राज्य महिला आयोग ने की कोण्डागांव और नारायणपुर जिले के प्रकरणों की सुनवाई,लड़कियां प्रताड़ना से न डरे, आयोग के समक्ष आयें - डॉ. किरणमयी नायक



छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. श्रीमती किरणमयी नायक द्वारा गुरूवार को कोण्डागांव और नारायणपुर जिले के महिला उत्पीड़न से संबंधित प्रकरणों की सुनवाई कोण्डागांव जिला कार्यालय के सभाकक्ष में की गई। प्रकरणों में कोण्डागांव जिले के पांच और नारायणपुर जिले का एक प्रकरण शामिल था। प्रकरण मुख्य रूप से पारिवारिक विवाद, शारीरिक एवं मानसिक उत्पीड़न, दहेज प्रतारणा, भरण-पोषण से संबंधित थे। एक मामले में महिला आयोग ने पीड़ित महिला के आवेदन को गंभीरता से लेते हुए फैसला दिया। दरअसल, महिला ने शिकायत थी कि पति विवाह के 10 वर्ष पश्चात उसे छोड़कर दूसरा विवाह कर रहा है। वर्तमान में शासकीय कर्मचारी होने के बावजूद कोई भरण-पोषण राशि न देकर उसे असहाय छोड़ दिया है।महिला आयोग के द्वारा दोनों पक्षों को सुनकर यह निर्णय लिया गया कि महिला का पति पीड़िता को एकमुश्त भरण-पोषण राशि पांच लाख रुपये देकर आपसी सहमति से तलाक ले सकेगा। इसके अतिरिक्त आयोग की अध्यक्ष ने महिला के पति को यह निर्देश भी दिया कि पूरी राशि देने के पश्चात ही आपसी सहमति से ही वह विवाह विच्छेद के लिए आवेदन प्रस्तुत कर सकेगा, जिस पर दोनों पक्षों ने सहमति जताई।

एक अन्य प्रकरण में महिला ने शिकायत की उसे प्रेम जाल में फंसाकर एक लाख 27 हजार रुपए ऐंठ लिए गए और बाद में मारपीट, गाली- गलौज और बदनाम करने की धमकी देकर उसे मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया। आयोग ने गंभीर प्रकृति का अपराध मानते हुए प्रकरण को संज्ञान में लिया और अनावेदक को यह निर्देशित किया कि आवेदिका को उसके पैसे वापस कर माफी मांग कर संपूर्ण प्रकरण का निराकरण करें। अनावेदक ने माफी मांगते हुए संपूर्ण राशि छह माह के भीतर वापस करने का आश्वासन दिया।



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मानसिक एवं शारीरिक रूप से प्रतारणा के मामले का आयोग ने आवेदिका एवं अनावेदक सहित गवाहों के समक्ष निराकरण किया। आयोग की अध्यक्ष डॉ. श्रीमती किरणमयी नायक ने कहा कि लड़कियां किसी भी प्रकार की प्रताड़ना से न डरे और आयोग के समक्ष आकर अपनी शिकायत दर्ज करें। एक अन्य प्रकरण में उभय पक्षों ने पुलिस रिपोर्ट के पश्चात भी चालान प्रस्तुत ना होने की बात कही जिस पर आयोग ने संबंधित थाना प्रभारी को निर्देशित किया कि रिपोर्ट हुए प्रकरणों में त्वरित कार्रवाई कर चालान प्रस्तुत करें। जिससे न्यायालय के समक्ष मामले का निराकरण शीघ्रता से हो सके। इसके अतिरिक्त आयोग ने पुलिस रिपोर्ट पर शीघ्रता से संज्ञान लेने का भी निर्देश पारित किया। सुनवाई के दौरान कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए शासन द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पालन किया गया। सुनवाई के दौरान शासकीय अधिवक्ता, महिला बाल विकास एवं पुलिस विभाग के अधिकारी उपस्थित थे।



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