एक महीने पूर्व स्थापित किए गए सीआरपीएफ कैंप में माओवादियों ने किया आतंकी हमला, 3 जवान घायल
माओवादी आतंकियों ने एक बार फिर बस्तर क्षेत्र में आतंकी घटना को अंजाम दिया है। बस्तर संभाग के सुकमा जिले में स्थित सीआरपीएफ कैंप में माओवादियों ने सोमवार की सुबह हमला किया है। माओवादियों की ओर से की गई इस गोलीबारी में सीआरपीएफ के 3 जवान घायल हुए हैं।माओवादियों ने जिस कैंप पर हमला किया है उसे लगभग एक माह पहले ही खोला गया है। इसी कारण ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि माओवादियों के गढ़ में सुरक्षाबलों की बढ़ती उपस्थिति से माओवादी बौखलाए हुए हैं।
मिली जानकारी के अनुसार जिले के चिंतागुफा क्षेत्र के अंतर्गत एलमागुंडा में स्थित सीआरपीएफ कोबरा बटालियन के कैंप में सोमवार की सुबह करीब 6:10-6:30 के बीच माओवादियों ने अचानक गोलीबारी शुरू की। माओवादियों की ओर से किए गए इस अचानक हमले का जवानों ने भी मुंहतोड़ जवाब दिया। जवानों की जवाबी कार्यवाई के बाद माओवादी जंगल की ओर भाग खड़े हुए।यह भी जानकारी सामने आई है कि माओवादियों ने फायरिंग के साथ-साथ कैंप की ओर देशी हैंड ग्रेनेड भी दागे हैं। माओवादियों के द्वारा किए गए इस हमले में हेड कांस्टेबल हेमंत चौधरी, कांस्टेबल बसप्पा और कांस्टेबल ललित बाघ घायल हुए हैं। घायल जवानों को तत्काल उपचार के लिए राजधानी रायपुर एयरलिफ्ट किया गया है।
माओवादियों और सुरक्षाबलों के बीच इस दौरान लगभग आधे घंटे तक मुठभेड़ चली। सूत्रों का कहना है कि इस गोलीबारी में माओवादियों को भी भारी नुकसान उठाना पड़ा है, हालांकि वे जंगलों की आड़ लेकर भाग निकले हैं। इस पूरे घटनाक्रम की बस्तर आईजी ने पुष्टि की है।
बस्तर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक ने बताया है कि जिले के एलमागुंडा में कुछ समय पूर्व ही नये कैंप को स्थापित किया गया है। यह कैंप चिंतागुफा से करीब 12 किलोमीटर पश्चिम और मिनपा स्थित सीआरपीएफ कैंप से 5.5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
उन्होंने बताया कि इस कैंप के लगने से माओवादियों को काफी नुकसान उठाना पड़ा है, एक बड़ा क्षेत्र उनके प्रभाव से मुक्त हो रहा है। ऐसे में बौखलाए माओवादियों के द्वारा जवानों के मनोबल को तोड़ने के लिए उनपर हमले किए जा रहे हैं।
हाल ही में जवानों ने यहाँ ग्रामीणों के साथ मिलकर 2 दिन पूर्व होली मिलन समारोह मनाया था। ऐसे कार्यक्रमों के बाद सुरक्षाबलों और ग्रामीणों के बीच आपसी विश्वास का भाव बढ़ रहा है और साथ ही ग्रामीणों के मन से माओवादियों का भय भी दूर हो रहा है। यही कारण है कि माओवादी ना सिर्फ अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए ऐसे हमले को अंजाम दे रहे हैं बल्कि वो चाहते हैं कि उनका भय भी बरकरार रहे।
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