छत्तीसगढ़ में जारी है पत्रकारों की अभिव्यक्ति की आजादी पर लगाम की कोशिश ,कांकेर ,कवर्धा के बाद अब मुंगेली में खबर लिखने पर थानेदार ने भेजा नोटिस ,पत्रकार आन्दोलन पर
प्रदेश में पत्रकारों पर अंकुश लगाने का सिलसिला जारी है। ताजा मामला मुंगेली का है जहां एक खबर लिखने पर कोतवाली TI ने पत्रकारों को नोटिस जारी कर थाने बुलवाने का आदेश जारी कर दिया। इससे आक्रोशित पत्रकारों ने हंगामा कर कर दिया। पत्रकारों ने थाने के आगे धरना दे दिया।जब मामले ने तूल पकड़ लिया तब पुलिस ने कहा कि वे तो कार्रवाई के लिए सबूत मांग रहे थे ताकि मामले में कार्रवाई की जा सके। इसके बाद सोशल मीडिया में फिर सरकार और प्रेस के रिश्ते को लेकर सवाल उठाए जाने लगे। किसी ने कहा कि TI को नोटिस भेजने का अधिकार ही नहीं है।
फेसबुक में एक पत्रकार ने लिखा है कि – छत्तीसगढ़ में मुंगेली पुलिस ने गजब ही कर दिया है।समाचार प्रसारित होने पर पत्रकारो को नोटिस जारी करके, पुलिस को खबरों को लेकर यदि आपत्ति है तो समाचार संस्थान से जवाब तलब किया जाए, पत्रकारों को क्यों नोटिस जारी किया गया और जैसे कि जानकारी मिल रही कि पत्रकारो के प्रदर्शन के बाद पुलिस जो दलील दे रही कि कार्रवाई के लिए वीडियो व दस्तावेज चाहिए तो वह तो किसी भी पत्रकार से व्यक्तिगत सम्पर्क कर लिया जा सकता है। ये नोटिस की नौटंकी का क्या औचित्य वह भी अति आवश्यक और नोटिस तामील के लिए पुलिस दलबल ले कर किसी पत्रकार के घर/दफ्तर जाए।
मिली जानकारी के अनुसार पत्रकार सय्यद वाजिब व उमेश कश्यप द्वारा सट्टे से संबंधित खबर लगाई गई थी। उसपर कार्रवाई करने के बजाय कोतवाली पुलिस ने पत्रकारों को ही मय दस्तावेज तलब कर लिया जिससे स्थानीय पत्रकारों में आक्रोश है।
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