छत्तीसगढ़ पैरेंट्स एसोसियेशन ने समाचार पत्रों में दिए फीस सबंधी विज्ञप्ति को ले कर छत्तीसगढ़ प्रायवेट स्कूल मैनेजमेंट एसोसियेशन के अध्यक्ष और सचिव की गिरफ्तारी की मांग की



छत्तीसगढ़ पैरेंट्स एसोसियेशन के प्रदेश अध्यक्ष क्रिष्टोफर पॉल ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर यह जानकारी दिया कि छत्तीसगढ़ प्रायवेट स्कूल मैनेजमेंट एसोसियेशन, रायपूर के द्वारा मा. उच्च न्यायालय के 1040/2020 दिनांक 9 जुलाई 2020 का गलतढंग से परिभाषित कर तिथि निर्धारित कर बच्चों को ऑनलाईन क्लासेस से वंचित कर देने की धमकी देकर दबावपूर्वक फीस वसूलने का प्रयास किया जा रहा है। कई बड़े दैनिक अखबारों में दिनांक 6 सिंतबर 2020 को विज्ञप्ति जारी कर 9 सिंतबर तक फीस जमा कर देने और फीस नही जमा करने की स्थिति में ऑनलाईन क्लासेस से वंचित करने की बात प्रकाशित किया गया है जो मा. उच्च न्यायालय बिलासपूर के निर्णय दिनांक 9 जुलाई 2020 और निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 की धारा 16 का स्पष्ट उल्लघंन है।

पॉल का कहना छत्तीसगढ़ प्रायवेट स्कूल मैनेजमेंट एसोसियेशन, रायपूर के इस प्रकार की धमकी-चमकी से जिले में कानून व्यवस्था बिगड़ सकती है जिसको लेकर दिनांक 7 सिंतबर को एसोसियेशन का एक प्रतिनिधि मंडल डीईओ कार्यालय पंहुचा था लेकिन डीईओ कार्यालय में नही मिले तो प्रतिनिधि मंडल ने बाल आयोग पंहुच कर छत्तीसगढ़ प्रायवेट स्कूल मैनेजमेंट एसोसियेशन, रायपूर के अध्यक्ष और सचिव के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने पुलिस अधिक्षक को निर्देशित करने की मांग की गई और फिर प्रतिनिधि मंडल ने पुलिस अधिक्षक को भी छत्तीसगढ़ प्रायवेट स्कूल मैनेजमेंट एसोसियेशन, रायपूर के अध्यक्ष और सचिव के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग किया गया।

एसोसियेशन के रायपुर जिला सचिव पनेश त्रिवेदी ने बताया कि मा. उच्च न्यायालय बिलासपूर के निर्णय 1040/2020 दिनांक 9 जुलाई 2020 में यह उल्लेख नही है कि यदि पालक ट्यूशन फीस जमा नही करता है तो उसके बच्चे को ऑनलाईन क्लासेस से वंचित कर दिया जाएगा।

एसोसियेशन के रायपुर जिला अध्यक्ष उमेश साहू का कहना है कि शिक्षा बच्चों का मौलिक अधिकार है, कोई भी प्रायवेट स्कूल किसी भी प्रवेशित बच्चे को किसी भी परिस्थिति में शिक्षा से वंचित नही कर सकता है। यदि कोई भी प्रायवेट स्कूल बच्चों को किसी भी प्रकार से जानबूझकर प्रताड़ित करता है, जानबूझकर अनावश्यक मानसिक कष्ट देता है, किसी प्रकार से जानबूझकर उसकी उपेक्षा करता है तो यह किशोर न्याय(बालकों की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम 2015(अधिनियम क्रमांक 2 सन् 2016) की धारा 75 और 86 के अंतर्गत गंभीर प्रवृति का अपराध है।

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