ED की लगातार कार्रवाई के बाद IAS अधिकारियों और कारोबारियों के पास से मिले काले धन के मामले को छत्तीसगढ़ भाजपा ने आड़े हाथों लिया है
ED की लगातार कार्रवाई के बाद IAS अधिकारियों और कारोबारियों के पास से मिले काले धन के मामले को छत्तीसगढ़ भाजपा ने आड़े हाथों लिया है। इसे लेकर दुर्ग और भिलाई में भाजपा के सांसदों ने अलग-अलग प्रेस वार्ता ली। उन्होंने कहा की ईडी की कार्रवाई के बाद जारी के प्रेस नोट ने छत्तीसगढ़ में भ्रष्टाचार की पोल खोल दी है। इसके बाद भी छत्तीसगढ़ सरकार ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर रही है। भाजपा नेताओं ने कहा कि वे मुख्यमंत्री से पूछना चाहते हैं कि वह ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं कर रहे हैं।
राज्यसभा सांसद सरोज पांडे ने छत्तीसगढ़ में ईडी की कार्रवाई को लेकर दुर्ग में प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल विकास में बाधा बन रहे अधिकारियों पर कार्रवाई क्यों नहीं कर रहे हैं। सरोज पांडे ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से पूछा है कि क्या इस भ्रष्टाचार की लड़ाई में वह साथ नहीं हैं? जिन अधिकारियों के यहां ईडी ने छापामार कार्रवाई की, उन अधिकारियों के खिलाफ अब तक कार्रवाई क्यों नहीं की है?
पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और भाजपा नेता प्रेम प्रकाश पाण्डेय ने कहा कि, महादेव सट्टा एप में पुलिस कार्रवाई तो कर रही है, लेकिन क्या सही कार्रवाई हो रही है। ये सभी जानते हैं कि महादेव एप में जो बड़े नाम हैं उनमें अधिकतर कांग्रेस नेता हैं, या उनसे जुड़े लोग हैं। गृहमंत्री ने खुद जुआ सट्टा और अवैध कारोबार करने वालों की लिस्ट जारी की थी। बाद में जब गड़बड़ी हुई तो एसपी से कहा गया कि वो लिस्ट उनके द्वारा नहीं दी गई।
दुर्ग सांसद विजय बघेल ने कहा ईडी की कार्रवाई में अधिकारियों के यहां से बड़ी मात्रा में नकदी, ज्वेलरी और भ्रष्टाचार के सारे सबूत मिले हैं। ईडी के प्रेस नोट ने छत्तीसगढ़ में भ्रष्टाचार की पोल खोलकर रख दी है। इस भ्रष्टाचार के लिए पूरा रैकेट बनाया गया था। इसमें राज्य के कुछ अधिकारी, व्यापारी, नेता और बिचौलिए जुड़े हैं। राज्य में परिवहन किए गए प्रत्येक टन कोयले से 25 रुपये प्रति टन की अवैध वसूली करके हर दिन 2 से 3 करोड़ जुटाए जाते थे। ईडी ने यहां कार्रवाई करके करीब 4.5 करोड़ रुपये की बेहिसाब नकदी, सोने के आभूषण, दो करोड़ रुपये मूल्य के अन्य कीमती सामान जब्त किए हैं। भ्रष्टाचार करने के लिए इन लोगों ने पूरे नियम कायदों तक को बदल दिया था। ऑनलाइन ई-परमिट की प्रक्रिया को ऑफ लाइन कर दिया गया। ईडी के मुताबिक बिना किसी एसओपी के 30 हजार से अधिक एनओसी जारी की गई। आवक और जावक रजिस्टरों का रखरखाव नहीं किया गया था। इस पूरे भ्रष्टाचार में अधिकारियों की भूमिका स्पष्ट नजर आ रही है।
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