छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में शनिवार से ई-लोक अदालत की शुरुआत हुई. जिसमें लंबित पड़े मामलों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए निपटाया जा रहा है. ऐसा करने वाला छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य है.



छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने शनिवार को इतिहास रचा है. यहां देश के पहली E- लोक अदालत में कई मामलों की सुनवाई हुई. शनिवार सुबह 10:30 बजे मुख्य न्यायाधीश पीआर रामचंद्र मेनन की ओर से छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग रूम से इसका उद्घाटन किया गया. कोरोना संक्रमण की वजह से लोग आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं, ऐसे में दीवानी मुकदमों के निराकरण के लिए छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट और राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण ने ई-लोक अदालत लगाने का निर्णय लिया. ई-लोक अदालत हाईकोर्ट के साथ सभी जिला न्यायालयों और तहसील न्यायालयों में भी आयोजित की जा रही है.छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण बिलासपुर द्वारा आज आयोजित ई-लोक अदालत का उद्घाटन छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में जजों के कान्फेंस रूम में मुख्य न्यायाधीश जस्टिस मेनन ने किया। राज्य के 23 जिलों के सभी न्यायालय, पक्षकार, अधिवक्ता वीडियो कान्फें्रसिंग के माध्यम से उद्घाटन समारोह से जुड़े। सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर भी देश भर में इसे देखा गया।

मुख्य न्यायाधीश जस्टिस मेनन ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। अपने उद्बोधन में उन्होंने कहा कि वैश्विक महामारी कोरोना के चलते किये गये लाॅकडाउन में सार्वजनिक विभाग ठीक से काम नहीं कर पा रहे हैं। न्याय व्यवस्था भी इससे प्रभावित हुई है। अधिवक्ता और पक्षकार भी कठिन दौर से गुजर रहे हैं। लाॅकडाउन के दौरान न्यायालयों की गतिविधियां ठप्प पड़ गई हैं। इसके कारण हमारे द्वारा ग्रीष्मकालीन अवकाश को रद्द करने का निर्णय लिया गया। उन्होंने बताया कि कोरोना काल में 5212 से अधिक केस फाईल किये गये। हाईकोर्ट में 3956 मामलों का निपटारा किया गया। निराकृत मामलों में बड़ी संख्या में ऐसे मामले हैं, जिनकी सुनवाई पिछले 5 सालों से ज्यादा समय से चल रही थी। जिला और निचली अदालतों में भी उनकी आधारभूत संरचनाओं के मान से अच्छा काम हुआ। उन्होंने बताया कि वर्ष 2019 में अकेले छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में 45 हजार से अधिक मामले फाईल किये गय और 39 हजार से अधिक मामलों का निराकरण किया गया। वर्ष 2020 में कोरोना महामारी का दौर शुरू होने से पहले जनवरी से लेकर मार्च तक 10 हजार 639 मामले दायर किये गये, जिनमें से 8 हजार 736 मामलों में फैसला दिया गया।

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जस्टिस मिश्रा ने बताया कि ई-लोक अदालत निर्बाध रूप से चले, ये सुनिश्चित करने के लिये सभी जिलों की अदालतों को प्राधिकरण द्वारा अतिरिक्त डेटा उपलब्ध कराया गया है। ई-लोक अदालत में 23 जिलों की195 खंडपीठ में 3133 मामले सुने जा रहे हैं। हाईकोर्ट में भी दो बेंच लगी है। जस्टिस मिश्रा ने जिलों के पीठासीन अधिकारियों और पक्षकारों से अपील की कि वे अधिक से अधिक मामलों का आपसी सहमति से समझौता कराएं। उन्होंने कहा कि यदि ई-लोक अदालत सफल होती है, तो भविष्य में ऐसी अदालतें और लगाई जायेंगी।

समारोह में हाईकोर्ट के कम्प्यूटराईजेशन कमेटी के अध्यक्ष जस्टिस श्री मनीन्द्र मोहन श्रीवास्तव और हाईकोर्ट विधिक सेवा समिति के अध्यक्ष जस्टिस श्री गौतम भादुड़ी ने भी संबोधित किया। स्वागत उद्बोधन रजिस्ट्रार जनरल श्री नीलम चंद सांखला ने दिया। रजिस्ट्रार सीपीसी श्री शहाबुद्दीन कुरैशी ने ई-लोक अदालत के संबंध में विस्तृत प्रकाश डाला। उद्घाटन समारोह में जस्टिस गौतम चैरड़िया भी वेब लिंक के माध्यम से जुड़े। रजिस्ट्रार विजिलेंस श्री दीपक कुमार तिवारी, सभी जिलों के जज, न्यायिक अधिकारी, सभी जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के अध्यक्ष एवं सचिव, बार काउंसिल के चेयरमेन, बार एसोसिएशन के पदाधिकारी, पीठासीन अधिकारी, लीगल एड सर्विस वालंटियर एवं पक्षकार भी आॅनलाईन जुड़े। आभार प्रदर्शन राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव श्री सिद्धार्थ अग्रवाल ने किया।

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