कोरोना वायरस में जकड़ते चले जा रहे छत्तीसगढ़ में अब मुश्किलें बढऩी शुरू हो गई है। संक्रमित मरीजों की संख्या 1,000 का आंकड़ा पार कर चुकी है। रोजाना औसतन साढ़े चार हजार सैंपल लैबों में जांच के लिए भेजे रहे हैं। और अब ये हांफ रही हैं। हालात यह है एम्स में स्थापित प्रदेश की सबसे बड़ी वायरोलॉजिकल लैब ने अब नए सैंपलों की जांच से हाथ खड़े कर दिए हैं। एम्स प्रबंधन ने स्वास्थ्य विभाग को साफ-साफ कह दिया है कि अगले 10 दिनों तक एक भी सैंपल न भेंजे। यही हाल दूसरी सरकारी लैबों का भी है। मगर, वे सरकार के अधीन है इसलिए उन कॉलेजों के डीन चुप्पी साधे हुए हैं।
सरकारी क्वारंटाइन सेंटर में 2.52 लाख श्रमिकों को रखा गया है। उनमें से संदिग्धों के सैंपल लिए जाते हैं। अगर, रिपोर्ट आने में हफ्ता, दो हफ्ता लगता है तो वह तो संक्रमित मरीज 'सुपर स्प्रेडर' बन जाएगा। और बनें भी हैं। क्वारंटाइन सेंटर में थोक में मिल रहे संक्रमित मरीज सरकार की इसी लापरवाही का परिणाम है कि रिपोर्ट बहुत देर से आ रही है।
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एम्स रायपुर के अनुसार एम्स ने साकार से कह दिया है "लैब में तीनों शिफ्ट में जांच चल रही है। आने वाले दिनों में क्षमता और बढ़ाई जाएगी। प्रतिदिन 2000 से ज्यादा सैंपल जांच कर रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग से कहा गया है कि सैंपल न भेंजे।"