प्रदेश के दो शराब निर्माताओं द्वारा राज्य के बाहर से एल्कोहल खरीदी पर छुट मांगने वाली याचिका को उच्च न्यायालय ने किया खारिज
छत्तीसगढ़ के दो प्रमुख शराब निर्माता एजिस बेवरेज जो कि कलकत्ता की कंपनी है एवं लिजेंड डिसलरी जो कि बिलासपुर की कंपनी है ने उच्च न्यायालय में याचिका लगा कर यह मांग कि थी कि छ.ग. राज्य के वाणिज्य कर विभाग द्वारा सी-फार्म ई.एन.ए. एल्कोहल जिससे शराब बनाई जाती है के बाहर से खरीदने पर सी-फार्म जारी नहीं किया जा रहा है जिससे उसे प्रदेश के बाहर से आयात करने पर 18 प्रतिशत जी.एस.टी टेक्स लिया जा रहा है जबकि सी-फार्म जारी करने से मात्र 2 प्रतिशत जी.एस.टी लगता है जिससे शराब निर्माता कंपनी को भारी नुकसान हो रहा है जबकि जी.एस.टी नियम लागू होने से पूर्व वेट एक्ट के तहत छुट प्रदान की जाती रही है। अतः संविधान के तहत उन्हें अब भी ई.एन.ए. एल्कोहल जिससे शराब बनती है कि खरीदी पर छुट मिलनी चाहिए। जिसकी सुनवाई आज माननीय उच्च न्यायालय के एकल पीठ के न्यायाधीश श्री संजय एस अग्रवाल जी के बेंच में हुई।
राज्य सरकार ने जवाब व तर्क प्रस्तुत करते हुए उच्च न्यायालय ने बताया कि जी.एस.टी. करनून आने के बाद माल कि परिभाषा में संशोधन हो गया है जिसमें सिर्फ मानव उपयोग के एल्कोहल पर ही सी-फार्म जारी किया जाता है। भारत के संविधान के विभिन्न एंट्री पर मानव उपयोग के एल्कोहल / शराब का जिक है जो कि राज्य का विषय है एवं ई.एन.ए. की खरिदी पर शराब निर्माता सी-फार्म जारी होने से छूट मिलने की बात कर रहे है जो एक्सट्रा न्युट्रल एल्कोहल मानव जीवन के लिए उपयोगी नही है जिसका अर्थ मानव जीवन पर संकट डालना है अतः ई. एन. ए. की खरिद पर छुट नही दी जा सकती।
उच्च न्यायलय ने दोनों पक्षों को सुनने के पश्चात यह पाया कि एक्सट्रा न्युट्रल एल्कोहल जो जहरीला होने के कारण मानव जीवन हेतु उपयोगी नही है इसलिए शराब निर्माताओं को छुट नहीं दी जा सकती जो कि सही है एवं याचिकाकर्ताओं की खचिका को निरस्त कर दिया।
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