केंद्र सरकार ने छत्तीसगढ़ सरकार की राजीव गांधी किसान न्याय योजना का ब्योरा मांगा है.अब केंद्र और राज्य के बीच सियासी हलचल की पूरी संभावना
देश के कई राज्यों के किसान अपनी फसल का उचित दाम नहीं मिलने और कई मांगों को लेकर उग्र आंदोलन कर रहे हैं. वहीं छत्तीसगढ़ के किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान बेचने में जुटे हैं. राज्य सरकार की राजीव गांधी किसान न्याय योजना के चलते छत्तीसगढ़ के किसानों को धान का 2500 रुपए प्रति क्विंटल की दर से समर्थन मूल्य दिया जा रहा है. देश के तमाम राज्यों में से छत्तीसगढ़ में धान का सबसे ज्यादा मूल्य है. केंद्र सरकार की मनाही के बाद भी राज्य सरकार राजीव गांधी किसान न्याय योजना के माध्यम से किसानों को समर्थन मूल्य की अंतर की राशि दे रही है. केंद्रीय कृषि कानून का प्रदेश के किसानों पर कोई असर न हो, इसके लिए राज्य सरकार ने मंडी एक्ट में संशोधन भी किया है.
केंद्र सरकार ने धान के समर्थन मूल्य के लिए पहले से ही दर तय कर दिए हैं. ऐसे में धान के लिए 1868 रुपए का दाम तय है. राज्य सरकार ने किसानों के लिए 2500 रुपए प्रति क्विंटल की दर से धान खरीदी करने का वादा अपने घोषणा पत्र में किया था. केंद्र के एमएसपी और राज्य के एमएसपी के अंतर की राशि के लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने बीच का रास्ता निकालते हुए राजीव गांधी किसान न्याय योजना की शुरुआत की. इसके माध्यम से किसानों को चार किस्तों में अंतर की राशि दी जा रही है.
छत्तीसगढ़ में किसानों से समर्थन मूल्य पर धान खरीदी की शुरुआत वैसे तो 1 नवंबर से होती रही है. लेकिन छत्तीसगढ़ सरकार ने 1 दिसंबर से धान खरीदी की शुरुआत की. अबतक प्रदेश में करीब 90 लाख टन की धान की आवक हो चुकी है. 2500 रुपए प्रति क्विंटल की दर से की जा रही धान की खरीदी के कारण इस साल ढाई लाख से ज्यादा नए किसानों ने धान बेचने के लिए पंजीयन कराया है.
छत्तीसगढ़ में सत्ता और सरकार बदलने के साथ ही प्रदेश में किसानों को धान का समर्थन मूल्य देने को लेकर राजनीति जोरों पर है. विपक्ष में बैठी भारतीय जनता पार्टी ने लगातार धान के समर्थन मूल्य में लेटलतीफी को लेकर सरकार को घेरा है अब ब्यौरा मांगने के बाद सियासी हलचल तेज हो गयी है
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