कृषि छात्रों ने किया संजीवनी खाद बनाने की विधि एवं उसकी उपयोगिता का प्रदर्शन





कुमारी देवी चौबे कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केन्द्र साजा के अधिष्ठाता डॉ. आलोक तिवारी एवं रावे सलाहकार समिति के मार्गदर्शन में चतुर्थ वर्ष (रावे) के छात्र-छात्राओें द्वारा ग्राम मोहगॉव में किसानों के बीच संजीवनी खाद बनाने की विधि एवं उसके उपयोगिता का प्रदर्शन किया गया। रावे के छात्र-छात्राओें ने बताया कि इसे बनाने में गोमूत्र एवं नीम के रस का उपयोग किया जाता है। इसका उपयोग पौधों में लगने वाले कीटों जैसे - लीफ माईनर, माइट्स और थ्रीप्स इत्यादि एवं बीमारियों जैसे - उचय लेट बलाईट, अरली बलाईट, पाउडरी मील्डीव, बेक्टीरियल बलाईट, ऐथ्रेकनोस इत्यादि के लिए प्रतिरोधक क्षमता उत्पन्न करते हैं।

इसका उपयोग टमाटर, आलू, लौकी, मिर्च, बैंगन जैसी सब्जियो एवं धान, गेंहू, दाल जैसे फसलो में किया जाता है। किसानों को जैविक कीटनाशक संजीवनी खाद का प्रयोग करके रासायनिक मुक्त खेती करने हेतु छात्रों द्वारा प्रोत्साहित किया गया साथ ही संजीवनी के लाभ भी बताये गयें। इस कार्यक्रम मे महाविद्यालय के सहायक प्राध्यापक डॉ. कमलनारायण कोशले, डॉ. हेमन्त कुमार जांगड़े, डॉ. रोहित, डॉ. शशांक शर्मा एवं डॉ. ज्योतिमाला साहू तथा चतुर्थ वर्ष (रावे) के विद्यार्थीगण तथा ग्राम के कृषकगण उपस्थित रहे।



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