छत्तीसगढ़ में राज्य कर्मचारियों की हड़ताल के सात दिन बाद हुयी बातचीत रही विफल ,मुख्य सचिव ने कहा-अब आम लोगों को परेशानी होने लगी है
छत्तीसगढ़ में राज्य कर्मचारियों की हड़ताल के सात दिन पूरे हो गए हैं। इस बीच सरकार की ओर से पहली बार बातचीत की कोशिश शुरू हुई। मुख्य सचिव अमिताभ जैन ने सोमवार को कर्मचारी नेताओं को अपने कार्यालय बुलाकर कहा, उनकी हड़ताल से अब आम लोगों को परेशानी होने लगी है। उन्हें अब काम पर वापस लौट आना चाहिए, सरकार उनकी मांगों पर विचार करेगी। नेताओं ने कहा यदि उनकी मांगे मानी जाती है तो वे हड़ताल खत्म कर देंगे। फिलहाल कर्मचारी फिर हड़ताल पर लौट गए।
संसदीय सचिव और रायपुर विधायक विकास उपाध्याय की पहल पर मुख्य सचिव अमिताभ जैन ने सोमवार को छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन के नेताओं को कार्यालय बुलाया था। वहां विधायक की मौजूदगी में मुख्य सचिव और हड़ताली नेताओं के बीच बातचीत हुई है।
छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन के संयोजक कमल वर्मा के अनुसार ,मुख्य सचिव ने आम लोगों की दिक्कतों का हवाला देकर काम पर वापस लौटने की बात कही। हम लोगों ने कहा, उनकी बात से सहमत हैं लेकिन हमारी मांगों पर उनको शीघ्र फैसला करना चाहिए। मुख्य सचिव ने उन्हें वित्त विभाग के सचिव से स्थिति की समीक्षा के बाद किसी फैसले का आश्वासन दिया है। फिलहाल सभी कर्मचारी हड़ताल में वापस लौट आए हैं।
कमल वर्मा ने कहा, फेडरेशन मांग पूरी हुए बिना आंदोलन वापस नहीं लेगा। कर्मचारियों की इस हड़ताल में 100 से अधिक संगठन शामिल हैं। इसकी वजह से स्कूल, अस्पताल, जिला प्रशासन और राजस्व विभाग के कार्यालय-न्यायालय लगभग ठप्प हो गए हैं। विधायक विकास उपाध्याय ने कहा, पिछले दिनों कर्मचारी संगठनों के लाेग उनके पास आए थे। मैंने उनको मुख्य सचिव के साथ बातचीत के लिए बिठा दिया। अभी कोई ठोस आश्वासन नहीं निकला है, लेकिन बातचीत शुरू होने से समाधान का रास्ता जरूर बना है।
मुख्य सचिव के साथ बातचीत के बीच हड़ताली कर्मचारियों पर सख्ती भी शुरू हो गई है। सरकार ने हड़ताल में शामिल नहीं हुए कर्मचारियों को पिछली हड़ताल के दिनों का वेतन जारी करने का निर्देश दिया है। वहीं हड़ताल में शामिल कर्मचारियों पर साल 2006 में जारी एक शासकीय परिपत्र-G.O. के मुताबिक कार्रवाई करने को कहा गया है।
कर्मचारी संगठनों के साथ सरकार की दो दौर की बातचीत हड़ताल से पहले भी हो चुकी है। बताया जा रहा है, बातचीत के दौरान महंगाई भत्ता को 12% बढ़ाने पर सहमति बन गई थी। बाद में वित्तीय स्थिति को देखते हुए सरकार ने केवल 6% महंगाई भत्ता बढ़ाने का आदेश जारी किया। कई कर्मचारी संगठनों ने इस वृद्धि के लिए मुख्यमंत्री से मुलाकात कर आभार भी जताया था।
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