जिला मुख्यालय में मनाया गया विश्व आदिवासी दिवस,छत्तीसगढ़ की आदिवासी कला संस्कृति का विश्व में अपना खास महत्व - संसदीय सचिव श्री बंजारे
प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी आज जिला मुख्यालय में विश्व आदिवासी दिवस का कार्यक्रम का आयोजन संसदीय सचिव व विधायक श्री गुरुदयाल सिंह बंजारे के मुख्य आतिथ्य में सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता विधायक श्री आशीष छाबड़ा ने की। अतिथियों ने छत्तीसगढ़ महतारी और शहीद वीर नारायण सिंह मरकाम के छायाचित्र पर दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। कलेक्टर श्री पदुम सिंह एल्मा ने अतिथियों का स्वागत किया। उन्होंने विश्व आदिवासी दिवस मनाए जाने की जानकारी विस्तार दी और इस दिन से जुड़ी खास बातें बतायी।
संसदीय सचिव श्री बंजारे ने कहा कि छत्तीसगढ़ अपनी सांस्कृतिक विरासत में समृद्ध है। छत्तीसगढ़ की कला व संस्कृति पूरे भारत में ही नही सम्पूर्ण विश्व में अपना बहुत ही खास महत्त्व रखती है। छत्तीसगढ़ प्राचीन कला, सभ्यता, संस्कृति, इतिहास और पुरातत्त्व की दृष्टि से अत्यंत संपन्न है। भारत ही नहीं, पूरी दुनिया के तमाम हिस्सों में आदिवासी समुदाय के लोग रहते हैं, जिनका रहन-सहन, खानपान, रीति-रिवाज वगैरह आम लोगों से अलग है।
इस अवसर पर अतिथियों द्वारा जिले में अनुसूचित जनजाति के हितार्थ, उत्कृष्ट कार्य करने वाले व्यक्तियों को सम्मानित एवं पुरस्कृत किया गया और सम्मान स्वरूप प्रमाण पत्र प्रदान किया गया। वहीं राज्य शासन और विभिन्न विभागों की विभागीय लाभकारी योजना के तहत हितग्राहियों को बीज मिनीकिट, कृषि उपकरण और आदिवासी स्वरोजगार योजना अंतर्गत पांच महिला हितग्राहियों को 10-10 हजार रुपये की चेक का वितरण भी किया गया। समाज कल्याण विभाग की ओर से तीन दिव्यांग हितग्राहियों को ट्रायसिकल सौंपी गई। आदिवासी समाज को मंगल भवन निर्माण हेतु भू-आवंटन प्रमाण पत्र सौंपा गया। इस मौके पर अतिथियों द्वारा कक्षा 10वीं एवं 12वीं के मेधावी विद्यार्थियों को प्रशस्ति पत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर अध्यक्ष नगर पालिका श्रीमती शकुंतला मंगत साहू, अध्यक्ष जनपद पंचायत रेवती हिरेन्द्र साहू, वरिष्ठ जनप्रतिनिधि बंशी पटेल सहित आदिवासी समाज के जिला प्रमुख, पदाधिकारी, जिला प्रशासन के अधिकारी/कर्मचारी उपस्थित थे।
आदिवासी समाज मुख्यधारा से कटे होने के कारण ये पिछड़ गए हैं। इस कारण भारत समेत तमाम देशों में इनके उत्थान के लिए, इन्हें बढ़ावा देने और इनके अधिकारों की ओर ध्यान आकर्षित करने के लिए कई तरह के कार्यक्रम चलाए जाते हैं। इसी कड़ी में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने अंतर्राष्ट्रीय आदिवासी वर्ष घोषित किया था। उन्होंने कहा कि पहले वक्ताओं आदि ने काफी कुछ कह दिया उसे दोहराने की जरूरत नहीं। उन्होंने कहा कि पूरे छत्तीसगढ़ में आज कार्यक्रम हो रहे है, ऐसे कार्यक्रम होने चाहिए। ताकि समुदाय को एक मंच मिल सकें, लोग अपने समाज के बात कर सकें। इसके बाद से हर साल आदिवासी दिवस 9 अगस्त को मनाया जाता है। उन्होंने सभी आदिवासी समुदाय के लोगों को विश्व आदिवासी दिवस की शुभकामनाएं दी।
विधायक श्री आशीष छाबड़ा ने भी विश्व आदिवासी दिवस की बधाई और शुभकामनाएँ दी। उन्होंने कहा कि दुनिया में भारत की आदिवासी संस्कृति की विशेष खास पहचान है और भारत की बात करें तो छत्तीसगढ़ की आदिवासी संस्कृति खास पहचान रखती है। यह सब यहां के आदिवासियों के कारण है। विश्व में आदिवासी लोगों को अपना अस्तित्व, संस्कृति और सम्मान बचाने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। इस जनजाति को संरक्षण और बढ़ावा देने, इनकी संस्कृति व सम्मान को बचाने के लिए आदिवासी दिवस मनाया जाता है। छत्तीसगढ़ के आदिवासियों की पहचान यहां की संस्कृति, परम्परा रहन-सहन, खाना-पान, रीति-रिवाज के कारण ही अलग खास पहचान है। इसको सहेज कर रखने की जिम्मेदारी हम सब की है। इससे पहले जिले के आदिवासी समाज के मुख्य वक्ताओं ने विश्व आदिवासी दिवस पर अपने विचार रखे और उद्बोधन दिया। मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत श्रीमती लीना मण्डावी ने आभार प्रदर्शन किया।
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