जवाहर नवोदय विद्यालय कुसमी में किया गया वन महोत्सव का आयोजन 600 छायादार व फलदार पौधे का किया गया रोपण





बेमेतरा के जवाहर नवोदय विद्यालय ग्राम बहेरा (कुसमी) में वन महोत्सव मनाया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के तौर पर स्थानीय विधायक श्री आशीष छाबड़ा शामिल हुए। अतिथियों और स्कूली बच्चों द्वारा परिसर में पौधों का रोपण किया। भारत सरकार द्वारा वृक्षारोपण को प्रोत्साहन देने के लिए प्रति वर्ष जुलाई माह में आयोजित किया जाने वाला एक महोत्सव है। क्योंकि जुलाई-अगस्त का महीना वर्षा ऋतु का होता है और पेड़-पौधों के उगने के लिए यह नमी का मौसम अच्छा माना जाता है। इस मौसम में पेड़-पौधे जल्दी उगते हैं। इस मौके पर स्कूल के विद्यार्थियों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम की रोचक प्रस्तुति दी। कार्यक्रम में अपर कलेक्टर डॉ. अनिल बाजपेयी, एएसपी पंकज पटेल, प्राचार्य नवोदय विद्यालय बहेरा लक्ष्मी सिंह, मुख्य नगर पालिका अध्यक्ष शकुंतला मंगत साहू, जिला पंचायत सदस्य शशि प्रभा गायकवाड़, जनपद पंचायत अध्यक्ष रेवती साहू, जनपद पंचायत उपाध्यक्ष मिथलेश वर्मा, रेंजर माधुरी तिवारी सहित सरपंच/पंच एवं पार्षदगण उपस्थित थे।

विधायक श्री आशीष छाबड़ा ने उद्बोधन में कहा कि पर्यावरण संरक्षण एवं सुरक्षा के लिए पौधे लगाना आवश्यक है। पेड़-पौधे न सिर्फ वातावरण को संतुलित करते हैं वरन प्राकृतिक आपदाओं से भी सुरक्षा देते हैं। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक आपदाओं से बचने के लिए प्रकृति से जुड़ना अनिवार्य है। आधुनिकता के दौर में जंगलों की कटाई से पेड़ पौधे की कमी से लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। अल्प वृष्टि, जल स्तर का कम होना समेत कई समस्याएं पेड़ की कटाई से उत्पन्न हो रही है। अशिक्षा के कारण भी वनों की कटाई हो रही है, यह चिंताजनक है। अच्छे नागरिक होने के नाते हमारा कर्तव्य है कि हाम ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाये और उनकी रक्षा भी करें। उन्हें समय-समय पर पानी भी देने का काम करें। उन्होंने राज्य सरकार के साथ वन विभाग की भी प्रशंसा की। उन्होंने प्रदेश में कृष्णकुंज का निर्माण किया जिसमें बड़ी संख्या में छायादार, फलदार पौधों का रोपण किया। उन्होंने कहा जिन बच्चों ने स्कूल परिसर में पौधे लगाये है उन्हें जीवित रखे। जब पढ़कर यहाँ से जाएँगे और कभी इधर आये तो आपके द्वारा रोपित पौधे को बड़ा देखकर जो आत्मसंतुष्टि होगी उसका वर्णन किया जाना संभव नहीं होगा, आपको बहुत खुशी मिलेगी।



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वनमंडलाधिकारी, दुर्ग श्री शशिकुमार ने अतिथियों का स्वागत किया। बच्चों द्वारा प्रस्तुत सांस्कृतिक कार्यक्रम की सराहना की। उन्होंने बच्चों से आव्हान किया कि लगाये गये पौधों को जीवित रखने के लिए उनकी सुरक्षा करें, उन्हें पानी भी दें ताकि जब आप स्कूल की पढ़ाई पूरी कर जाए और बाद स्कूल आए तो लगाए गए पेड़ों को बड़े हुए देखे तो आपको भी ख़ुशी मिलेगी। वन विभाग द्वारा आगे भी आपके स्कूल में ऐसे कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। आज वन महोत्सव के अवसर पर छायादार और फलदार लगभग 600 पौधे का रोपण अतिथियों ने और स्कूल के बच्चों ने किया।

कई लोगों के मन में यह सवाल आता है कि वन महोत्सव क्यों मनाना चाहिए, आखिर इसकी क्या आवश्यकता है। आज हम आधुनिक बनने की होड़ में वनों की उपयोगिता को ही भूलते जा रहे हैं। बड़े-बड़े शहर, हाईवे, सड़क, यातायात, फैक्ट्रियां इत्यादि बनाने की चाहत में वनों को ही समाप्त करते जा रहे हैं। जिससे लाखों पशु-पक्षी विलुप्त होते जा रहे हैं। एक समय था जब सुबह की शुरुआत पक्षियों की चहचहाहट के साथ होती थी। घर के आंगन में गौरैया दाना चुगने आया करती आती। लेकिन आज उन आवाजों की जगह ट्रैफिक के शोर-शराबों ने ले ली है। पेड़ों की कटाई के कारण बड़ी संख्या में पशु-पक्षी, कीट-पतंगे बेघर हो गए हैं। कुछ पशु-पक्षियों का तो नामों निशान भी खत्म हो गया है। पेड़ की ठंडी हवाओं की जगह आज गाड़ियों से निकलते धुओं ने ले ली है। पेड़ों की छांव की जगह फैक्ट्रियों के कूड़े-करकट ने ले ली है। आज हम स्वच्छ हवा में सांस लेने तक को तरस गए हैं। हम पेड़ों की ताजा ठंडी हवा लेने के लिए शहरों से छुट्टी लेकर गांवों, पहाड़ों की ओर रुख करते हैं, लेकिन हमारी बढ़ती लालसा के कारण शहर के बाद अब गांवों-पहाड़ों में भी वृक्षों के अभाव में जीने को मजबूर होते जा रहे हैं।





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