूक्ष्म सिंचाई योजना के अनुदान पर भी रोक लगा दी है और वह पैसे सरकार के पास पड़े हुए हैं। उसके ऊपर सरकार कार्यवाही करे।
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