भारतीय जनता पार्टी प्रदेश प्रवक्ता सच्चिदानंद उपासने ने कांग्रेस से पूछा कि आखिर छत्तीसगढ से चुने गए राज्यसभा सांसद केटीएस तुलसी विजयी होने के बाद से हैं कहाँ



भारतीय जनता पार्टी प्रदेश प्रवक्ता सच्चिदानंद उपासने ने कांग्रेस से पूछा कि आखिर छत्तीसगढ से चुने गए राज्यसभा सांसद केटीएस तुलसी विजयी होने के बाद से हैं कहाँ? चुनाव के दौरान छत्तीसगढ़ के विधायकों से वोट लेने के दौरान उन्होंने कहा था कि वे छत्तीसगढ की बुलंद आवाज बनेंगे चुनाव हुए पाँच माह से अधिक समय हो गया, कोरोना संक्रमण से प्रदेश बुरी तरह ग्रसित है, प्रदेश में गम्भीर से गम्भीर स्थितियां इस काल में निर्मित हुई, परंतु दिल्ली से आकर छत्तीसगढ़ से राज्यसभा सदस्य चुनकर जाने के बाद एक भी दिन छत्तीसगढ़ में दुख दर्द बांटने तो दूर छत्तीसगढ के लिए एक विज्ञप्ति देना भी मुनासिब नहीं समझा। यहां तक कि दिल्ली में रहकर केंद्र के किसी मंत्री से मिलकर छत्तीसगढ़ के लिए स्वास्थ्य, खाद्य या मनरेगा के लिए मदद की गुहार करना भी औपचारिक तौर पर भी मुनासिब नहीं समझा। यही कारण है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री नहीं चाह रहे थे कि कोई हेलिकॉप्टर सांसद राज्यसभा छत्तीसगढ़ से ना भेजा जाए। इससे तो सक्रिय भूमिका छत्तीसगढ से भेजी गई दो महिला सांसदों छाया वर्मा और फुलो देवी नेताम ने निर्वहन की थी। यही कारण है कि अब कांग्रेसी भी अपने सांसद तुलसी को शायद भूल ही गये हैं, कोई उनका नाम भी नहीं लेता।

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उपासने ने कहा कि तुलसी जो सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता हैं, सोनिया गांधी व राहुल के भी लम्बे समय से अधिवक्ता भी हैं। लगता है उनकी व्यस्तता वर्तमान में सोनिया राहुल के खिलाफ चल रहे ढेर सारे आर्थिक व प्रॉपर्टी सम्बंधी मामलों के प्रकरणों मे होने के कारण भी छत्तीसगढ उनके लिये गौण है। जबकि उन्होनें विजय के बाद तो यही कहा था कि वे दिल्ली में छत्तीसगढ़ की आवाज बनेंगे पर वे भूल गए थे कि छत्तीसगढ से सांसद सीट तो उन्हे केवल वकालत की फीस या पुरुस्कार स्वरुप दी गयी। उन्हे छत्तीसगढ़ या प्रदेश कांग्रेस से क्या मतलब। वंशवाद ही काफी है सेवा के लिए। उपासने ने कहा कि इसके लिए राज्यसभा की दौड़ में शामिल नेताओं को सोनिया गांधी राहुल गांधी के समक्ष त्याग करना पड़ा, जिसका खमियाजा आज छत्तीसगढ़ को भी भुगतना पड रहा। उपासने ने पूछा कि क्या अपने पूरे कार्यकाल में क्या कभी फिर छत्तीसगढ की सुध भी लेंगे श्री तुलसी?

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